नई दिल्ली (New Delhi) । पिछले दो साल से ज्यादा समय से चल रहे रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine war) के बीच अब रूस की इस हरकत से अमेरिका और फ्रांस बौखला उठे हैं। दरअसल, रूस पर यूक्रेनी सैनिकों (Ukrainian soldiers) पर रासायनिक गैस (chemical gas) का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया गया है। अमेरिका इस संबंध में मॉस्को को बातचीत की मेज पर लाना चाह रहा है। अमेरिका का दावा है कि युद्ध के मैदान में रूस क्लोरोपिक्रिन का इस्तेमाल कर रहा है। आरोप है कि रूस नाइट्रोक्लोरोफॉर्म का भी उपयोग कर रहा है जिसका उपयोग आंसू गैस के रूप में किया जाता है।
नाइट्रोक्लोरोफॉर्म को ‘दंगा नियंत्रण एजेंट’ भी कहा जाता है। इस गैस का उपयोग विभिन्न देशों में अवैध जमावड़ों को तितर-बितर करने के लिए किया जाता है। यह गैस आंखों से लगातार पानी आना, आंखों में जलन, त्वचा पर चकत्ते जैसे लक्षण पैदा करती है। हालांकि, अगर इस गैस का अधिक मात्रा में उपयोग किया जाए तो यह फेफड़ों को नुकसान पहुंचा सकती है।
सैनिकों को पहनना पड़ रहा मास्क
रूस पर आरोप है कि रूसी सेना इस गैस का इस्तेमाल यूक्रेनी सेना को तितर-बितर करने के लिए कर रही है। रूस का दावा है कि रूस इस गैस से दुश्मन खेमे की सेना पर काबू पाकर युद्ध के रणनीतिक क्षेत्र में अपना योगदान दे रहा है। अमेरिका के मुताबिक युद्ध के मैदान में सैनिक आर्मी बेस में जमे हुए हैं। अगर इस गैस का इस्तेमाल वहां कम दूरी में किया जाए तो दम घुटने से सैनिकों की मौत हो सकती है। यूक्रेन के रक्षा मंत्रालय ने संभावित नुकसान से बचने के लिए सैनिकों को मास्क पहनने की सलाह दी है।
रूस की हरकत पर बौखलाया फ्रांस
हालांकि, रूस ने अपने ऊपर लगे इन आरोपों को निराधार बताते हुए खारिज कर दिया। हालांकि, यूरोप अमेरिका की मांग को हल्के में नहीं ले रहा है। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन ने धमकी दी है कि अगर रूस ने ताकत दिखाई और यूक्रेन ने कहा तो फ्रांस अपनी जमीनी सेना उतार देगा। अमेरिका का दावा है कि व्लादिमीर पुतिन का देश युद्ध में इन रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल करके रासायनिक हथियार सम्मेलन (सीडब्ल्यूसी) की शर्तों का उल्लंघन कर रहा है।
प्रथम विश्व युद्ध में हुआ था इस्तेमाल
रूस का जवाबी दावा यह है कि वे लंबे समय से सीडब्ल्यूसी का अनुपालन कर रहा है। इस समझौते पर 193 देशों ने हस्ताक्षर किया है। इसके लिए विशिष्ट एजेंसियां तैयार की गई हैं जो इस बात का ख्याल रखती हैं कि इस समझौते से जुड़ा देश नियमों का अनुपालन कर रहा है या नहीं। अमेरिका ने जिस रसायन का नाम क्लोरोपिक्रिन रखा, उसका प्रयोग प्रथम विश्व युद्ध में किया गया था। यह एक तैलीय पदार्थ है। अगर यह शरीर में प्रवेश कर जाए तो उल्टी होने लगती है। साथ ही दस्त और चक्कर आने जैसी समस्याएं भी देखने को मिलती हैं।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved