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    170 फाइलें ड्रेनेज की अब तक निकलीं बोगस, स्वच्छ भारत मिशन को भी नहीं छोड़ा निगम के लुटेरों ने

  • May 27, 2024

    • फर्जी बिल महाघोटाले में सर्वाधिक गड़बडिय़ां ड्रेनेज में ही मिलीं, ईडी की जांच का हल्ला मचा, मगर निगमायुक्त के मुताबिक अब तक कोई अधिकृत पत्र या जानकारी नहीं मिली

    इंदौर। जिस स्वच्छ भारत मिशन को अमल में लाने से इंदौर नगर निगम का माथा देश और दुनिया में ऊंचा हुआ और लगातार इंदौर सात मर्तबा स्वच्छता में नम्बर वन रहा। मगर नगर निगम के लूटेरों ने फर्जी बिल महाघोटाला करते हुए स्वच्छता मिशन को भी नहीं बख्शा और शौचालय के निर्माण से लेकर मिशन से जुड़े अन्य कार्यों में भी फर्जीवाड़ा करने से बाज नहीं आए। जब से निगम का यह महाघोटाला सामने आया है तब से निगम की छवि भी धूल-धुसरित हुई है, जो उसने बीते 8 से 10 वर्षों में अर्जित की थी। अभी तक सबसे अधिक फर्जी बिल ड्रैनेज विभाग के ही बनाए गए और इसकी 170 फाइलें पूरी तरह से बोगस निकली हैं, जिनके जरिए 70 करोड़ से अधिक का भुगतान भी उजागर हुई ठगोरी फर्मों ने निगम खजाने से हासिल कर लिया। जबकि ट्रेंचिंग ग्राउंड, पानी के टैंकर, जनकार्य विभाग, उद्यान विभाग से लेकर अन्य विभागों तक यह महाघोटाला संक्रमण रोग की तरह फैला।

    हालांकि अभी वर्कशॉप सहित अन्य विभागों की फाइलें बाहर नहीं आई हैं। पुलिस ने भी ट्रेंचिंग ग्राउंड मामले में हुए साढ़े 4 करोड़ से अधिक के घोटाले की जानकारी निगम से हासिल कर ली है। अग्रिबाण लगातार निगम के इस फर्जीवाड़े का तथ्यात्मक खुलासा करता रहा है, जिसमें जहां शुरुआत में यह घोटाला 20 फाइलों और 27 करोड़ तक सीमित था, वह सुरसा के मुंह की तरह बढ़ते-बढ़ते अब 150 करोड़ तक पहुंच गया है और फाइलों की संख्या 300 से अधिक हो चुकी है। निगम सूत्रों के मुताबिक ड्रैनेज विभाग को जो 198 फाइलें लेखा विभाग से जांच के लिए मिली थी उनमें से मात्र 28 फाइलों में ही मौके पर काम हुआ, जबकि 170 फाइलें पूरी तरह से बोगस है। ये सभी फाइलें बाहर तैयार की गई और सीधे ऑडिट से मंजूर करवाकर लेखा शाखा में प्रस्तुत कर दी और उनके जरिए 70 करोड़ रुपए से अधिक का भुगतान ठगोरी फर्मों ने हासिल कर लिया। कुछ फाइलें पानी के टैंकर की, तो कुछ पर्चेस के अलावा अभी जनकार्य, उद्यान विभाग की भी निकली है। वहीं स्वच्छ भारत मिशन के भी कई कार्य इन फर्मों ने इसी तरह बोगस किए हैं।


    अभी तक पुलिस की जांच-पड़ताल में इस पूरे महाघोटाले का मास्टरमाइंड अभय राठौर ही निकला है, क्योंकि अन्य किसी बड़े अधिकारी का नाम ना तो उसने लिया और ना ही जांच में सामने आया है। एमजी रोड थाना प्रभारी विजयसिंह सिसोदिया ने बताया कि ट्रेंचिंग ग्राउंड से जुड़ी साढ़े 4 करोड़ रुपए से अधिक की फाइलें भी मिली हैं, जिसमें ग्रीन कंस्ट्रक्शन, जाह्नवी कंस्ट्रक्शन, किंग कंस्ट्रक्शन ने फर्जी बिलों को प्रस्तुत कर यह राशि हासिल कर ली। पुलिस लगातार उजागर हुई नई फर्मों की जानकारी भी निगम से मांग रही है, तो एजाज खान, आशु खान, बिल्किस सहित अन्य आरोपियों की भी तलाश जारी है। वहीं असलम के भाई ऐजाज का कर्मचारी मौसम व्यास, जो पुलिस की गिरफ्त में है उसने भी कई जानकारियां दी हैं। दूसरी तरफ अभी कुछ मीडिया में यह हल्ला मचा कि नगर निगम के फर्जी बिल महाघोटाले की जांच ईडी तक पहुंच गई है और इस संबंध में ईडी जल्द ही अपनी जांच की प्रक्रिया शुरू करेगी। मगर इस बारे में जब आज सुबह निगमायुक्त शिवम वर्मा से पूछा गया कि क्या इस महाघोटाले से संबंधित ईडी की ओर से ऐसा कोई पत्र या सूचना निगम को प्राप्त हुई है, तो उन्होंने इससे स्पष्ट इनकार किया है।

    यानी नगर निगम को अभी तक ईडी की ओर से कोई अधिकृत सूचना नहीं मिली है, क्योंकि ईडी ने अगर जांच शुरू की या उसे कोई जानकारी इस संबंध में चाहिए तो वह निगम प्रशासन को ही अवगत कराते हुए महाघोटाले से जुड़े तथ्य मांगेगा। दूसरी तरफ ईडी का हल्ला इसलिए भी मचा, क्योंकि इस महाघोटाले में कुछ दिनों पूर्व निगम के चर्चित बेलदार असलम खान की भी एंट्री हो गई, जिसका खुलासा अग्रिबाण ने ही किया था। दरअसल आय से अधिक सम्पत्ति के मामले में लोकायुक्त के मामले में ईडी ने भी इस मामले में कार्रवाई करते हुए उसकी कई सम्पत्तियों को अटैच किया था। मगर फिलहाल अधिकृत रूप से ना तो निगम और ना ही ईडी की ओर से इस बात की कोई जानकारी दी गई है कि उसकी जांच के दायरे में इंदौर नगर निगम का फर्जी बिल महाघोटाला भी शामिल है। फिलहाल तो नगर निगम शासन द्वारा बनाई गई एसआईटी द्वारा मांगी गई जानकारियों का ब्योरा जुटाने में लगा है। 2010 से लेकर 2024 तक 15 सालों में जितनी भी ठेकेदार फर्मों को निगम खजाने से भुगतान हुआ है उसका लेखा-जोखा शासन की एसआईटी ने मांगा है, जिसके चलते बैंकों व अन्य वित्तीय संस्थाओं से भी निगम ने भुगतान के रिकॉर्ड हासिल किए हैं और उसके बाद वह अपने रिकॉर्ड से उसको जांचने-परखने के बाद शासन को सौंपेगा। हालांकि उसमें स्थापना सहित निगम द्वारा किए गए खर्चों की राशि शामिल नहीं रहेगी। निगम ने जो ठेकेदार फर्मों को पैसा ट्रांसफर किया है उसकी ही डिटेल बनाई जा रही है। दूसरी तरफ कांग्रेस ने इस पूरे महाघोटाले पर दमदार तरीके से अपना विरोध प्रकट नहीं किया। अलबत्ता कांग्रेस पार्षद दल ने जन-धन का हिसाब दो, घोटाले का जवाब दो अभियान शुरू करने की घोषणा अवश्य की है।

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