इंदौर। देश के नामी मसाला ब्रांड एमडीएच और एवरेस्ट के मसालों में चार मसालों में सिंगापुर में जांच के दौरान कीटनाशक पाए गए। इस पर सिंगापुर और बाद में हांगकांग ने भी इन मसालों पर रोक लगा दी है। इसके बाद अमेरिका सहित अन्य देश भी भारतीय मसालों की जांच कर रहे हैं। इस बीच फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथोरिटी ऑफ इंडिया (एफएसएसएआई) द्वारा पूरे देश में मसालों की जांच के आदेश दिए हैं। इंदौर में भी आज से ही यह जांच शुरू होगी।
उल्लेखनीय है कि सबसे पहले सिंगापुर ने एमडीएच मसालों के तीन मसाले और एवरेस्ट का एक मसाला जांच में सही नहीं पाए जाने पर बैन किया था। इसके बाद हांगकांग में भी यही पाया गया और यहां भी इन मसालों पर रोक लगा दी गई। इस आधार पर दोनों देशों ने इन मसालों पर रोक लगा दी है। इसे देखते हुए अमेरिका सहित अन्य देश भी भारतीय मसालों में कीटनाशकों की जांच करवा रहे हैं। दो देशों द्वारा मसालों पर रोक लगाने के बाद पिछले दिनों एफएसएसएआई द्वारा भारत में भी इन मसालों की जांच के आदेश दिए थे, जो प्रक्रिया में है। इसी बीच एफएसएसएआई ने पूरे देश में सभी मसालों की जांच का अभियान शुरू करने के आदेश जारी कर दिए हैं।
फसलों पर छिडक़ा कीटनाशक मसालों के साथ पैकेटों में घरों तक पहुंचा
विशेषज्ञों का कहना है कि मसालों में कीटनाशक मिलना कोई नई बात नहीं है, न ही यह निर्माता कंपनियों द्वारा मिलाया जा रहा है, क्योंकि इसका कोई मतलब ही नहीं है। यह मूलत: खेतों में फसलों को कीटों से बचाने के लिए छिडक़ा जाता है, वहीं से मसाले कच्चे माल के रूप में निर्माता कंपनी तक पहुंचते हैं और तैयार होकर घरों तक जाते हैं। इसके लिए जरूरी है कि किसानों को कीटनाशकों के उपयोग के संबंध में जागरूक किया जाए, क्योंकि एक लिमिट तक इसकी अनुमति होती है, लेकिन लिमिट से ज्यादा होने पर यह हानिकारक हो जाता है। आप किसी भी खाद्य सामग्री जैसे अनाज या सब्जियों में जब कीटनाशक की जांच करवाएंगे तो इसका पाया जाना तय है।
इन मसालों पर लगी रोक
सिंगापुर और हांगकांग में मसालों की जांच में कीटनाशक पाए जाने पर इन देशों के फूड डिपार्टमेंट ने कहा था कि एमडीएच ग्रुप के तीन मसाले मिक्स- मद्रास करी पाउडर, सांभर मसाला पाउडर और करी पाउडर में एथिलीन ऑक्साइड की मात्रा ज्यादा पाई गई है, वहीं एवरेस्ट के फिश करी मसाला में भी कार्सिनोजेनिक पेस्टिसाइड पाया गया है। इनके आयात और बिक्री पर रोक लगा दी गई है।
हर मसाले के लेना होंगे दो सैंपल
एफएसएसएआई द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि अधिकारी हर मसाले के दो सैंपल लें। सैंपल मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट के साथ ही रिटेल स्टोर्स से भी लिए जाएं। एक सैंपल को राज्य खाद्य प्रयोगशाला भेजें, वहीं दूसरे सैंपल को शासन द्वारा अधिकृत लैब में भेजें जहां इनमें कीटनाशक सहित अन्य रसायनों की जांच हो सके। इनमें खासतौर पर एथिलीन ऑक्साइड की जांच करने के निर्देश दिए गए हैं।
भारत में नहीं होती है यह जांच
अधिकारियों ने बताया कि भारत में मसालों में मिलावट आदि की जांच जरूर होती है, लेकिन आमतौर पर मसालों में कीटनाशकों या अन्य रसायनों की जांच नहीं होती है। इसलिए ही यह बात कभी सामने नहीं आई। सिंगापुर और हांगकांग में जब यह जांचें की गर्इं तो गड़बड़ी सामने आई है, जिसके बाद अब भारत में भी विशेष रूप से यह जांच करवाई जा रही है।
कैंसर जैसी घातक बीमारियां हो सकती हैं
खाद्य पदार्थों में कीटनाशकों का उपयोग मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। मसालों में जिस तरह के रसायन तय सीमा से अधिक मिले हैं, ये ज्यादा और लगातार उपयोग करने पर पेट, लिवर, किडनी, त्वचा के रोगों से लेकर कैंसर तक का कारण बन सकते हैं। भारत में लोक स्वास्थ्य के लिए खाद्य पदार्थों की जांच में कीटानाशक की जांच को अनिवार्य किया जाना चाहिए, साथ ही शासन को किसानों को जागरूक करने के लिए अभियान चलाना चाहिए। – डॉ एसएल गर्ग, वरिष्ठ रसायनशास्त्री
आज से ही शुरू होगा अभियान
एफएसएसएआई के आदेश पर प्रदेश मुख्यालय से सभी जिलों को मसालों की जांच के आदेश मिले हैं। इंदौर में आज से ही यह जांच शुरू की जा रही है। इसमें निर्माण यूनिट के साथ ही रिटेल स्टोर्स से भी सैंपलिंग की जाएगी और उन्हें जांच के लिए भेजा जाएगा। रिपोर्ट्स आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। – मनीष स्वामी, मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी, इंदौर
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved