पुलिस विभाग में शोक की लहर
देवास/भोपाल. मध्य प्रदेश के देवास से बड़ी खबर है. यहां असिस्टेंट इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पुलिस (AIG) प्रतिभा त्रिपाठी (Pratibha Tripathi) की कार्डिएक अरेस्ट (cardiac arrest) से मौत हो गई. वे 22 अप्रैल को इंदौर से मेडिकल चेकअप (checkup) कराकर भोपाल लौट रही थीं. इस बीच देवास के पास उनकी तबीयत खराब होने लगी. ये देख उन्हें सोनकच्छ के पास निजी अस्पताल वरदान ले जाया गया. यहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. एआईजी प्रतिभा भोपाल में पदस्थ थीं. उनकी पोस्टिंग महिला सेल में थी. उनकी असमय हुई मृत्यु पर पुलिस विभाग में शोक की लहर दौड़ गई है.
एआईजी प्रतिभा त्रिपाठी की जांच करने वाले डॉक्टर राजपाल के मुताबिक, वे करीब 12 बजे अस्पताल आई थीं. उनके शरीर में पल्स, बीपी और सेचुरेशन जैसा कुछ नहीं हो रहा था. कह सकते हैं कि उन्हें मृत अवस्था में लाया गया था. हम लोगों ने सीपीआर सहित कई तरह से उनकी जांच की, लेकिन उनके शरीर में कोई हलचल नहीं हुई. इसके बाद हमने उन्हें मृत घोषित कर दिया. इनके साथ आए लोगों ने बताया कि करीब 12 किमी पहले उनकी चेतना अचानक चली गई थी. इसलिए मेरे हिसाब से ये कार्डियक अरेस्ट की वजह से हुआ होगा.
कार्डियक अरेस्ट में दिल अचानक धड़कना बंद कर देता है
गौरतलब है कि, इन दिनों हार्ट अटैक और सडन कार्डियक अरेस्ट के कई मामले सामने आ रहे हैं. इस वजह से कई लोगों की कम उम्र में ही मौत हो रही है. पिछले महीने मशहूर टीवी एक्टर ऋतुराज सिंह और टीवी शो उड़ान में काम कर चुकीं एक्टर कविता चौधरी की मौत भी कार्डियक अरेस्ट के कारण हो गई थी. डॉक्टरों के मुताबिक, कार्डियक अरेस्ट में दिल अचानक धड़कना बंद कर देता है. इसमें तुरंत ही पीड़ित व्यक्ति की जान बचाने के लिए सीपीआर देनी होती है वरना व्यक्ति की मृत्यु हो सकती है. इस चिकित्सीय आपात स्थिति में तत्काल सीपीआर या डिफाइब्रिलेटर देने के साथ ही हॉस्पिटल पहुंचाना बहुत ही जरूरी हो जाता है.
ये हैं कार्डियक अरेस्ट के संकेत
कार्डियक अरेस्ट का सबसे आम संकेत बिना किसी स्पष्ट कारण के चेतना खोना है. इस स्थिति में पीड़ित व्यक्ति उत्तेजनाओं पर प्रतिक्रिया नहीं कर सकता है और सांस या नाड़ी भी नहीं चलती. कार्डियक अरेस्ट आने पर व्यक्ति की सांस लेने की प्रक्रिया पूरी तरह से रुक जाती है या अनियमित हो जाती है. इसे एगोनल ब्रीदिंग कहा जाता है और यह गंभीर संकट का संकेत है. कलाई या गर्दन पर जांच करते समय नाड़ी चलने का पता नहीं लग पाता है. इससे पता चलता है कि हृदय प्रभावी ढंग से रक्त पंप नहीं कर रहा है.
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