लखनऊ (Lucknow)। जबरन धर्म परिवर्तन (Forced Religious Conversion.) केस के ट्रायल के दौरान शुक्रवार को आरोपियों के मुस्लिम वकीलों (Muslim lawyers) के कोर्ट छोड़कर नमाज पढ़ने जाने पर स्पेशल जज (Special judge) द्वारा एमिकस क्यूरी नियुक्त करने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) की लखनऊ खंडपीठ ने नाराज़गी जताई है. हाईकोर्ट ने कहा कि पसंद के धर्म के अधिवक्ता से वंचित करना स्पेशल जज का न्यायिक कदाचरण है. जिसके बाद हाईकोर्ट के तलब करने पर स्पेशल जज ने बिना शर्त माफी मांगी।
स्पेशल जज विवेकानंद शरण त्रिपाठी पर हाईकोर्ट ने सख़्त टिप्पणी की. कोर्ट ने कहा कि मुस्लिम अधिवक्ताओं की जगह एमिकस क्यूरी नियुक्त करना धार्मिक आधार पर भेदभाव दिखाता है. ये संविधान के अनुच्छेद 15 के प्रावधानों का उल्लंघन है. हाईकोर्ट ने स्पेशल जज से 18 अप्रैल तक व्यक्तिगत हलफनामा तलब किया है. स्पेशल जज ने जबरन धर्म परिवर्तन के मामले के ट्रायल के दौरान मुस्लिम वकीलों के जुमे की नमाज़ पर चले जाने पर एमिकस क्यूरी नियुक्त किया था।
ये है पूरा मामला
दरअसल, लखनऊ के विशेष जज विवेकानंद शरण त्रिपाठी ने शुक्रवार को जुमे की नमाज पढ़ने के लिए कुछ मुस्लिम वकीलों के अदालती कार्यवाही छोड़ने के आचरण पर गंभीर चिंता जताई थी. अदालत ने कहा कि इन वकीलों को यह ध्यान रखना चाहिए कि काम ही पूजा है और उन्हें अपने न्यायिक कर्तव्यों का सम्मान करना चाहिए. इसके साथ ही अदालत ने अवैध धर्म परिवर्तन मामले के आरोपी व्यक्तियों को ‘एमिकस-क्यूरी’ (न्याय मित्र) प्रदान करने का आदेश दिया, ताकि अगर मुस्लिम वकील नमाज पढ़ने के लिए अदालती कार्यवाही से चले जाएं, तो न्याय मित्र सुनवाई जारी रख सकें और न्यायिक कार्यवाही में व्यवधान न हो।
अवैध धर्म परिवर्तन से जुड़ा है मामला
बता दें कि विशेष जज विवेकानंद शरण त्रिपाठी ने अवैध धर्म परिवर्तन मामले के संबंध में आरोपी मौलाना कलीमुद्दीन और अन्य के खिलाफ आपराधिक मुकदमे की सुनवाई के दौरान गत शुक्रवार को यह आदेश पारित किया. अदालत ने एक आरोपी की ओर से कुछ दस्तावेजों की मांग करने वाले कुछ वकीलों की याचिका को भी खारिज कर दिया।
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