यरुशलम (इजरायल) (Jerusalem/Israel)। सीरिया में ईरान के दूतावास (Embassy of Iran in Syria) पर हमले के बाद पश्चिम एशिया (west asia) के हालात काफी बिगड़ चुके हैं. सशस्त्र टकराव (armed conflict) की आशंका काफी बढ़ चुकी है. ईरान ने पहली बार खुले तौर पर इजरायल पर हमला कर दिया. ईरान ने सैकड़ों ड्रोन और मिसाइल से इजरायल पर हमला कर दिया. हालांकि, इजरायल और उसके सहयोगी देशों ने 300 से ज्यादा ड्रोन और मिसाइल्स को निष्क्रिय कर दिया.
इजरायल की जवाबी कार्रवाई और टकराव बढ़ने की आशंका के बीच अमेरिका समेत विश्व के तमाम देशों ने प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से संयम बरतने की अपील की है, लेकिन उन्होंने इसे सिरे से खारिज कर दिया है. उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि जो जरूरी होगा वह अवश्य करेंगे.
पीएम नेतन्याहू की दो टूक
प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने अपनी कैबिनेट की बैठक में कहा, ‘मैं स्पष्ट कर देना चाहता हूं: हम अपने निर्णय स्वयं लेंगे. इजराइल अपनी रक्षा के लिए जो भी आवश्यक होगा वह करेगा.’ उल्लेखनीय है कि हमले के बाद से इजराइल के सहयोगी उससे आग्रह कर रहे हैं कि वह ऐसी किसी भी प्रतिक्रिया से दूर रहे जो संघर्ष को और बढ़ा सकती है. ब्रिटेन और जर्मनी के विदेश मंत्रियों ने भी यही अपील बुधवार को अपनी-अपनी इजराइल यात्रा के दौरान दोहराई.
ड्रोन और मिसाइल अटैक
‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ की रिपोर्ट के अनुसार, ईरान ने इजरायल पर 185 ड्रोन से हमला किया. इसके अलावा 110 जमीन से जमीन पर मार करने वाली और 36 क्रूज मिसाइलें भी दागी गईं. इससे इजरायली क्षेत्र का आसमान पट गया. मीडिया में आए वीडियो को देखने पर ऐसा लग रहा है मानो आतिशबाजी चल रही हो. रिपोर्ट के मुताबिक, ज्यादातर मिसाइलें और ड्रोन ईरान से ही छोड़ गया, जबकि कुछ मिसाइलें इराक और यमन से भी दागी गई हैं. ईरानी हमले की सूचना मिलते ही पश्चिमी देश इजरायल की रक्षा के लिए सामने आ गए. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने बताया कि ईरान की तरफ से दागी गईं तकरीबन सभी मिसाइलों और ड्रोन को निष्क्रिय कर दिया गया.
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