नई दिल्ली: दिल्ली शराब नीति मामले में आरोपी दिल्ली के पूर्व उप-मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के नेता मनीष सिसोदिया की ज़मानत का विरोध करते हुए प्रवर्तन निदेशालय ने सोमवार को यहां की एक अदालत से कहा कि गंभीर मामलों में ट्रायल में देरी आरोपी के लिए जमानत का आधार नहीं हो सकती. जांच एजेंसी ने अस संबंध में सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश का भी हवाला दिया.
ईडी ने कहा, “अगर सिसोदिया के वकील सिर्फ ट्रायल में देरी को लेकर ज़मानत के लिए दबाव बना रहे हैं, तो इस मुद्दे को लेकर उनको हलफनामा देना चाहिए.” ईडी ने कहा कि पहले भी हमने अदालत को बताया है कि बड़ी संख्या में आवेदन दायर किये गए थे और इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि मुकदमा कछुआ गति से आगे बढ़ रहा है.
ईडी ने ‘आप’ नेता की जमानत का विरोध करते हुए कहा, “सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 21 का हवाला देते हुए कहा है कि यदि अपराध गंभीर है, तो केवल देरी अंतरिम जमानत का आधार नहीं हो सकता है. हाल ही में हाईकोर्ट ने भी जांच में शामिल नहीं होने को लेकर महत्वपूर्ण टिप्पणी की है.”
ईडी ने आगे कहा कि प्रॉफिट मार्जिन को 7 फीसदी से बढ़ाकर 12 फीसदी करने को उचित ठहराने के लिए कोई बैठक या चर्चा नहीं हुई है. इसमें कोई तर्क नहीं है. आबकारी नीति मामले में सीबीआई और ईडी दोनों ने ही सिसोदिया पर गंभीर आरोप लगाए हैं.
सीबीआई के साथ ही ईडी ने आरोप लगाया है कि दिल्ली आबकारी नीति को संशोधित करते समय अनियमितताएं की गईं, लाइसेंस धारकों को अनुचित लाभ दिया गया, लाइसेंस शुल्क माफ कर दिया गया या कम कर दिया गया और लाइसेंस को सक्षम प्राधिकारी की मंजूरी के बिना बढ़ाया गया.
जांच एजेंसियों ने आरोप लगाया है कि लाभार्थियों ने आरोपियों को ‘अवैध’ लाभ पहुंचाया और जांच से बचने के लिए उनके बहीखातों में गलत प्रविष्टियां कीं. सीबीआई ने ‘घोटाले’ में कथित भूमिका के लिए दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री सिसोदिया को 26 फरवरी 2023 में गिरफ्तार किया था. ईडी ने नौ मार्च 2023 को सीबीआई की प्राथमिकी से निकले धन शोधन के मामले में सिसोदिया को गिरफ्तार किया था. सिसोदिया ने 28 फरवरी 2023 को दिल्ली मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था.
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