नई दिल्ली (New Delhi)। थायरोकेयर टेक्नोलॉजीज लिमिटेड (Thyrocare Technologies Ltd) दुनिया की सबसे बड़ी थॉयरॉइड टेस्टिंग कंपनी (World’s largest thyroid testing company) है। इस कंपनी के 950 से अधिक ब्रांडेड (Over 950 Branded) और 5,000 से अधिक नॉन-ब्रांडेड आउटलेट्स (Over 5,000 Non-Branded Outlets) हैं। कंपनी के फाउंडर (Company Founder), चेयरमैन (Chairman) और एमडी (MD) ए वेलुमणि (A Velumani) का ताल्लुक तमिलनाडु (Tamil Nadu) के एक गरीब परिवार से है। उनके पिता एक गरीब किसान थे, उनकी अपनी जमीन नहीं थी। वेलुमणि का जीवन गरीबी में बीता। हालत यह थी कि उनके पास कपड़े और चप्पल खरीदने के लिए भी पैसे नहीं होते थे। लेकिन वेलुमणि ने अपनी मेहनत और लगन से बड़ा मुकाम हासिल किया। आज उनकी कंपनी का मार्केट कैप 3,300 करोड़ रुपये है। इसका कारोबार भारत ही नहीं बल्कि कई दूसरे देशों में भी फैला है।
वेलुमणि का जन्म तमिलनाडु में कोयंबटूर के करीब एक गरीब परिवार में हुआ। उनके तीन और भाई-बहन थे। परिवार का गुजारा करने के लिए मां दूध बेचने का काम करती थी। कई साल तक मां ने ही घर का खर्च चलाया। वेलुमणि ने अपनी स्कूलिंग गांव से पूरी की और फिर ग्रेजुएशन करने के लिए शहर चले गए। उन्होंने सारी पढ़ाई सरकारी स्कूल-कॉलेजों से ही पूरी की है। 19 वर्ष की उम्र में उन्होंने बीएससी की डिग्री पूरी की और फिर कोयंबटूर में एक छोटी सी दवा कंपनी में काम करने लगे। यहां उनकी सैलरी 150 थी। सैलरी काफी कम थी लेकिन उन्होंने फिर भी वो 100 रुपये घर मां के पास भेजते थे, और किसी तरह से 50 रुपयों में खुद का खर्च चलाते थे। लेकिन कुछ समय बाद कंपनी ही बंद हो गई और वेलुमणि बेरोजगार हो गए।
मुंबई में पहली लैब
लेकिन कहते हैं कि एक रास्ता बंद होता है तो 100 रास्ते खुल जाते हैं। कंपनी बंद होने के बाद वेलुमणि ने भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर में लैब असिसटेंट की पोस्ट के लिए अप्लाई किया। इसमें उनका सेलेक्शन हो गया। इसमें काम करते हुए उन्होंने अपनी आगे की पढ़ाई पूरी की और फिर साइंटिस्ट बने। 14 साल तक भाभा में काम करने के बाद वेलुमणि ने अपनी कंपनी खोलने की बात सोची। उनकी शादी सुमति वेलुमणि से हुई थी जो एसबीआई में कर्मचारी थीं। जब 1995 में उन्होंने कंपनी खोली तो उनकी बीवी ही पहली कर्मचारी थीं। कंपनी के लिए उनकी पत्नी ने जॉब छोड़ दी थी। पहली लैब मुंबई में खोली गई। वेलुमणि ने अपने पीएफ के एक लाख रुपये से यह कंपनी खोली थी। शुरुआत में उनका फोकस केवल थॉयरॉइड के टेस्ट पर था लेकिन बाद में दूसरे टेस्ट को भी इसमें शामिल किया गया।
वेलुमणि का मकसद लोगों को सस्ते में लैब की सुविधा मुहैया कराना था। शुरुआत के दिनों में रोज के केवल दो सैंपल ही आते थे। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और रात-दिन मेहनत की। धीरे-धीरे अपने बिजनस मॉडल को भी औरों से अलग बनाया। टेस्ट की लागत कम थी और ज्यादा लोगों तक पहुंच के कारण उन्हें काफी फायदा मिला। धीरे-धीरे देश के अलग-अलग हिस्सों में सैंपल लैब खोले गए। अब उनका यह कारोबार पूरे देश में अपनी पहचान बना चुका है। 2016 में उन्होंने कंपनी को लिस्ट कराया। कंपनी का आईपीओ करीब 73 गुना सब्सक्राइब हुआ और आज इसका मार्केट कैप 3,361.70 करोड़ रुपये है।
सादगीपूर्ण जीवन
हाल में एक पॉडकास्ट में वेलुमणि ने बताया कि शुरुआती दिनों में वह सैलरी नहीं लेते थे और अपनी कमाई का एक-एक पैसा कंपनी में निवेश करते थे। उनका परिवार सादगी के साथ रहता था। कंपनी का प्रॉफिट बढ़ने के बाद भी यही स्थिति रही। वह कहते हैं, ‘शुरुआती जीवन में मेरी सफलता की प्रेरणा मेरी मां थी और मेरी बिजनस सक्सेस की वजह मेरी पत्नी थी।’ लेकिन 2016 में कंपनी का आईपीओ आने से कुछ ही दिन पहले उनकी पत्नी को कैंसर डिटेक्ट हुआ। वेलुमणि ने कहा, आईपीओ से 50 दिन पहले मैंने अपनी पत्नी को खो दिया था। 12 फरवरी को उनका निधन हुआ और मई में आईपीओ आया। उनकी मौत से 50 दिन पहले हमें पता चला कि उन्हें ग्रेड फोर का पैंक्रिएटिक कैंसर है। आपकी सफलता में आपके जीवनसाथी की अहम भूमिका होती है। अगर आपका जीवनसाथी आप पर भरोसा करता है तो आपकी 10 गुना बढ़ जाती है।
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