नई दिल्ली (New Delhi) । हाल ही में स्वास्थ्य बीमा (health insurance) में हुए बड़े बदलावों का असर अब पॉलिसीधारकों (policyholders) की जेब पर पड़ने वाला है। इरडा द्वारा प्रतीक्षा अवधि घटाने और बुजुर्गों के लिए अधिकतम आयु सीमा की पाबंदी हटाने के बाद इंश्योरेंस कंपनियां (insurance companies) स्वास्थ्य बीमा की दरें 10 से 15 फीसदी तक बढ़ा सकती हैं। इसके चलते प्रीमियम में न्यूनतम एक हजार रुपये तक का इजाफा हो सकता है।
कई कंपनियों ने भेजे मैसेज
बताया जा रहा है कि कई बीमा कंपनियों ने तो प्रीमियम बढ़ाने के संदेश मोबाइल और ईमेल पर पॉलिसीधारकों को भेजने शुरू कर दिए हैं। संदेश में कहा जा रहा है कि कंपनियां नए नियमों के बाद प्रीमियम में बढ़ोतरी करने के लिए मजबूर हैं। एचडीएफ एर्गो ने अपने ग्राहकों को भेजे मेल में कहा कि उन्हें प्रीमियम दरें औसतन 7.5 प्रतिशत से 12.5 प्रतिशत तक बढ़ानी होंगी।
इरडा ने बदल दिए हैं कई नियम
इरडा के नए नियमों के अनुसार, पहले से मौजूद बीमारियों के लिए प्रतीक्षा अवधि को चार से घटाकर तीन साल कर दिया गया है। प्रतीक्षा अवधि का मतलब है कि यदि कोई पॉलिसीधारक पहले से किसी बीमारी से पीड़ित है तो बीमा क्लेम करने के लिए वेटिंग पीरियड के खत्म होने तक इंतजार करना होगा।
इन बीमारियों में हाई बीपी, मधुमेह, थायराइड आदि सभी शामिल हैं। साथ ही इरडा ने मोरेटोरियम पीरियड को भी आठ से घटाकर पांच साल कर दिया है। यानी पांच साल तक बीमा प्रीमियम जमा करने के बाद कंपनियां बीमारी की जानकारी छिपाने सहित किसी भी आधार पर क्लेम को खारिज नहीं कर सकती हैं। इससे बीमा कंपनियों को लग रहा है कि उनका जोखिम बढ़ जाएगा और अधिक लोगों के क्लेम देना होगा। इस वजह से कंपनियां प्रीमियम बढ़ा रही हैं।
वरिष्ठ नागरिकों को दी गई थी राहत
इसके अलावा वरिष्ठ नागरिकों को नए नियमों में राहत दी गई है। अब तक बीमा कंपनियां 65 साल तक के व्यक्ति को ही स्वास्थ्य बीमा बेचते थीं। अब नियमों में बदलाव कर यह शर्त हटा दी गई है। इससे कंपिनयां अब 65 साल से अधिक उम्र के लोगों को भी स्वास्थ्य बीमा खरीदने से नहीं रोक पाएंगी। इरडा के इस फैसले के बाद अब बीमा कंपनियां वरिष्ठ नागरिकों को ध्यान में रखते हुए पॉलिसी पेश करेंगी। इससे प्रीमियम पर असर पड़ सकता है।
कोविड के बाद तेजी से बढ़ा प्रीमियम
जानकारों का कहना है कि कंपनियां प्रीमियम में 10 से 15 फीसदी इजाफा कर सकती हैं। चूंकि ग्राहक की बढ़ती हुई उम्र के साथ ही कंपनियों के जोखिम में इजाफा होता है, इसलिए प्रीमियम का बढ़ना तय है। हर पांच साल की उम्र के बाद प्रीमियम 10 से 20 फीसदी बढ़ जाते हैं। आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2019 से लेकर 2024 तक औसत प्रीमियम लगभग 48 फीसदी बढ़कर 26,533 रुपये हो चुका है। कोविड के बाद इसमें तेजी आई है।
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