इंदौर। प्रदेश में आदिवासी वोट बैंक अपनी अहम भूमिका निभाता है। चाहे वह विधानसभा चुनाव हो या फिर लोकसभा चुनाव हो, लेकिन इस बार इन इलाकों से मिले कम वोट के कारण भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों में चिंता की लकीरें हैं। कांग्रेस जहां इसे अपना वोट बैंक मानती हैं तो भाजपा कहती है कि उसने आदिवासियों के लिए काफी काम किए हैं इसलिए इस बार आदिवासियों के वोट उसके खाते में ही जाएंगे। वैसे प्रदेश में अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए 6 सीटें आरक्षित हैं, जहां इस बार कम मतदान हुआ है।
अब कम मतदान का कारण भीषण गर्मी ले लो या फिर मतदाताओं की अरूचि, इसको अभी कांग्रेस और भाजपा के नेता समझ नहीं पा रहे हैं। इंदौर संभाग में धार और खरगोन सीट अजजा वर्ग की आती हैं तो शहडोल, मंडला, बैतूल और रतलाम जैसी सीटों पर आदिवासी वोटों की संख्या ज्यादा है। इन सीटों पर कांग्रेस को अच्छे वोट मिलते हैं। रतलाम-झाबुआ-धार सीट पर इस बार कड़ा मुकाबला हुआ है यहां से कांतिलाल भूरिया और विधायक नागरसिंह चौहान की पत्नी अनिता चौहान आमने-सामने थे। इसमें भी झाबुआ की ओर भूरिया का गढ़ है, लेकिन इस गढ़ में भाजपा की ओर से सेंधमारी की गई है। इस सीट पर 2.8 प्रतिशत वोट कम गिरे हैं। इसका कारण आदिवासी अंचल में भीषण गर्मी के रूप में सामने आ रहा है। वहीं खरगोन जो गर्मी के मौसम में प्रदेश में सबसे ज्यादा तपता है, यहां भी इतना ही मतदान कम हुआ है। इन दोनों सीटों पर बहुत ही कम सीटों से हार-जीत होती है, लेकिन जो वोट कम पड़े हैं, उसमें किस प्रत्याशी को कितने वोट मिलेंगे कहना मुश्किल है। वहीं बैतूल में साढ़े 4 प्रतिशत से ज्यादा, शहडोल में करीब 10 प्रतिशत, मंडला में करीब 5 प्रतिशत वोट कम गिरे हैं। कुल मिलाकर पिछले चुनाव के मुकाबले इस बार साढ़े आठ प्रतिशत से ज्यादा आदिवासियों ने मतदान नहीं किया है। इसको लेकर अब पार्टी भी हिसाब-किताब लगा रही है कि किस पार्टी का इसमें नफा-नुकसान होगा।
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