नई दिल्ली (New Delhi)। बठिंडा (Bathinda) से भाजपा उम्मीदवार (BJP candidate) परमपाल कौर (Parmapal Kaur) के लिए एक नई मुसीबत खड़ी हो गई है. पंजाब सरकार ने आईएएस अधिकारी परमपाल (Parmapal Kaur) को तुरंत ड्यूटी पर लौटने के लिए कहा है. राज्य सरकार (State Government .) की ओर से उन पर सेवानिवृत्ति के लिए झूठे कारण बताने का भी आरोप लगाया गया है, जबकि वह राजनीतिक गतिविधियों में व्यस्त थीं. परमपाल कौर सिद्धू (Parampal Kaur Sidhu), जो शिअद नेता सिकंदर सिंह मलूका की बहू हैं, को लिखे पत्र में पंजाब कार्मिक विभाग ने कहा है कि नौकरी छोड़ने के लिए उनकी तीन महीने की नोटिस अवधि माफ नहीं की गई है. उन्होंने अभी तक नामांकन दाखिल नहीं किया है और मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए बठिंडा संसदीय क्षेत्र के रिटर्निंग कार्यालय द्वारा उनका नामांकन पत्र खारिज किया जा सकता है।
पत्र में कहा गया है कि राज्य सरकार ने सेवा से उनकी स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति की स्वीकृति के लिए कोई आदेश पारित नहीं किया है. उन पर अनधिकृत तरीके से पीएसआईडीसी के एमडी के पद का प्रभार अपने पास रखने का भी आरोप लगाया गया है. परमपाल कौर करीब एक महीने से बठिंडा में चुनाव प्रचार कर रही हैं. पहले मुख्यमंत्री भगवंत मान ने 11 अप्रैल को दावा किया था कि केंद्र द्वारा उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया गया है. इस पर परमपाल कौर ने दावा किया था कि भाजपा में शामिल होने से पहले 10 अप्रैल को भारत सरकार के कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (DoPT) ने उनका वीआरएस मंजूर कर लिया था।
वीआरएस के लिए गलत कारण देने का आरोप
पंजाब कार्मिक विभाग की ओर से आईएएस परमपाल कौर सिद्धू को भेजे गए पत्र में कहा गया है, ‘अखिल भारतीय सेवा (मृत्यु-सह-सेवानिवृत्ति लाभ) नियम, 1958 के नियम 16 (2) में स्पष्ट रूप से लिखा है कि नोटिस अवधि में छूट केवल राज्य सरकार द्वारा दी जा सकती है, यदि वह वीआरएस आवेदनकर्ता द्वारा बताए गए कारणों से संतुष्ट है. आपका आवेदन राज्य सरकार के विचाराधीन था, लेकिन आपने सीधे भारत सरकार के कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग के सचिव को दिनांक 07.04.2024 को पत्र लिखा, भले ही आप राज्य सरकार के अधीन कार्यरत थीं।
पत्र में आगे लिखा गया है, ‘आपने कहा था कि आपकी मां 81 वर्ष की हैं और उनका स्वास्थ्य अच्छा नहीं रहता है. आपके पिता और आपके छोटे भाई दोनों का कुछ वर्ष पहले निधन हो गया था. आपकी वृद्ध मां की देखभाल करने के लिए कोई उपलब्ध नहीं है, इसलिए आप स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति चाहती हैं. लेकिन आप पिछले एक महीने से राजनीतिक गतिविधियों में व्यस्त थीं और अब भी चुनाव प्रचार कर रही हैं.’ पत्र में यह भी उल्लेख किया गया है कि पंजाब आईएएस अधिकारियों की कमी से जूझ रहा है और 231 की स्वीकृत संख्या के मुकाबले केवल 192 आईएएस अफसर हैं।
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