नई दिल्ली (New Delhi) । बीते साल यानी 2023 में लगभग 64 प्रतिशत भारतीय कंपनियां (Indian companies) रैनसमवेयर हमलों (Ransomware Attacks) से प्रभावित हुईं। एक सर्वेक्षण में यह तथ्य सामने आया है। सोफोस की मंगलवार को जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 2022 की तुलना में 2023 में इन हमलों में गिरावट आई है। रिपोर्ट के अनुसार, हमलावरों ने इन कंपनियों से औसतन 48 लाख अमेरिकी डॉलर (U.S. Dollar) फिरौती के रूप में मांगे।
रैनसमवेयर कैसे करता है कब्जा
रैनसमवेयर दुर्भावनापूर्ण सॉफ्टवेयर या मैलवेयर को दर्शाता है। ये कंप्यूटर, नेटवर्क शेयर, बैकअप और सर्वर पर फाइलों को कब्जे में ले लेता है और फिर हमलावर फाइलों को अनलॉक करने के लिए उपयोगकर्ताओं से धन की मांग करता है।
ऐसी होती है धमकी
रैनसमवेयर हमले के साथ एक टाइमलाइन दी जाती है, जिसके अंतर्गत मांगी गई फिरौती के भुगतान की बात होती है और धमकी होती है कि निर्धारित समय के भीतर यदि फिरौती की रकम नहीं मिली तो यूजर अपने फाइल को दोबारा हासिल नहीं कर सकेंगे।
घट रहे हमले
सोफोस की ‘भारत में रैनसमवेयर की स्थिति 2024’ रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय कंपनियों पर होने वाले रैनसमवेयर हमलों की दर में कमी आई है। वर्ष 2022 में 73 प्रतिशत भारतीय कंपनियों पर हमला हुआ था वहीं 2023 में 64 प्रतिशत रह गई। इस दौरान फिरौती की मांग और भुगतान में इजाफा हुआ है। भारत में 61 फीसदी पीड़ितों को उनका डाटा रैनसमवेयर के चंगुल से छूटने के बाद मिल गया।
डिजिटल अरेस्ट साइबर धोखाधड़ी से केंद्र ने किया आगाह
पुलिस अधिकारियों, केंद्रीय जांच ब्यूरो, नारकोटिक्स विभाग, भारतीय रिजर्व बैंक, प्रवर्तन निदेशालय और अन्य कानून प्रवर्तन एजेंसियों के नाम पर ब्लैकमेल करने के मामलों में बढ़ोतरी को देखते हुए गृह मंत्रालय ने एजेंसियों को अलर्ट किया है। अधिकारियों ने बताया कि जबरन वसूली और डिजिटल अरेस्ट जैसी वारदातों को अंजाम देने के संबंध में बड़ी संख्या में शिकायतें दर्ज की जा रही हैं। इसलिए लोगों को जागरूक करना जरूरी है।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved