इन्दौर, राजेश ज्वेल। नगर निगम (Municipal council) में उजागर हुए 107 करोड़ के महाघोटाले (mega scam) का खुलासा अग्निबाण (Agniban) द्वारा रोजाना किया जा रहा है,जिसमें एक भगोड़े ठेकेदार राहुल वडेरा (Contractor Rahul Vadera) के आलिशान बंगले (house) पर आज सुबह एमजी रोड पुलिस ने छापा मारा *raided) और कई दस्तावेज, जमीन की रजिस्ट्री और बंगले के बाहर खड़ी दो गाड़ियों सहित अन्य सामग्री को जांच के लिए अपने कब्जे में लिया। निगम के इस महाघोटाले में पुलिस को पांच ठेकेदारों की तलाश है, जो एफआईआर दर्ज होने के बाद से फरार हैं और उन पर दस हजार रुपए का इनाम भी घोषित कर रखा है। आज पुलिस अन्य ठेकेदार साजिद सिद्दीकी के मदीना नगर स्थित मकानों की भी तलाशी लेगी।
एसीपी विनोद दीक्षित और थाना एमजी रोड टीआई विजयसिंह सिसौदिया ने बताया कि पिछले दिनों निगम की शिकायत पर पांच ठेकेदार फर्मों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी, जिसमें ग्रीन कंस्ट्रक्शन, किंग कंस्ट्रक्शन, नीव कंस्ट्रक्शन के अलावा क्षितिज इंटरप्राइजेस, जानवी इंटरप्राइजेस शामिल है। इनमें जानवी और क्षितिज इंटरप्राइजेस के कर्ताधर्ता राहुल वडेरा और उनकी पत्नी रेणु वडेरा हैं। यह सभी पांचों आरोपी फरार है, वहीं राहुल और रेणु वडेरा के करोड़ों रुपए के बंगले की जानकारी भी पुलिस को अग्निबाण द्वारा किए गए खुलासे के चलते मिली। यह बंगला निपानिया स्थित अपोलो डीबी सिटी अपटाउन के भूखंड क्रमांक डी-45 पर मौजूद है। आज सुबह एसीपी दीक्षित, टीआई सिसौदिया ने पुलिसबल के साथ वडेरा के इस बंगले पर छापा मारा और घोटाले से जुड़े सबूतों, दस्तावेजों को हासिल करने के प्रयास किए। पुलिस दल को इस बंगले से कुछ फाइलें मिली हैं और एक पेनड्राइव भी जब्त हुई। वहीं आरोपियों के पासपोर्ट, बैंक की पासबुक और जिस भूखंड पर बंगला बना है, उसकी रजिस्ट्री सहित नगर निगम का नक्शा और अन्य कुछ दस्तावेज मिले हैं। वहीं पुलिस को बंगले के बाहर खड़ी दो गाड़ियां भी मिली है, जिन्हें भी जब्त कर लिया है। इसमें एक गाड़ी इनोवा और दूसरी होंडा सिटी की है। पुलिस अन्य तीन आरोपियों के मदीनानगर के मकानों की तलाशी भी लेगी। उल्लेखनीय है कि नगर निगम का यह चर्चित महाघोटाला 107 करोड़ रुपए तक पहुंच गया है, जिमसें 188 फाइलें शामिल हैं और लगभग 80 करोड़ रुपए का भुगतान ठेकेदारों ने फर्जी फाइलों, बिलों के जरिए हासिल भी कर लिया। फिलहाल निगम की लेखा शाखा ने 178 फाइलें सिर्फ ड्रेनेज विभाग की ही 2015 से लेकर अभी तक की निकाली है, जिसमें 102 करोड़ रुपए के कागजी काम करना बताए गए, वहीं दस फाइलें 5 करोड़ रुपए के काम की अलग से है। निगम द्वारा अब इन 188 फाइलों और इनमें लगाये गए फर्जी बिलों की जांच कर रही है, वहीं 20 फर्जी फाइलों, जिसमें 28 करोड़ रुपए का घोटाला हुआ, उसकी एफआईआर एमजी रोड थाने पर दर्ज कराई गई। तत्पश्चात पुलिस ने अपनी जांच में अन्य मामलों से जुड़ी 13 असल फाइलें भी जब्त की, जिसमें 4 करोड़ रुपए का भुगतान करना पाया गया और 17 करोड़ रुपए से अधिक के बिल भी मिले। उसके बाद जब निगमायुक्त शिवम वर्मा द्वारा गठित की गई जांच समिति ने अपनी जांच शुरू की तो उसमें पता चला कि बीते 9 सालों में पांचों फर्मों द्वारा 188 फाइलों के जरिए 107 करोड़ रुपए के काम करना बताए गए और इनमें से लगभग 80 करोड़ रुपए का भुगतान हो चुका है।
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