मुजफ्फरनगर (Muzaffarnagar) । लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) के पहले राउंड में पश्चिम उत्तर प्रदेश (West Uttar Pradesh) की भी 8 सीटों पर मतदान होना है। इन सीटों में भी सबसे ज्यादा खास मुजफ्फरनगर की सीट मानी जा रही है। चौधरी चरण सिंह (Chaudhary Charan Singh) के परिवार से कनेक्शन, जाट समाज की बहुलता के चलते इसे हॉट सीट माना जाता रहा है। अकसर कहा जाता है कि जिन सीटों से पश्चिम यूपी का चुनाव तय होता है, उनमें से मुजफ्फरनगर एक है। इस बार यहां बेहद दिलचस्प मुकाबला है और नरेंद्र मोदी सरकार में मंत्री संजीव बालियान यहां से चुनाव लड़ रहे हैं। बसपा से दारा सिंह प्रजापति यहां मैदान में हैं तो सपा के हरेंद्र मलिक उतरे हैं। दोनों का ही बड़ा जनाधार है, जिसके चलते टाइट फाइट मानी जा रही है।
संजीव बालियान के लिए बड़ी मुश्किल यह है कि भाजपा में ही अंतर्कलह की स्थिति है। इसके अलावा ठाकुरों की नाराजगी भी चिंता बढ़ा रही है। इस सीट का इतिहास भी ऐसा है कि चौधरी चरण सिंह जैसे नेता को भी 1971 में यहां से सीपीआई के ठाकुर विजयपाल सिंह के मुकाबले हारना पड़ा था। 1990 के बाद से अब तक भाजपा यहां 5 बार जीत चुकी है। इसके अलावा कांग्रेस, सपा और बसपा भी एक-एक बार विजय हासिल कर चुके हैं। संजीव बालियान खुद यहां से 2014 और 2019 में जीत चुके हैं। पिछली बार तो वह चौधरी अजित सिंह को 6,500 वोटों से हराकर जीते थे। लेकिन इस बार मुकाबला कठिन माना जा रहा है, जबकि जयंत चौधरी उनके साथ हैं।
फिर भी एक समस्या यह है कि सरधना से पूर्व विधायक संगीत सोम उनसे नाराज चल रहे हैं। संगीत सोम का खेमा मानता है कि 2022 के चुनाव में वह विधायक नहीं बन सके तो इसकी वजह बालियान का विरोध था। उनके चलते जाट वोट नहीं मिले और संगीत सोम हार गए। अब संगीत सोम समर्थकों का कहना है कि वे बालियान को वोट क्यों दें? भाजपा नेतृत्व ने कोशिश की है कि दोनों में सुलह करा ली जाए। खुद सीएम योगी आदित्यनाथ ने बालियान और संगीत सोम की मीटिंग ली थी। फिर भी संगीत सोम के तेवर नरम नहीं दिख रहे। इसके अलावा लगातार ठाकुरों की पंचायतें हो रही हैं, जिनमें भाजपा के विरोध के ऐलान हो रहे हैं।
खापों में कैसे हरेंद्र मलिक ने करा दिया बंटवारा
एक मुश्किल यह है कि सपा ने भी जाट कैंडिडेट हरेंद्र मलिक को मैदान में उतारा है। वह चरथावल से मौजूदा विधायक पंकज मलिक के पिता हैं। वह भी जाट वोटों के एक बड़े हिस्से में सेंध लगाते दिख रहे हैं। दरअसल जाटों की दो बड़ी खाप हैं। एक है बालियान खाप, जिससे संजीव बालियान का ताल्लुक हैं। वही हरेंद्र मलिक गठवाला खाप का समर्थन पा रहे हैं। ऐसे में जाटों के वोटों में बंटवारे से स्थिति फंसती दिख रही। फिर सरधना विधानसभा समेत पूरी लोकसभा में ही प्रभावी ठाकुर लगातार बायकॉट की बात कर रहे हैं। यह संकट संजीव बालियान के लिए गहरा है।
बसपा ने भी बिगाड़ दिया समीकरण, कैसे प्रजापति ने बढ़ाई चिंता
भाजपा के लिए कई सीटों पर बसपा की ओर से सपा समीकरण बिगाड़ना एक उम्मीद हुआ करता था। लेकिन इस बार बसपा का कैंडिडेट भाजपा को ही नुकसान पहुंचाता दिख रहा है। इसकी वजह यह है कि ओबीसी वोटरों का एक बड़ा वर्ग भाजपा को वोट देता रहा है। लेकिन बसपा ने दारा सिंह प्रजापति को उतारा है, जिनके साथ उनका समाज डटकर खड़ा दिखता है। यहां प्रजापति समाज की आबादी 1.25 लाख के करीब है। इस लिहाज से संजीव बालियान के पास मोदी के चेहरे और जयंत चौधरी के साथ से ही चुनाव जीतने की चुनौती है।
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