नई दिल्ली (New Delhi)। इस साल अमरनाथ यात्रा (Amarnaath Pilgrimage) 29 जून से शुरू होगी. 50 दिन की इस यात्रा (Amarnaath Pilgrimage) के लिए पंजीकरण (Registration) 15 अप्रैल से शुरू होगा। इसी बीच पवित्र अमरनाथ गुफा (Holy Amarnath Cave) में हिम शिवलिंग की पहली तस्वीर (First picture of Him Shivalinga) सामने आई है. शिवलिंग हर साल सर्दी के मौसम में हुई बर्फबारी के दौरान अपना आकार लेता है और मई-जून के माह से इसके दर्शन होते हैं. इस साल भी शिवलिंग ने अपना आकार ले लिया है।
इस बार शिवलिंग करीब 8 फीट ऊंचा है. अमरनाथ यात्रा के दौरान अमरनाथ गुफा में बनने वाले इस शिवलिंग के दर्शन और पूजन के लिए देश भर से लाखों की तादाद में श्रद्धालु अमरनाथ आते हैं. इस साल अमरनाथ यात्रा 29 जून से शुरू हो रही है. यात्रा करीब 50 दिन तक चलेगी, जो कि इस साल रक्षाबंधन के दिन 19 अगस्त को संपन्न होगी।
यात्रा के लिए यहां से कराएं रजिस्ट्रेशन
इस साल अमरनाथ यात्रा 29 जून से शुरू होगी. 50 दिन की इस यात्रा के लिए पंजीकरण (Registration) 15 अप्रैल यानि सोमवार से शुरू होगा. यात्रा 19 अगस्त को सावन पूर्णिमा को खत्म होगी. जो भी श्रद्धालु इस यात्रा पर जाना चाहते हैं वो आधिकारिक वेबसाइट https://jksasb.nic.in पर पंजीकरण करा सकते हैं।
वार्षिक यात्रा दो मार्गों से होती है – अनंतनाग जिले में पारंपरिक 48 किलोमीटर लंबा नुनवान-पहलगाम मार्ग और गांदरबल जिले में 14 किलोमीटर छोटा और संकरा बालटाल मार्ग. यात्रा का आयोजन जम्मू-कश्मीर सरकार और श्री अमरनाथ जी श्राइन बोर्ड के संयुक्त सहयोग से किया जाता है।
कहां है अमरनाथ
अमरनाथ मंदिर को हिंदुओं के सबसे पवित्र मंदिरों में से एक माना जाता है और इसके साथ कई किंवदंतियां जुड़ी हुई हैं. इस मंदिर को 51 शक्तिपीठों (वे स्थान जहां देवी सती के शरीर के अंग गिरे थे) में रखा गया हैं. साथ ही इसे उस स्थान के रूप में भी वर्णित करते हैं जहां भगवान शिव ने देवी पार्वती को जीवन और अनंत काल का रहस्य सुनाया था. इस मंदिर का अधिकांश भाग सालों भर बर्फ से घिरा रहता है. गर्मी के मौसम में मंदिर को बहुत कम समय के लिए खोला जाता है।
गिरते पानी की बूंदों से बनता है शिवलिंग
श्रद्धालुओं को 40 मीटर ऊंची इस गुफानुमा मंदिर तक पहुँचने के लिए लगभग 35 से 48 किमी की यात्रा करनी पड़ती हैं, इस गुफा में गिरते पानी की बूंदों से शिवलिंग बनता है.अमरनाथ मंदिर की गुफा 12,756 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. यह तीर्थयात्रा अपने जगह और पर्यावरण के कारण एक कठिन ट्रैक है. मंदिर के दर्शन करने के इच्छुक भक्तों को ऊंचाई और दूरी को तय करने के लिए अच्छी सेहत में होना जरूरी है।
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