भोपाल (Bhopal)। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय (Madhya Pradesh High Court) की इंदौर खंडपीठ (Indore Bench) के आदेश पर धार की ऐतिहासिक भोजशाला (historical Bhojshala of Dhar ) में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) विभाग (Archaeological Survey of India (ASI) Department ) का सर्वे (Survey) बुधवार को 34वें दिन भी जारी रहा। एएसआई के 24 अधिकारियों की टीम 29 श्रमिकों के साथ सुबह आठ बजे भोजशाला परिसर में पहुंची और शाम पांच बजे बाहर आई। इस दौरान आधुनिक उपकरणों के जरिए वैज्ञानिक पद्धति से करीब नौ घंटे काम किया गया। सर्वे टीम के साथ हिंदू पक्ष के गोपाल शर्मा, आशीष गोयल और मुस्लिम पक्ष के अब्दुल समद खान भी मौजूद रहे।
भोजशाला परिसर में पिछले दो दिनों से उत्तर और दक्षिण क्षेत्र में खुदाई चल रही थी, जिसे ही बुधवार को आगे बढ़ाया गया। हिंदू पक्षकार गोपाल शर्मा और मुस्लिम पक्षकार अब्दुल समद के मुताबिक सर्वे टीम द्वारा भोजशाला के भीतरी परिसर में पांच स्थानों पर व बाहरी परिसर में उत्तर व दक्षिण में मिट्टी हटाने का काम किया गया। टीम ने कमाल मौलाना दरगाह परिसर में भी अवशेषों की क्लीनिंग के साथ शिलालेख को पेपर स्टांप की सहायता से पेपर रोल पर उकेरा। दरगाह परिसर में कुछ स्थानों पर नपती भी की गई। महत्वपूर्ण यह रहा कि अब तक खुदाई के दौरान मिले अवशेषों का पूरे दिन केमिकल ट्रीटमेंट किया गया। इससे अब अवशेषों के काल का पता लगाया जाएगा। कुछ अवशेषों को प्रयोगशाला में जांच के लिए भी भेजा जाएगा।
दरअसल, न्यायालय के आदेश पर भोजशाला में ज्ञानवापी की तर्ज पर एएसआई द्वारा सर्वे किया जा रहा है। एएसआई को 29 अप्रैल को हाईकोर्ट में सर्वे रिपोर्ट करना है। हालांकि, अभी काम बहुत कम हो सका है। इसलिए सर्वे की अवधि भी बढ़ाने की कवायद चल रही है। एएसआई ने सर्वे की अवधि बढ़ाने के लिए आवेदन लगा दिया है। सर्वे के लिए आठ सप्ताह का वक्त और मांगा गया है।
हिंदू पक्षकार गोपाल शर्मा का कहना है कि सर्वे का काम अभी पूरा नहीं हो सका है, इसलिए एएसआई द्वारा हाईकोर्ट से और समय मांगना जायज है। वहीं अब्दुल समद ने इस पर आपत्ति जताई है। दरअसल, मुस्लिम पक्ष को यह डर है कि बरसात का पानी भोजशाला के स्वरूप को प्रभावित कर सकता है। अब्दुल समद का कहना है कि एएसआई द्वारा हाईकोर्ट में अवधि बढ़ाने को लेकर दिए गए आवेदन को हम चैलेंज करेंगे। समय बढ़ाने पर बारिश का मौसम आ जाएगा, जिससे स्वरूप में परिवर्तन आने की आशंका है। यहां खुदाई की गई है और गड्ढों में पानी भरने से कई साक्ष्य बदल जाएंगे।
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