नई दिल्ली (New Delhi) । बिना पंचांग देखे शुभ कार्य संपन्न किए जाने वाला अबूझ महामुहूर्त अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya) को माना जाता है. लगभग 61 साल बाद ऐसा संयोग बन रहा है, जब अक्षय तृतीया के दिन विवाह (marriage) का विवाह मुहूर्त नहीं है. सनातन धर्म में अक्षय तृतीया तिथि का विशेष महत्व है। लेकिन इस वर्ष 10 मई को अक्षय तृतीया पर शहनाई नहीं गूंजेगी। ज्योतिषाचार्य के अनुसार 61 साल के बाद ऐसा संयोग बन रहा है जब अक्षय तृतीया पर विवाह, गौना आदि मांगलिक कार्य नहीं होंगे। इस बार अक्षय तृतीया के दिन गुरु और शुक्र अस्त होने के कारण ऐसा होगा। 28 जून को शुक्र ग्रह उदय होंगे। इसके बाद ही शादी और अन्य मांगलिक कार्यों के लिए मुहूर्त निकलेगा।
विवाह के लिए गुरु एवं शुक्र का उदय होना जरूरी होता है। इन दोनों में से किसी एक के भी अस्त होने पर विवाह आदि मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं। लिहाजा इस बार अक्षय तृतीया पर गुरु एवं शुक्र के अस्त होने के कारण विवाह मुहूर्त के लिए जुलाई तक इंतजार करना होगा। 9 जुलाई से शादी की शहनाइयां बजेंगी। जुलाई में विवाह के मुहूर्त 9, 11, 12, 13 एवं 15 तारीख को हैं।
चातुर्मास में चार महीने मांगलिक कार्य बंद
17 जुलाई से चातुर्मास शुरू हो जाएगा। फिर विवाह के लिए चार माह इंतजार करना होगा। 17 जुलाई को देवशयनी एकादशी है। इस दिन से भगवान विष्णु राजा बलि का आतिथ्य स्वीकार करते हुए चार महीने पाताललोक में निवास करते हैं। इस समय को ही चातुर्मास के रूप में जाना जाता है। दीपावली के बाद कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की देवोत्थान एकादशी से विवाह आदि शुरू होंगे।
100 साल बाद अक्षय तृतीया पर गजकेसरी राजयोग बन रहा है। ज्योतिर्विद के अनुसार इस वर्ष अक्षय तृतीया के दिन चंद्रमा और बृहस्पति की युति होने से गजकेसरी योग निर्मित हो रहा है।
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