नई दिल्ली । केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार (Narendra Modi Government at Center) नए सेना प्रमुख की नियुक्ति के लिए (For appointment of New Army Chief) जनरल विपिन रावत फार्मूला (General Vipin Rawat Formula) अपनाएगी (Will Adopt) । माना जा रहा है कि मोदी सरकार अतीत के फैसलों से सबक लेते हुए, अब एक बार फिर जनरल विपिन रावत फार्मूला लागू कर सकती है। इस बात को लेकर सेना भवन में चर्चा भी गरम है।
असल में सरकार ने जनरल बिपिन रावत को आउट ऑफ़ टर्न सेना प्रमुख बनाया था। हालांकि सेना के अफसरों ने इसका विरोध किया था,लेकिन जनरल विपिन रावत ने जो शानदार काम किया और जो नतीजे दिए, उसको देखते हुए अब एक बार फिर मोदी सरकार जनरल विपिन्न रावत के फार्मूले को लागू कर सकती है। दरअसल सरकार ने अतीत में वरिष्ठता सूची को तवज्जो देते हुए सेना प्रमुख की नियुक्ति की थी, लेकिन सेना प्रमुख वह परिणाम नहीं दे सके और उस दौरान सेना को लेकर कई विवाद भी हुए थे।
जनरल विपिन रावत को वरिष्ठता सूची को दरकिनार कर सेना प्रमुख के पद पर नियुक्त किया था। हालांकि बाद में मोदी सरकार ने दबाव को देखते हुए और सेना की बात को मानते हुए एक के बाद एक दो सेना प्रमुख सेना के वरिष्ठता के फ़ार्मूले के आधार पर बनाए । इनमें पहले जनरल एम एम नरवने और फिर जनरल मनोज पांडे को बनाया गया। इन दोनों का कार्यकाल बिना किसी उपलब्धि के ख़त्म हो गया और मोदी सरकार को दोनों ही जनरल कोई बड़े रिजल्ट नहीं दे सके। यहां तक पूर्व सेना प्रमुख जनरल नरवने ने तो सरकार की अग्निवीर योजना पर ही सवाल खड़े कर दिए। वहीं जनरल मनोज पांडे ने भी अग्निवीर नीति को लेकर बहुत अच्छा काम नहीं किया। जबकि अग्निवीर योजना मोदी सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट रही है।
वहीं अब एक बार फिर मोदी सरकार को अगला सेना प्रमुख चुनना है, लेकिन माना जा रहा है कि सरकार एक बार फिर जनरल विपिन रावत वाले फार्मूले को लागू करने पर विचार कर रही है। अगर वरिष्ठता क्रम की बात करें तो जनरल उपेन्द्र द्विवेदी इस मामले में सबसे आगे हैं। पर सेना के उत्तरी कमान के प्रमुख होने के नाते उनका कार्यकाल बहुत उल्लेखनीय नहीं रहा और वह सरकार की उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे। सेना भवन में इस बात को लेकर चर्चा चल रही है कि सरकार वरिष्ठता क्रम को दरकिनार कर फिर से किसी काबिल और रिजल्ट देने वाले अफसर को सेना की कमान दे सकती है। असल में देश की सीमा पर अभी चारों ओर से खतरा बढ़ा है और सरकार किसी तेजतर्रार माने जाने वाले अफसर को सेना प्रमुख बना सकती है।
इस मामले में वरिष्ठ पत्रकार दीपक उपाध्याय कहते हैं कि मोदी सरकार को सेना प्रमुख जैसे अहम पद के लिए कठोर फैसले लेने होंगे। सरकार जनरल विपिन रावत मामले में इस तरह का फैसला लेचुकी है और इसके रिजल्ट भी पूरे देश ने देखें। वर्तमान में देश की सीमा पर अभी खतरा बढ़ा है। पाकिस्तान में सेना समर्थित सरकार है और चीन की सीमा पर लगातार चुनौतियां देखी जा रही हैं। लिहाजा सरकार को भी वरिष्ठता दरकिनार कर ऐसे अफसर को नियुक्त करना चाहिए जो रिजल्ट दे सके और मौजूदा चुनौतियों में दुश्मन मुल्कों को परास्त करने के साथ ही सेना के मनोबल को भी बढ़ाए।
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