चेन्नई (Chennai)। तमिलनाडु (Tamil Nadu) का मस्तक, उसकी राजधानी चेन्नई (Capital Chennai) अब भी अपनी नैसर्गिक चाल (Natural gait) से चल रही है। पहले चरण में 19 अप्रैल को यहां की तीन समेत प्रदेश की सभी 39 सीटों पर एकसाथ मतदान होना है। मगर, शहर के माथे पर न शिकन है, न उत्साह। भले ही नौ अप्रैल की शाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) के रोड शो ने कुछ देर के लिए गर्मी बढ़ा दी, लेकिन शाम को बंगाल की खाड़ी से चली हवा ने परिदृश्य को फिर सामान्य कर दिया।
पीएम आए और चेन्नई को कुछ क्षण के लिए मोह पाश में बांध गए। मोडी-मोडी…के नारे गूंजे और माहौल यकायक बदल गया। पर, रात में शहर अपनी मूल योग मुद्रा में लौट गया…जैसे कुछ हुआ ही न हो। राज्य के अन्य हिस्सों से इतर इस बार यहां का मिजाज ऐसा ही है। आलम यह है कि यहां की राजनीति से ज्यादा शोर तो मरीना बीच की लहरें मचाती नजर आ रही हैं। लग रहा है कि वोटर मन बना चुका है। विकल्पहीनता ही फिलहाल इनका अंतिम विकल्प है।
रोड-शो से एक दिन पहले ऑटो ड्राइवर मुर्गन से पूछा तो बोला.. ‘मोडी’ (स्थानीय उच्चारण) की रैली…नॉट श्योर (पक्का पता नहीं)। इसी तरह कैब ड्राइवर बीएससी पास नवीन, ऑटो ड्राइवर गणेशन, श्रमिक श्रीनिवासन को भी इसकी जानकारी नहीं थी। मेहनतकश परंतु वोट जरूर डालने वाले इस तबके का उदाहरण इसलिए दिया, क्योंकि ये उस 80 करोड़ आबादी का हिस्सा हैं, जिन्हें केंद्र की ओर से मुफ्त राशन जैसी रियायतें दी जा रही हैं। वे रियायतें जो उत्तर भारत में गेम चेंजर साबित हुई, पर यहां केंद्र के अनाज पर स्थानीय करी का जायका चढ़ा हुआ है।
सेंट्रल चेन्नई में द्रमुक के दयानिधि की हवा
सेंट्रल चेन्नई से तीन बार के सांसद द्रमुक प्रत्याशी दयानिधि मारन की ही हवा फिर चल रही है। विपक्षी उम्मीदवार कमजोर हैं। चेन्नई उत्तरी सीट पर द्रमुक के ही डॉ. कलानिधि वीरस्वामी भारी नजर आ रहे हैं। अन्नाद्रमुक के रोयापुरम मनोहरन, भाजपा के आरसी पॉल कनगराज व नाम तमिलर कच्ची (एनटीके) से अमुथिनी भी मैदान में हैं।
अब कहानी मरीना बीच पर बने दो स्मारकों की…
मरीना बीच पर बने दो स्मारकों में से एक द्रमुक के पितामह पूर्व सीएम सीएन अन्नादुरई और पूर्व सीएम एम. करुणानिधि यानी कलईनियर का, दूसरा अन्नाद्रमुक लीजेंड एमजीआर व जयललिता का। दोनों ही राष्ट्रवाद के सामने क्षेत्रवाद व द्रविड़वाद की चुनौती हैं। तमिल गौरव के ऐसे वटवृक्ष, जिनकी जड़ें बंगाल की खाड़ी से गहरी हैं।
भाजपा का बढ़ सकता है वोट प्रतिशत
तमिलनाडु मीडिया विशेषज्ञों का कहना है कि पूरे राज्य में भाजपा वोट प्रतिशत 3.66 से बढ़ाकर 18 फीसदी करना चाहती है, ताकि 2026 विधानसभा चुनावों में वह द्रमुक के बाद दूसरी बड़ी पार्टी बन सके। हालांकि, वोट प्रतिशत भी सीटें जीतने की गारंटी नहीं है।
चेन्नई में दक्षिण सीट छोड़ दें, तो भाजपा से खास उम्मीद नहीं है। आईटी हब व प्रगतिशील समाज की इस सीट पर पार्टी ने तेलंगाना की पूर्व राज्यपाल तमिलिसाई सुंदरराजन को इस्तीफा दिलवाकर उतारा है। उनकी सौम्य छवि लोगों को आकर्षित तो कर रही है, पर वे टिकेंगी कब तक, कहना मुश्किल है। उनका मुकाबला मौजूदा सांसद द्रमुक की तमिलाची तंगापांडियन व पूर्व सांसद अन्नाद्रमुक के डॉ. जे. जयवर्धन से है।
अब बात कारोबारियों-व्यापारियों के मन की। चेन्नई में 75% ट्रेडिंग व होल सेल कारोबार उत्तर भारतीयों के हाथ में है, जिनमें भाजपा मजबूत मानी जाती है, पर यह वोट बैंक बिखरा है। साउथ इंडिया हाई परचेज एसो. के पूर्व चेयरमैन संजय भंसाली का कहना है कि अन्नामलाई जैसा स्थानीय चेहरा ही लोगों के बीच जगह बना सकता है। राजस्थान यूथ एसो. के अध्यक्ष सुधीर जैन और सचिव भरत चोरडियार व अग्र ट्रेड एसो. के अध्यक्ष रवि सर्राफ का दावा है कि यहां होलसेल व्यापारी भाजपा को पसंद करता है, पर संख्याबल पर्याप्त नहीं। भाजपा के सामने एक दिक्कत यह भी है कि उसके पास हर बूथ पर तैनात करने के लिए कार्यकर्ता भी नहीं हैं।
चेन्नई में द्रमुक का दबदबा
कॉस्मोपॉलिटन मिजाज के इस शहर में तीन लोकसभा क्षेत्र हैं। चेन्नई सेंट्रल, चेन्नई उत्तर और चेन्नई दक्षिण। एक बार को छोड़ दें तो यहां हमेशा द्रमुक ही काबिज रही। 2014 में दिवंगत जे. जयललिता उर्फ अम्मा की अगुआई में यहां की सभी सीटें अखिल भारतीय द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम (अन्नाद्रमुक ) को गई थीं, पर उनकी मौत के बाद पार्टी पूरे प्रदेश में ऐसी बिखरी कि उसके अंश ढूंढ़े नहीं मिल रहे। पूर्व सीएम ओ पन्नीरसेल्वम यानी ओपीएस और ई पलानीस्वामी यानी ईपीएस के बीच उत्तराधिकार का झगड़ा तब तक चला जब तक पार्टी का रुतबा मटियामेट नहीं हो गया। सहयोगी दल भाजपा को उम्मीद थी कि इनके वोट भटक कर उसकी झोली में आएंगे, लेकिन ऐसा होता दिख नहीं रहा। ये वोट अब द्रमुक में शिफ्ट हो सकते हैं।
तमिलनाडु कुल सीटें 39; सभी सीटों पर पहले चरण में 19 अप्रैल को मतदान
इस बार एनडीए की ओर से भाजपा 20, सहयोगी पीएमके 10 सीट और बाकी पर अन्नाद्रमुक के बागी लड़ रहे हैं।
प्रभाकरण की प्रशंसक पार्टी भी
चेन्नई की बात करें तो यहां के हजारों ऑटो-टैक्सी ड्राइवर्स आतंकी संगठन एलटीटीई के कुख्यात लीडर प्रभाकरन की प्रशंसक तमिलर पार्टी के युवा नेता सीमान को वोट देना चाहते हैं। ऐसे में यह पार्टी द्रमुक के वोट काटेगी या अन्नाद्रमुक के, यह तो नतीजे बताएंगे, लेकिन इससे भी भाजपा को ज्यादा मदद मिलती नजर नहीं आ रही। द्रमुक अब भी मजबूत है, उत्साह इसलिए भी कम ही है।
लोकसभा चुनाव 2019 के नतीजे
डीएमके 24
कांग्रेस 8
अन्नाद्रमुक 1
सीपीआई एम 2
सीपीआई 2
अन्य 2
द्रमुक ने कांग्रेस शासन को उखाड़ फेंका
यहां राजनीति सदा ऐसी नहीं रही। रॉबिनसन पार्क (अब अरिग्नार अन्ना पार्क) में भारी बारिश के बीच 18 सितंबर, 1949 को हुई ऐतिहासिक मीटिंग को याद करते ही ऊर्जा का संचार हो जाता है। उस दिन अन्नादुरई के नेतृत्व में कई बड़े नेताओं ने बारिश में भीगते हुए द्रमुक की नींव रखी थी, जिसने 1967 में दो दशक लंबे कांग्रेस शासन और दिग्गज लीडर के. कामराज के करियर को फुल स्टॉप लगा दिया। इसके बाद से राज्य में तमिल राष्ट्रवाद पर आधारित द्रविड पॉलिटिक्स का बोलबाला हो गया और दोनों प्रमुख दलों द्रमुक-अन्नाद्रमुक ने किसी राष्ट्रीय दल को पैर नहीं जमाने दिए।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved