नई दिल्ली (New Delhi)। कभी कांग्रेस आलाकमान (Congress high command.) को सताने वाला G-23 ग्रुप (G-23 Group) आज भले ही शांत हो गया हो, लेकिन कांग्रेस (Congress) की दिल्ली यूनिट में अरविंदर सिंह लवली (Arvinder Singh Lovely) के नेतृत्व में एक नया असंतुष्ट ग्रुप (New dissident group) पैदा हो गया है. इसे अभी तक G-23 की तरह कोई नाम भले ही ना मिला हो, लेकिन आलाकमान की नजर G-35 पर है. यह G-35 कुछ और नहीं बल्कि वे 35 पूर्व विधायक हैं, जिन्होंने लवली के इस्तीफे के वक्त उनके प्रति सहानुभूति दिखाई थी. दिल्ली कांग्रेस के ये सभी पूर्व विधायक अरविंदर लवली के साथ दिखाई दिये थे।
कांग्रेस सूत्रों ने कहा, ‘ऐसी अटकलें हैं कि लवली अपने गुट को भाजपा में शामिल कराने की कोशिश करेंगे. इसलिए पार्टी से लवली के इस्तीफे के बाद उनसे मिलने वाले सभी नेताओं की निगरानी की जा रही है.’ बता दें कि अरविंदर सिंह लवली ने हाल ही में एक न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में दावा किया था कि उनके इस्तीफे के बाद कांग्रेस के 35 पूर्व विधायक उनके समर्थन में आए थे. उनमें से तीन ने बाद में पार्टी से इस्तीफा दे दिया. लवली ने पहले कहा था कि उन्होंने दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमिटी के प्रमुख पद से इस्तीफा दिया है, पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से नहीं।
दिल्ली के कई बड़े नेताओं ने छोड़ा कांग्रेस का साथ
इसके कुछ दिन बाद, उन्होंने आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन और दिल्ली की दो लोकसभा सीटों पर बाहरी उम्मीदवारों का विरोध करते हुए शनिवार को भाजपा का दामन थाम लिया. लवली के नक्शेकदम पर चलते हुए भाजपा में शामिल होने वाले तीन अन्य कांग्रेस नेताओं में पूर्व विधायक राजकुमार चौहान, नीरज बसोया और नसीब सिंह शामिल हैं. बता दें कि कांग्रेस आलाकमान ने देवेंद्र यादव को दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमिटी का नया अध्यक्ष बनाया है. उन्होंने रविवार को आधिकारिक तौर पर पदभार ग्रहण कर लिया।
डीपीसीसी प्रमुख बनने के बाद देवेंद्र यादव ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं और नेताओं से अपील की कि आप सभी का साथ चाहिए, मेरी ताकत बनिए. उन्होंने कहा, ‘जिन साथियों को पहचान नहीं मिल पाती उन्हें पहचान दिलाने का काम करूंगा. इंसान हूं… गलती बताइएगा, मैं मानूंगा और ठीक करके आगे बढ़ेंगे.’ कार्यकर्ताओं से समर्थन की अपील करते हुए देवेंद्र यादव ने कहा कि 25 मई को दिल्ली की 7 सीटों पर मतदान है. यह लोकतंत्र को बचाने का समय है. हमें इस कांग्रेस मां को बचाना पड़ेगा, कोई कसर मत छोड़ देना।
दिल्ली में बीजेपी के लिए अहम हो सकते हैं लवली
बता दें कि अरविंदर सिंह लवली की दिल्ली में एक बड़े नेता की साख है. वह शीला दीक्षित की सरकार में दो बार मंत्री रह चुके हैं. सिखों के बीच उनकी अच्छी पकड़ है. वह वेस्ट दिल्ली में कांग्रेस के सिख मतदाताओं में सेंध लगा सकते हैं. उनके बीजेपी में शामिल होने के बाद तिलक नगर, राजौरी गार्डन जैसे इलाकों में सिख वोटरों के बंटने की संभावना बढ़ गई है. इसी प्रकार चांदनी चौक के मॉडल टाउन, ईस्ट दिल्ली लोकसभा क्षेत्र के जंगपुरा और गांधीनगर में सिख समुदाय की अच्छी संख्या है. वहीं, राजकुमार चौहान खटीक जाति से संबंध रखते हैं. करोल बाग, मादीपुर, हस्तसाल, शिव विहार में वह कांग्रेस को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
अमित मलिक यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके हैं. दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ के प्रेसिडेंट रहे हैं. युवाओं में अब भी उनकी पहुंच है. उनके कांग्रेस छोड़ने से पार्टी को होने वाले नुकसान को नकारा नहीं जा सकता. दो अन्य बागी नेताओं में पूर्व विधायक नसीब सिंह और नीरज बसोया हैं. दोनों गुर्जर समुदाय से हैं. नीरज त्रिनगर के रहने वाले हैं और कस्तूरबा नगर से विधायक रहे हैं. वहीं नसीब सिंह विश्वास नगर से विधायक रहे हैं. इन दोनों के कांग्रेस छोड़ने की वजह से साउथ दिल्ली, ईस्ट दिल्ली और नॉर्थ ईस्ट दिल्ली के गुर्जर वोट में बिखराव हो सकता है. लवली के बीजेपी में शामिल होने से पार्टी को तुरंत कोई फायदा भले ना दिख रहा हो. लेकिन दिल्ली में 7 महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव में सिख वोटरों को साधने के लिहाज से अरविंदर सिंह लवली बीजेपी के लिए अहम हो सकते हैं।
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