इस्लामाबाद: भारत (India) और पाकिस्तान (Pakistan) के बीच कड़वाहट की दास्तान तो देश के बंटवारे (sharing) के बाद से ही चली आ रही है लेकिन एक दिल ने दोनों की दूरी को कुछ पलों के लिए खत्म कर दिया है। भारत के डॉक्टरों (doctors) ने पाकिस्तान की लड़की (girl) के सीने में जब हिंदुस्तानी लड़के (hindustani boys) का दिल (heart) धड़काया तो पाकिस्तानी भी इसके मुरीद हो गए। कराची (karachi) की रहने वाला आयशा रशन (Ayesha Rashan) पिछले 5 सालों से दिल की बीमारी से पीड़ित थीं। 2019 में वह इलाज के लिए भारत आईं। डॉक्टरों ने उन्हें पेस मेकर लगाया लेकिन वापस पाकिस्तान पहुंचने के बाद फिर उन्हें दिक्कत आने लगी। इसके बाद डॉक्टरों ने आयशा को हृदय प्रत्यारोपण कराने की सलाह दी। आखिरकार आयशा के लिए एक भारतीय लड़के का दिल मैच हुआ जिसके बाद चेन्नई के अस्पताल में उनका हार्ट ट्रांसप्लांट किया गया। खास बात ये रही है कि इस ट्रांसप्लांट के लिए आयशा से डॉक्टरों ने एक भी पैसा नहीं लिया। ये खबर पाकिस्तान में पहुंचने के बाद हर कोई भारतीय डॉक्टरों का फैन हो गया है।
पाकिस्तान की यूट्यूबर आरजू काजमी के कार्यक्रम में पाकिस्तानी एक्सपर्ट साजिद तरार ने कहा भारतीय डॉक्टरों ने जो किया है, उसके लिए पूरे पाकिस्तान को भारत का शुक्रिया अदा करना चाहिए। तरार ने पाकिस्तानी लड़की की सर्जरी करने वाले डॉक्टर केआर बालाकृष्णन और डॉक्टर सुरेश राव को अपना हीरो बताते हुए कहा, मेरा दिल करता है कि जाकर उनके हाथ चूम लूं। उन्होंने न सिर्फ इस बच्ची का इलाज किया बल्कि उसका 35 लाख का खर्च भी अपनी जेब से दिया। तरार ने कहा, हर पाकिस्तानी को डॉ. बालाकृष्णन का इंटरव्यू सुनना चाहिए, जहां उन्होंने पाकिस्तानी बच्ची को अपनी बच्ची की तरह बताया है।
कराची जा रहा भारतीय दिल
तरार ने कहा, भारत के लोग किस तरह मोहब्बत से भरे हुए हैं, ये घटना उसका सबूत है। उन्होंने कहा कि वे खुद भारत जाकर देख चुके हैं। उन्होंने कहा, इससे ज्यादा बड़ी बात क्या हो सकती है कि एक पाकिस्तानी बच्ची किसी भारतीय का दिल लेकर कराची आ रही है। तरार ने कहा कि अब वो लड़की कह सकती है कि दिल है हिंदुस्तानी। उन्होंने पाकिस्तान से लोगों से अपील की कि वे इसे देखें और इस बात को समझें कि भारत उनके लिए कितना अच्छा है। पाकिस्तान के लोगों को भारत से रिश्ते ठीक करने पर जोर देना चाहिए।
हिंदुस्तानी लड़के का दिल हुआ मैच
2019 में कार्डियक अरेस्ट के बाद आयशा पहली बार भारत आई थी। उस समय डॉक्टर बालाकृष्णन ने हॉर्ट ट्रांसप्लांट की सलाह दी थी। इसके बाद आयशा को डोनर की वेट लिस्ट में रखा गया। डोनर मिलने में समय था लेकिन आयशा का दिल ठीक स्थिति में नहीं था। ऐसे में डॉक्टरों ने उन्हें बाईं तरफ पेसमेकर लगा दिया। 2023 में उनके दिल में दाईं तरफ भी समस्या आ गई। आयशा की मां ने बताया कि अपनी बच्ची को इस तरह से देखना असह्य था।
आयशा के परिवार ने भारत में डॉक्टरों से बात की और बताया कि वो सर्जरी का खर्च उठाने में सक्षम नहीं हैं। इसके बाद डॉक्टरों ने उन्हें भारत आने के लिए कहा। डॉक्टर बालाकृष्णन बच्ची को ठीक करने का इरादा कर चुके थे लेकिन अब समस्या डोनर की थी। आखिरकार 31 जनवरी को ये इंतजार खत्म हुआ जब चेन्नई के एमजीएम हेल्थकेयर से एक फोन काल आयशा के परिवार को पहुंची। उन्हें बताया गया कि आयशा के लिए एक ब्रेन डेड मरीज का हार्ट मिल गया है।
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