इंदौर, राजेश ज्वेल. नगर निगम (Municipal council) में उजागर हुए ड्रेनेज घोटाले (Drainage Scam) की पुलिसिया जांच चल रही है, जिसमें अग्निबाण (Agniban) द्वारा उजागर किए गए कई तथ्यों की पुष्टि भी हो गई। सबसे पहले अग्निबाण ने ही यह जानकारी उजागर की कि नगर निगम के अधिकारियों और कर्मचारियों (officers and employees) की लापरवाही से कार की डिक्की में रखी फाइलें (files) चोरी हो गई, जिसकी रिपोर्ट भी एमजी रोड थाने पर ही घोटाले उजागर होने के एक महीने पहले दर्ज करवाई। अभी तो सतह पर यह सिर्फ 28 करोड़ का घोटाला ही दिख रहा है, मगर इसकी खुदाई ड्रेनेज की तरह ही अगर की जाए तो यह 150 करोड़ या उससे भी अधिक तक पहुंच जाएगा, क्योंकि वर्षों से ठेकेदारों, नेताओं और अफसरों, कर्मचारियों की मिलीभगत से यह खेल चलता रहा है। अब हालांकि महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने भी इस पूरे घोटाले की उच्च स्तरीय जांच की मांग जहां प्रमुख सचिव से की है, वहीं उन्होंने अग्निबाण से चर्चा करते हुए कहा कि यह आश्चर्य का विषय है कि जिस अधिकारी को इस घोटाले की जांच करना थी, उसी की कार की डिक्की से चोरी कैसे हो जाती है और सालों से यह घोटाला चल रहा है, लेकिन किसी अधिकारी-कर्मचारी ने इसे पकड़ा नहीं और जब पोल खुली तो एफआईआर दर्ज कराने से लेकर अन्य प्रक्रिया शुरू की गई। महापौर का स्पष्ट कहना है कि वे इस तरह की गंदगी को अपने कार्यकाल में पूरी तरह से साफ करेंगे।
अभी पिछले हफ्ते ही थाना एमजी रोड पर नगर निगम की ओर से इस ड्रेनेज घोटाले की एफआईआर दर्ज कराई गई, जिसमें 5 फर्मों पर फर्जीवाड़े के आरोप लगाए। एमजी रोड थाना प्रभारी विजयसिंह सिसोदिया ने इस पूरे मामले की पड़ताल शुरू की, जिसमें यह भी पता चला कि लगभग 4 करोड़ रुपए का भुगतान भी इन ठगोरी फर्मों को किया जा चुका है, वहीं 2016 से 18 और 22 तक की फाइलों के मुताबिक यह भुगतान किया गया। हालांकि पुलिस ने अधिकांश अधिकारियों-कर्मचारियों के हस्ताक्षरों के नमूने भी जांच के लिए ले लिए हैं। कुछ वरिष्ठ अधिकारियों के नमूने अभी लिए जाना बाकी हैं, तो निगम में लगे कैमरों के सीसीटीवी फुटेज से भी जानकारी जुटाई जा रही है, जिसमें कार की डिक्की से फाइल चोरी का फुटेज भी शामिल है, जिसमें दो व्यक्ति फाइलें ले जाते दिख रहे हैं। संदेह की सूई निगम के कार्यपालन यंत्री सुनील गुप्ता सहित ऑडिट विभाग में कार्यरत अधिकारियों और कर्मचारियों पर भी है, क्योंकि यह आश्चर्य का विषय है कि एक तरफ नगर निगम उन ठेकेदारों को भुगतान नहीं कर पा रहा है जो वास्तविक रूप से काम कर रहे हैं, तो दूसरी तरफ जो काम हुए ही नहीं उनकी फर्जी फाइलें बनाकर भुगतान तक करवा दिया और इस तरह के बोगस 28 करोड़ के ड्रेनेज कार्यों के बिल लगा दिए। अभी जिन पांच फर्मों न्यू कंस्ट्रक्शन, किंग कंस्ट्रक्शन, ग्रीन कंस्ट्रक्शन के अलावा क्षीतिज इंटरप्राइजेस और जाह्नवी इंटरप्राइजेस के कर्ताधर्ताओं के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई गई है, जिसमें मोहम्मद साजिद, मोहम्मद सिद्दीकी, मोहम्मद जाकिर के अलावा राहुल वडेरा और उनकी पत्नी रेणु वडेरा शामिल है। यहां तक कि इन फर्मों के पते भी फर्जी निकले हैं और अग्निबाण ने यह भी खुलासा किया कि क्षीति इंटरप्राइजेस और जाह्नवी इंटरप्राइजेस के पते आशीष नगर के बताए, जो फर्जी हैं, जबकि इनके कर्ताधर्ता राहुल और रेणु वडेरा का करोड़ों का आलीशान बंगला निपानिया में मौजूद है। पुलिस को सौंपी गई शिकायत में इन ठेकेदार फर्मों ने भी भुगतान के जो दस्तावेज तैयार किए उन सभी को निगम ने कूटरचित नकली सिल-सिक्कों और फर्जी हस्ताक्षरों के जरिए तैयार करना बताया गया और एक ही दिन में 5-5 किलोमीटर लाइन बिछाने के साथ 500-500 चेम्बर तक निर्मित करना बता दिए। दूसरी तरफ इस मामले में अब कांग्रेस के नेताओं ने भी गंभीर आरोप लगा हैं। पिछले दिनों निगम नेता प्रतिपक्ष चिंटू चौकसे ने भी इस घोटाले की उच्च स्तरीय जांच करने की मांग की, तो साथ ही मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव राकेश यादव का कहना है कि यह मात्र 28 करोड़ का नहीं, बल्कि 150 करोड़ का घोटाला है, जिसमें निगम के अधिकारियों के साथ-साथ भाजपा के एक बड़े नेता का संरक्षण तो है ही, वहीं दो एमआईसी सदस्यों की भी मिलीभगत होने की आशंका है। कुछ समय पूर्व ही निगम के एक ठेकेदार पप्पू भाटिया ने संदिग्ध परिस्थितियों में आत्महत्या कर ली थी, जो कि निगम के ही अफसरों और नेताओं द्वारा सताया गया और अब इसी तरह यह भी संभव है कि इस बड़े घोटाले को छुपाने के लिए भी व्यापमं की तर्ज पर सबूतों को मिटा दिया जाए, जिसके चलते कॉल डिटेल, मोबाइल डाटा और बैंक ट्रांजेक्शन भी खंगाला जाना चाहिए।
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