इंदौर (Indore)। पेट में होने वाला कैंसर यानी कि गैस्ट्रिक कैंसर (gastric cancer) भारत में पांचवां सबसे अधिक पाया जाने वाला कैंसर है. भारत में हर साल करीब 60,000 नए मामले आते हैं और सालाना 50,000 लोगों की मौत इसकी वजह से होती है.
मायोक्लीनिक के मुताबिक, पेट का कैंसर, जिसे गैस्ट्रिक कैंसर भी कहा जाता है, इसमें कैंसर कोशिकाएं पेट में बनना शुरू होती हैं और यहां से पूरे शरीर में फैलने लगती हैं. यह हिस्सा पेट के ऊपरी मध्य भाग में, पसलियों के ठीक नीचे मौजूद होता है जो भोजन को ब्रेकडाउन करने और पचाने में मदद करता है.
अगर पेट में कैंसर हुआ है और यह पेट के अंदर तक ही फैला है तो इसे सही समय पर ट्रीटमेंट देकर रोका जा सकता है लेकिन अगर यह पेट के वॉल और बाहरी हिस्से में आ गया है तो इसे रोकना मुश्किल हो जाता है.
इसके अलावा, कम खाने पर ही पेट भरा-भरा रहता है और भूख खत्म हो जाती है. इसके साथ-साथ हार्टबर्न, इनडाइजेशन, उल्टी जैसा लगना, नौजिया महसूस होना कॉमन लक्षण होते हैं.
इसके अलावा, कम खाने पर भी पेट भरा-भरा रहता है और भूख खत्म हो जाती है. इसके साथ-साथ हार्टबर्न, इनडाइजेशन, उल्टी जैसा लगना, नौजिया महसूस होना कॉमन लक्षण होता है.
पेट में कैंसर होने पर बिना प्रयास किए वजन तेजी से गिरने लगता है, हर वक्त बहुत अधिक थकान महसूस होती है और हर वक्त बीमार जैसा महसूस होने लगता है. इसके अलावा मल का रंग काला हो जाता है.
आमतौर पर शुरुआती लक्षण के रूप में पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द रहना और पाचन की समस्या ही दिखती है. सभी लक्षण तभी दिखते हैं जब कैंसर एडवांस लेवल पर पहुंच जाता है इसलिए अगर आप पेट में दर्द या डाइजेशन की समस्या महसूस कर रहे हैं तो उसी समय जांच कराना जरूरी है.
अगर पेट में कैंसर की वजह पूछा जाए तो यह कह पाना मुश्किल है कि आखिर इसकी सही वजह क्या है लेकिन पेट में कैंसर तब शुरू होता है जब इसके अंदरूनी परत में चोट आती है. अगर लंबे समय तक संक्रमण रहता है या लंबे समय तक एसिड रिफ्लेक्शन रहता है. अधिक मात्रा में नमक खाते हैं तो भी यह कैंसर की वजह बन सकता है.
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