इंदौर: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) लोकसभा चुानव (Lok Sabha Elections) के लिए दो चरणों में 12 लोकसभा सीटों पर मतदान (Voting) हो चुका है. अब तीसरे चरण (Third Phase) में प्रदेश की आठ लोकसभा सीटों के लिए 7 मई को मतदान होना है. तीसरे चरण में शामिल मुरैना, भिंड, ग्वालियर, गुना, सागर, विदिशा, भोपाल, राजगढ़ और बैतूल लोकसभा सीट पर चुनाव होना है. ऐसे में प्रदेश की राजनीति (Politics) के तीरंदाज माने जाने वाले दो पूर्व मुख्यमंत्री, एक केंद्रीय मंत्री सहित पूर्व विधायक सांसद अपनी किस्मत आजमा रहे हैं.
राजगढ़ लोकसभा सीट
मध्य प्रदेश में दो चरणों की वोटिंग के बाद प्रदेश की सबसे हॉट सीट राजगढ़ लोकसभा पर लोगों की वजरें टिकी हुई है. यहां 10 वर्षों तक मुख्यमंत्री और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहे दिग्विजय सिंह चुनाव मैदान में हैं, जबकि बीजेपी ने रोडमल नागर को चुनाव मैदान में उतारा है. बता दें इस सीट से दोनों उम्मीदवार दो-दो बार सांसद रह चुके हैं, अब दोनों के बीच पहला मुकाबला हो रहा है.
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि एक समय तक राजगढ़ कांग्रेस की सीट मानी जाती थी, लेकिन पिछले कुछ सालों से यह बीजेपी के कब्जे में है. ऐसे में इस बार कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को मैदान में उतारा है, जिससे कांटे की टक्कर देखने को मिली रही है. एक ओर जहां बीजेपी को मोदी लहर का सहारा है वहीं कांग्रेस ने दिग्विजय सिंह पर भरोसा जताया है.
विदिशा लोकसभा सीट
वहीं प्रदेश की दूसरी हॉट सीट विदिशा है, जहां से सर्वाधिक समय तक प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे शिवराज सिंह चौहान चुनाव मैदान में है और उनका मुकाबला कांग्रेस के प्रताप भानु शर्मा से है. दोनों ही उम्मीदवार विदिशा सीट से सांसद रह चुके हैं. शिवराज सिंह चौहान जहां लगातार सक्रिय राजनीति में बने रहे और विदिशा से हमेशा जुड़े रहे हैं.
वहीं, प्रताप भानु शर्मा पिछले दो दशक से किसी महत्वपूर्ण पद पर नहीं रहे और ना ही बीच में कोई चुनाव लड़े. इस कारण उन्हें चुनाव मैनेजमेंट में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है, जबकि शिवराज सिंह चौहान को लेकर कयास लगाया जा रहा है कि नवो यहां से रिकॉर्ड बनाएंगे. बता दें शिवराज सिंह चौहान टिकट घोषित होने के बाद से ही विदिशा क्षेत्र में सक्रिय है.
गुना लेकसभा सीट
गुना लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेस से बीजेपी में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया इस बार बीजेपी उम्मीदवार के रूप में चुनाव मैदान में हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव में वो कांग्रेस के टिकट पर चुानव लड़े थे, लेकिन उन्हें बीजेपी के केपी यादव से हार मिली थी. वहीं इस बार सिंधिया किसी भी रिस्क न लेते हुए टिकट मिलने के बाद से ही गुना शिवपुरी क्षेत्र में सक्रिय हैं.
उनके समर्थक भी क्षेत्र में डेरा डाले हुए हैं. वोटिंग के नजदीक आते ही उनकी पत्नी और बेटा भी प्रचार अभियान में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं. कांग्रेस में यहां जातीय समीकरणों के तहत राव यादवेंद्र सिंह को मैदान में उतारा है, जिससे यादव वोट बैंक को साधा जा सके.
सागर लोकसभा सीट
सागर लोकसभा सीट पर बीजेपी ने भाजपा महिला मोर्चा की पूर्व प्रदेश अध्यक्ष लता वानखेड़े को चुनाव मैदान में उतारा है. वहीं कांग्रेस ने उनके मुकाबले के लिए ललितपुर के गुड्डू राजा बुंदेला को प्रत्याशी बनाया है. सागर की आठ विधानसभा सीटों में से सात पर बीजेपी के विधायक हैं और सभी विधायकों को अपने-अपने विधानसभा क्षेत्र में बढ़त बनाने के लिए कहा गया है.
मुरैना लोकसभा सीट
मुरैना लोकसभा सीट पर बीजेपी के शिवमंगल सिंह के खिलाफ कांग्रेस ने पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष पूर्व विधायक सत्यपाल सिंह को मैदान में उतारकर मुकाबले को रोचक बना दिया है. 2019 में यहां से बीजेपी के नरेंद्र सिंह तोमर को जीत हासिल हुई थी, लेकिन इस बार उनका टिकट कट गया है.
भिंड लोकसभा सीट
वहीं भिंड लोकसभा में सांसद संध्या राय को बीजेपी ने दूसरी बार टिकट दिया है. जबकिकांग्रेस ने बसपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और भाडेर से विधायक फूल सिंह बरैया को मैदान में उतारा है. यहां भी जाति समीकरणों के चलते मुकाबला रोचक हो गया है.
ग्वालियर लोकसभा सीट
ग्वालियर में बीजेपी ने जहां पूर्व मंत्री भारत सिंह कुशवाहा को मैदान में उतारा है. वहीं कांग्रेस ने पूर्व विधायक प्रवीण पाठक को टिकट देकर मुकाबला को जातीय आधार पर कर दिया है.
भोपाल लोकसभा सीट
तीसरे चरण में ही राजधानी भोपाल में चुनाव होने जा रहा है जो बीजेपी का गढ़ बन चुका है. 2019 के लोकसभा चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को साध्वी प्रज्ञा सिंह ने साढे तीन लाख वोटो से मात दी थी. बीजेपी ने इस बार पूर्व महापौर आलोक शर्मा को टिकट दिया है. वहीं कांग्रेस ने पार्टी के पूर्व जिला अध्यक्ष और अधिवक्ता अरुण श्रीवास्तव को मैदान में उतर कर नई जाति समीकरण के सहारे चुनाव लड़ने की रणनीति बनाई है.
यहां कांग्रेस ग्रामीण क्षेत्र पर भी जोर दे रही है, जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का रोड शो के बाद बीजेपी की सक्रियता बढ़ी है. बता दें राजनीतिक दलों की तमाम कोशिशों के बाद भी दोनों चरणों में मतदान प्रतिशत 2019 की अपेक्षा कम ही रहा. एक बार फिर तीसरे चरण में मतदान प्रतिशत बढ़ाने की कोशिशें तेज हो गई है. इन सीटों पर दिग्गज नेताओं के मैदान में होने से मतदान प्रतिशत बढ़ाने की उम्मीद भी लगाई जा रही है.
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