समाज से कोई मदद मिली न सिटी बस संचालक से
इंदौर। प्रदीप मिश्रा सिटी बस ड्राइवर (city bus driver) की लापरवाही (Negligence) के चलते हुई दुर्घटना ने एक होनहार मेधावी छात्रा ( student) की जिंदगी ही नहीं बदली, बल्कि उसके हाथों के साथ- साथ उसके सुनहरे सपने भी चकनाचूर कर दिए। दोनों हाथ, पैर, मुंह सहित कई जगह से गम्भीर घायल श्रेया शुक्ला (Shreya Shukla) की बॉम्बे हॉस्पिटल (Bombay Hospital) में लगभग 30 दिन (30 days) में अब तक 9 सर्जरी हो चुकी है। कल 9वीं सर्जरी के बाद श्रेया को घर वापस भेज दिया गया है। डाक्टर्स (doctors) का कहना है कि एक हाथ लगभग खत्म हो चुका है, मगर फिर भी कोशिशें जारी हैं। अन्य गम्भीर चोटों के चलते श्रेया का इलाज लम्बा चलेगा। दुघर्टना और लंबे इलाज ने शुक्ला परिवार को हर तरफ से बुरी तरह से तोड़ दिया है।
सर्जरी और इलाज के दौरान अभी तक मध्यमवर्गीय शुक्ला परिवार के लगभग 15 लाख रुपए खर्च हो चुके हैं। घर में जो कुछ भी जमा पूंजी थी, वह खर्च हो चुकी है। इस वजह से शुक्ला परिवार आर्थिक संकट से बुरी तरह से घिर गया है। छात्रा श्रेया के पिता विजय शुक्ला के अनुसार, इलाज कर रहे डाक्टर्स का कहना है कि इलाज लम्बा चलेगा। लगभग 5 लाख रुपए का खर्चा अभी औऱ बाकी है। निजी कम्पनी में जॉब के वेतन से घर चलाने वाले शुक्ला परिवार के सामने सबसे बड़ी समस्या बेटी के बाकी इलाज के लिए आर्थिक व्यवस्था करना और घर चलाना है।
पिछले साल सरकार ने किया था सम्मानित
पिछले साल 2023 में 12वीं की परीक्षा में 88 प्रतिशत नम्बर लाने के बाद सरकार सहित स्थानीय जिला प्रशासन ने मेधावी छात्रा बतौर श्रेया शुक्ला को सम्मानित किया था। इसके बाद जुलाई माह से वह होलकर कॉलेज से कम्प्यूटर साइंस फस्र्ट ईयर की पढ़ाई कर रही है। पिता शुक्ला के अनुसार मेधावी छात्रा होने के चलते कॉलज में नि:शुल्क एडमिशन मिला था। बीसीए फस्र्ट ईयर के साथ वह साथ यूपीएससी की भी तैयारी कर रही है। उसका सपना है कि वह एक दिन कलेक्टर बने। मगर इस हादसे के बाद तो फिलहाल स्वस्थ होकर पहले की तरह बिस्तर से खड़ा होना है।
शुक्ला परिवार को समाज से कोई मदद नहीं मिली
शुक्ला के मुताबिक 9वीं सर्जरी के बाद श्रेया को कल डिस्चार्ज कर दिया गया। श्रेया के पिता शुक्ला ने बताया कि रेडक्रॉस सोसायटी ने 50 हजार रुपए औऱ विधायक मधु वर्मा ने सीएम कोटे से 1 लाख रुपए की मदद की है, मगर इलाज के खर्च के हिसाब यह मदद ऊंट के मुंह मे जीरे जैसी है। शुक्ला ने बताया कि वह आर्थिक मदद के लिए महापौर पुष्यमित्र भार्गव, अटल सिटी बस संचालन प्रभारी मनोज पाठक, विधायक गोलू शुक्ला के अलावा ब्राह्मण समाज के 1 दर्जन संगठनों से लगातार संपर्क कर रहे हैं, मगर अभी तक कहीं से भी कोई मदद नहीं मिली है।
हाथ फैलाने पर मजबूर कर दिया सिटी बस ने
श्रेया के पिता विजय शुक्ला बताते हंै कि 2 अप्रैल को 2 सहेलियों के साथ सिटी बस से श्रेया कॉलेज से घर लौट रही थी। बस हमेशा की तरह ओवरलोड थी। इस वजह से बस में अंदर बैठने की जगह नहीं थी। इस कारण श्रेया व उसकी दोनों सहेलियां गेट पर खड़ी थीं कि अचानक बस ड्राइवर ने ब्रेक लगा दिए। इस वजह से तीनों छात्राएं सडक़ पर नीचे गिर पड़ीं। छात्राएं संभल पातीं इसके पहले चंद सेकंड में ड्राइवर ने बस आगे बढ़ा दी। बस का पहिया श्रेया के हाथों के ऊपर से निकल गया। तीनों छात्राएं घायलहो चुकी थीं, मगर श्रेया की हालत बहुत गम्भीर थी। तबसे श्रेया का इलाज चल रहा है। इलाज कराते-कराते और मेधावी बिटिया के भविष्य की चिंता ने शुक्ला परिवार को जहां तोडक़र रख दिया है, वहीं एक स्वाभिमानी खुशहाल परिवार को आर्थिक मदद के लिए मजबूर कर दिया है।
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