नई दिल्ली(New Delhi) । ओडिशा (Odisha)की राजनीति में पटनायकों(Patnayaks) का दबदबा हमेशा से कायम रहा है। ना केवल राजनीति में बल्कि आर्थिक क्षेत्र(economic sector) में भी पटनायक आगे रहे हैं। आजादी के बाद के 77 सालों के इतिहास में तीन पटनायक कुल 45 साल ओडिशा की सत्ता पर काबिज(in power) रहे। इसमें जानकी बल्लभ पटनायक, बीजू पटनायक और बाद में उनके बेटे नवीन पटनायक शामिल हैं जो कि वर्तमान में ओडिशा के सीएम हैं। साल 2000 से वह लगातार ओडिशा की सत्ता पर काबिज हैं। इस बार लोकसभा चुनाव के साथ ही ओडिशा के विधानसभा के चुनाव भी हो रहे हैं। नवीन पटनायक एक बार फिर सत्ता में आने के लिए प्रयासरत हैं। अगर ऐसा होता है तो वह देश के सबसे लंबे समय तक रहने वाले मुख्यमंत्री बन जाएंगे।
ओडिशा में पिछले 32 साल में 11 मुख्यमंत्री हुए हैं। पटनायक वैसे ओडिशा की ‘करण’ जाति से ताल्लुक रखते हैं। इस समुदाय के लोगों का दूसरा पॉपुलर सरनेम मोहंती है। ओडिशा की जनसंख्या में करण जाति का 2 फीसदी का योगदान है। जानकारों का कहना है कि ओडिशा की राजनीति में करण जाति का सबसे बड़ा योगदान रहता है।
नवीन पटनायक के पिता बीजू पटनायक 1961 से 1963 और फिर 1990 से 1995 तक ओडिशा के सीएम रहे। जेबी रकार 14 साल तक रही। पहला टर्म 1980 से 1989 और दूसरा टर्म 1995 से 1999 तक रहा। बता दें कि नवीन पटनायक ने शादी नहीं की है। वह यह भी कह चुके हैं कि उनके परिवार का कोई सदस्य राजनीति में नहीं आएगा। वहीं चर्चा थी कि उनके भतीजे अरुण पटनायक या फिर भतीजी गायत्री पार्टी की कमान संभाल सकती है। ये दोनों उनके बड़े भाई प्रेम पटनायक के बेटे और बेटी हैं। हालांकि नवीन पटनायक ने राज्य में नंबर 2 के लिए वीके पांडियन को चुना है।
ओडिशा की राजनीति में इन जाति का दबदबा
करण जाति से ताल्लुक रखने वाले नाबाकृष्णा चौधरी 1950 से 1952 और फिर 1952 से 1956 तक ओडिशा के मुख्यमंत्री रहे। इसके अलावा राज्य में ब्राह्मण, कुछ राजपूत, और दो आदिवासी मुख्यमंत्री रहे। आदिवासी मुख्यमंत्रियों में हेमानंद बिस्वल और गिरिधऱ गमंद शामिल हैं। करण और ब्राह्मण मिलकर ओडिशा की 10 फीसदी आबादी भी नहीं हैं, इसके बावजूद ओडिशा की राजनीति में उनका दबदबा है। इसके अलावा कारोबार में भी ये दोनों ही अग्रणी रहते हैं।
विपक्ष में भी पटनायकों की कमी नहीं
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक एक जानकार ने बताया कि ओडिशा की राजनीति में जाति की बड़ी कोई भूमिका नहीं है। हालांकि लीडरशिप ज्यादातर अगड़ी जाति के लोगों के पास ही रही है। गिरिधर और हेमानंद इस मामले में अपवाद हैं। उन्हें कुछ महीनों के लिए ही मुख्यमंत्री बनाया गया था। राज्य में करीब 22.8 फीसदी आदिवासी और 17 पर्सेंट एससी हैं। इसके अलावा 50 फीसदी ओबीसी हैं। विपक्ष में भी पटनायकों की कमी नहीं है। कांग्रेस के राज्य में अध्यक्ष सरत पटनायक और चुनाव समन्वयन कमेटी के हेड बिजय पटनायक भी करण जाति से ही आते हैं। जानकी बल्लभ के बेटे पृथ्वी बल्लभ इस बार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं।
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