माले: कर्ज (loan) जाल में फंसे मालदीव (maldives) को अब चीन (china) ने बड़ा झटका (shock) दिया है। चीन ने साफ कर दिया है कि मालदीव द्वारा लिए गए कर्जों के पुनर्गठन की उसकी कोई योजना नहीं है। ऐसा तब हुआ है जब मालदीव ने चीन से कर्ज संकट से बाहर निकलने में मदद करने की गुहार लगाई है। मालदीव के मीडिया पोर्टल (media portal) अधाधू ने माले में तैनात चीन के राजदूत (ambassador) के हवाले से ये जानकारी दी है। चीनी दूतावास में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में राजदूत वांग लिक्सिन ने कहा चीन और मालदीव की तकनीकी टीमें कर्ज के पुनर्गठन के लिए रास्ते तलाश रही हैं, लेकिन चीन फिलहाल ऐसा करने का इरादा नहीं रखता है।
लिक्सिन ने आगे कहा कि दूसरे विकल्पों पर विचार किया जा रहा है, क्योंकि ऋण के पुनर्गठन से मालदीव को नई परियोजनाओं को पूरा करने के लिए कर्ज प्राप्त करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा। इसके पहले चीन की तरफ झुकाव वाले राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन की सरकार के दौरान आवास परियोजनाओं को पूरा करने के लिए चीनी सरकार से कई कर्ज लिए गए थे। इन कर्जों का पुनर्भुगतान अभी तक पूरा नहीं हुआ है।
मुइज्जू को चीन ने दिया था भरोसा
इसके पहले मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने चीन की राजकीय यात्रा से लौटने के बाद कहा था कि उन्हें आश्वासन मिला है कि चीनी ऋणों को चुकाने की समय सीमा बढ़ाई जाएगी। मालदीव के बाहरी कर्ज का सबसे बड़ा हिस्सा बैंक ऑफ चाइना का है, जो चीन की 100 प्रतिशत सरकारी स्वामित्व वाला एक्सपोर्ट-इम्पोर्ट बैंक है। पिछले साल की तीसरी तिमाही में मालदीव के ऊपर बैंक का 8.1 अरब मालदीवियन रुपये का कर्ज बकाया था।
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भारत ने दी मालदीव को मोहलत
इस बीच एक बार फिर मालदीव की मदद के लिए उसका पुराना दोस्त भारत आगे आया है। पिछले सोमवार को मालदीव सरकार के अनुरोध पर भारत सरकार ने भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के 5 करोड़ अमेरिकी डॉलर के ट्रेजरी बॉण्ड की अदायगी को एक साल के लिए स्थगित करने पर सहमति दी थी। मालदीव के विदेश मंत्री मूसा जमीर की हालिया नई दिल्ली यात्रा के दौरान माले ने भारत से कर्ज चुकाने के लिए राहत देने का अनुरोध किया था।
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