125 करोड़ पार हो गया फर्जीवाड़ा, नई मिली फर्म आरएस इन्फ्रास्ट्रक्चर को भी ४ साल पहले एक करोड़ के फर्जी बिल पर हो गया भुगतान, अन्य कार्यों का विवरण भी जुटा रहा है लेखा विभाग
इंदौर, राजेश ज्वेल नगर निगम (municipal corporation) के बहुचर्चित फर्जी बिल महाघोटाले (fake bill mega scam) में आरोपी बनाए गए अभियंता अभय राठौर (Engineer Abhay Rathore) को कल रात पुलिस (Police) ने उत्तरप्रदेश (UP) में गिरफ्तार करना बताया है। रात को ही पुलिस बल उसे लेकर इंदौर के लिए रवाना हुआ और सुबह साढ़े 5 बजे पहुंचा। अब उससे इस घोटाले के संबंध में पूछताछ की जाएगी और उम्मीद है कि कई बड़े राज उजागर होंगे। इस महाघोटाले में और कौन-कौन से निगम अफसर, कर्मचारी, राजनेता और ठेकेदार शामिल हैं और किस तरह इस फर्जीवाड़े को अंजाम दिया गया उसकी जानकारी सामने आ सकती है। 125 करोड़ पार हो गया है यह फर्जीवाड़ा।
वहीं, कल एक और नई फर्म की भी जानकारी सामने आई और यह फर्म भी बोगस बताई जा रही है, जिसने 4 साल पहले 1 करोड़ का भुगतान भी प्राप्त किया। इस फर्म का नाम आरएस इन्फ्रास्ट्रक्चर है, जिसके प्रोप्राइटर कोई राजेन्द्र शर्मा बताए जाते हैं। इस महाघोटाले की शुरुआत में नगर निगम ने 5 फर्मों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई थी, जिनमें से 4 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। उसके बाद पुलिस ने निगम के चार कर्मचारियों को आरोपी बनाया उनकी भी गिरफ्तारी हो गई और कल पुलिस को इस पूरे महाघोटाले के मुख्य कर्ताधर्ता अभय राठौर को भी पकडऩे में सफलता मिल गई। डीसीपी झोन-3, पंकज पांडे ने अभय राठौर की गिरफ्तारी की पुष्टि करते हुए बताया कि पुलिस दल को उत्तरप्रदेश भेजा गया था। राठौर के रिश्तेदारों, नौकर और निगम के कर्मचारियों से जो जानकारी मिली। उससे पता चला कि राठौर एटा उत्तरप्रदेश का ही मूल निवासी है और उसके बेटे की शादी भी वहीं हुई है और फरारी भी वहीं काट रहा है, जिसके चलते कल उसे रिश्तेदार के घर से ही गिरफ्तार किया गया और तुरंत उसे लेकर पुलिस दल इंदौर की ओर रवाना हुआ। आज सुबह साढ़े 5 बजे राठौर को पुलिस इंदौर लेकर पहुंच गई। अब उससे पूछताछ शुरू की जाएगी। दूसरी तरफ निगम सूत्रों से एक और जानकारी अग्निबाण को मिली, जिसमें बोगस फर्मों की सूची में एक और नई फर्म आरएस इन्फ्रास्ट्रक्चर का नाम भी जुड़ गया। इसने भी ड्रैनेज के ही काम किए और 2020 में एक करोड़ का भुगतान भी प्राप्त किया। अब निगम इस फर्म द्वारा किए गए सभी कार्यों और उसमें कितनी राशि शामिल है इसका ब्योरा तैयार कर रहा है। महत्वपूर्ण बात यह भी है कि उक्तफर्म उन 188 फाइलों में भी शामिल नहीं है जिनकी जांच निगम ने की।
खुदाई के बाद भी निगम नहीं ढूंढ पाया अवैध नल कनेक्शन का स्त्रोत
यह भी आश्चर्य का विषय है कि नगर निगम अभी तक अभय राठौर के घर से जो चार इंच का अवैध नल कनेक्शन मिला उसके स्त्रोत का पता नहीं लगा पाया है, जिसके लिए खुदाई भी की गई। निगम के अपर आयुक्त अभिलाष मिश्रा का कहना है कि बीते 10 सालों की राशि वसूल की जाएगी, जो कि लगभग 47 लाख रुपए होती है। नर्मदा परियोजना के कार्यपालन यंत्री संजीव श्रीवास्तव के मुताबिक इस चार इंची कनेक्शन के अलावा राठौर के रिश्तेदारों के घर पर भी एक-एक इंच के अवैध नल कनेक्शन मिले हैं। उसमें वसूल की जाने वाली राशि की गणना भी की जा रही है।
महिला ठेकेदार को मेडिकल ग्राउंड पर मिल गई जमानत
ठेकेदारों में सबसे शातिर राहुल वडेरा निकला है, जिसने पूछताछ में कई जानकारियां भी पुलिस को दी। उसकी रिमांड अवधि भी 12 मई तक बढ़ गई है, वहीं उसकी पत्नी रेणु वडेरा को अवश्य मेडिकल ग्राउंड पर कोर्ट से जमानत मिल गई। हालांकि पुलिसिया पूछताछ में भी उसने खुद को निर्दोष बताया और कहा कि पति ने ही पूरा घोटाला किया और उसकी जानकारी उसे बिल्कुल नहीं थी। वो तो सिर्फ हस्ताक्षर कर देती थी। उसे पता ही नहीं कि ये फर्जी बिल बने और उसका भुगतान उसके नाम की फर्म में जमा हुआ। वह तो राशि निकालकर पति को सौंप देती थी।
अब हर फाइल की होगी जांच, आयुक्त नेजारी किए आदेश
निगम में 125 करोड़ रुपए का जो फर्जी बिल का महाघोटाला उजागर हुआ उससे हर कोई भौंचक है कि सालों तक यह गड़बड़ी कैसेचलती रही? अब आयुक्त शिवम वर्मा ने सभी विभागों को निर्देश दिए हैं कि प्रस्तुत होने वाली फाइलें बिना विभाग में आवक-जावक, नाम और पदनाम अंकित किए बिना नहीं होगी। सभी फाइलों में उस विभाग के प्रमुख और अपर आयुक्त कौन हैं इसका भी उल्लेख रहेगा। प्रत्येक नोटशीट पर नम्बरिंग की जाकर फाइल की फ्लायशीट का भी संधारण किया जाएगा। अन्यथा अनुशासनात्मक कार्रवाई होगी। सभी झोनल, विभाग प्रमुख और अपर आयुक्तोंको भविष्य के लिए सचेत रहने के निर्देश भी दिए गए।
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