डेस्क: पाकिस्तान के स्कूली बच्चों को पाकिस्तान का शिक्षा विभाग हिंदुओं को काफिर और इंसानियत का दु्श्मन बताने में लगा है. स्कूली बच्चों की किताबों में जैन, बौद्ध, सिख और हिंदुओं के खिलाफ या तो गलत जानकारी लिखी गई है या इनके खिलाफ लिखा गया है. पाकिस्तान के कुछ युवाओं ने इसपर 2021 में बीबीसी से बात की थी. इनका आरोप था कि पाकिस्तान की सरकार यह सब जानबूझकर कर रही है, जिससे पाकिस्तान के बच्चों में हिंदुओं और सिखों के प्रति गलत धारणा बन सके.
पाकिस्तान की एक लड़की ने बीबीसी को बताया कि जब वह स्कूल टाइम में सोशल स्टडी की बुक पढ़ती थी तो उसमें लिखा था कि हिंदू लोग महिलाओं का सम्मान नहीं करते हैं. पुराने जमाने में वो अपनी बेटियों को मार देते थे और जमीन में दफन कर देते थे. एक दूसरे पाकिस्तानी युवक ने बताया कि उसके भांजे को स्कूल में पढ़ाया गया कि काफिर का मतलब मूर्तियों की पूजा करने वाला होता है. जब वह घर आया तो अपने पिता से पूछा कि क्या हम काफिर हैं?
स्कूली बच्चों की किताबों में हिंदुओं के खिलाफ जानकारी
पाकिस्तान के एक युवक ने बताया कि 11वीं और 12वीं के लिए एक किताब है, जिसमें लिखा है कि ‘इंसानी दुश्मन हिंदुओं और सिखों ने हजारों क्या लाखों महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों की बेदर्दगी से कत्ल किया.’ इस वाक्य पर सवाल खड़ा करते हुए युवक ने कहा कि इससे साफ हो जाता है कि ये हिंदुओं और सिखों को इंसानियत का दुश्मन बताना चाह रहे हैं. युवक ने कहा कि जब भी कोई फसाद होती है, उसमें हमले दोनों तरफ से होते हैं, लेकिन यहां पर सिर्फ एक तरफ के फसाद को बताया गया है. इससे इनकी मंशा साफ हो जाती है कि ये हिंदुओं और सिखों के खिलाफ बच्चों के जहन में जहर भरना चाह रहे हैं.
पाकिस्तान में हिंदुओं को बताया जा रहा धोखेबाज
एक दूसरे पाकिस्तानी युवक ने बताया कि उसके हाथ में आठवीं क्लास की किताब है, जिसमें लिखा है कि मुसलमानों ने आजादी के समय हिंदुओं का साथ दिया. लेकिन बाद में हिंदुओं ने मुसलमानों को साथ धोखा किया. इस वाक्य पर सवाल उठाते हुए युवक ने कहा कि यहां पर किसी संस्था या पार्टी को कोट किया जा सकता था, लेकिन पूरे हिंदू समुदाय को धोखा करने वाला बताने के पीछे क्या वजह है?
हिंदुओं के पहनावे पर सवाल
पाकिस्तानी लड़की ने कहा कि ‘मैं जिस देश में रही हूं वहां मेरी मुसलमान लड़कियां ही दोस्त हैं, क्योंकि वहां ज्यादा मुसलमान ही हैं. मैं तो सभी के त्यौहारों को मिलकर मनाती हूं तो भला दुश्मन कैसे हो सकती हूं?’ एक दूसरी किताब का उदारण देते हुए पाकिस्तानी युवक ने बताया कि इसमें हिंदुओं के पहनावे को लेकर गलत जानकारी दी गई है. शख्स ने कहा कि पहनावा तो कल्चर का हिस्सा है, इसपर पाबंदी की बात करना कहां तक उचित है?
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