इंदौर। शहर के LIG चौराहा स्थित केयर CHLअस्पताल में आज सुबह जमकर हंगामा हुआ। अस्पताल (Hopsital) में लिवर (Liver) के इलाज के लिए आए मरीज अर्जुन चौहान की मौत हो गई। जिसके बाद परिजन ने आरोप लगाया कि अस्पताल के डॉक्टर की लापरवाही और इंजेक्शन (injection) के ओवरडोज के कारण मौत हुई है।
मिली जानकारी के अनुसार अर्जुन चौहान निवासी मोती तबेला इंदौर को अस्पताल में लिवर के इलाज के लिए भर्ती किया गया था। जिसके बाद उसे 8 अप्रैल को छुट्टी दे दी गई थी। दो दिन बाद फिर से अस्पताल बुलाया गया था। डॉक्टर के बुलाने पर अस्पताल गए अर्जुन चौहान को डॉक्टर नीरज जैन ने आज सुबह 10:00 बजे एक के बाद एक 4 इंजेक्शन लगाए इसके बाद मरीज को घबराहट हुई और 2 घंटे बाद उसकी मौत हो गई।
परिजन ने आरोप लगाया कि गलत इंजेक्शन लगाने के कारण अर्जुन की मौत हुई है इसके बाद अस्पताल अपनी गलती को छुपाने की कोशिश कर रहा है। वहीं इस मामले में अभी तक अस्पताल प्रशासन का कोई पक्ष सामने नहीं आया है। परिजन ने मामले की शिकायत दर्ज कराकर कार्रवाई की मांग की है।
मरीज अर्जुन चौहान अत्यधिक शराब के सेवन के चलते लीवर सिरोसिस की समस्या से जूझ रहा था जिसे कुछ समय पहले हॉस्पिटल में भर्ती किया गया था। उस समय भी मरीज बेहोशी की अवस्था में आया था और उसे तीन से चार दिन तक वेंटीलेटर पर रखा गया था। तीन दिन पहले 08 अप्रैल को ही मरीज को हॉस्पिटल से डिस्चार्ज किया गया था। उस समय मरीज के परिजनों से ग्लू इंजेक्शन कराने का आग्रह किया गया था, जिस पर मरीज के परिजनों द्वारा ओपीडी के दौरान कराने की बात कही गई थी| मरीज को लीवर ट्रांसप्लांट की भी सलाह दी गई थी जिससे स्थिति में सुधार हो सके।
आज इलाज के दौरान मरीज को सहमति से ग्लू इंजेक्शन के लिए बुलाया गया था, इसी प्रक्रिया के तहत उसे एंडोस्कोपी के द्वारा साइनोएक्रिलेट ग्लू का इंजेक्शन लगाया गया था। इस प्रक्रिया में मरीज के पेट में स्थित शिराओं के गुच्छे के आसपास साइनोएक्रिलेट ग्लू का इंजेक्शन लगाया जाता है। प्रक्रिया पूरी तरह सुरक्षित रही एवं प्रक्रिया के उपरांत मरीज को मिर्गी के दौरे जैसे आए एवं उसका रक्तचाप गिर गया और बेहोशी की अवस्था में चला गया। लिवर सिरोसिस के मरीजों में ग्लू इंजेक्शन एक सामान्य प्रक्रिया है एवं इससे मरीज की मृत्यु अप्रत्याशित है। इस स्थिति के बाद तुरंत मरीज को पहले कैजुअल्टी एवं उसके बाद आईसीयू लाया गया जहां पर उसे बचाने के प्रयास किए गए लेकिन फिर भी सारे प्रयासों के बाद भी उसे बचाया नहीं जा सका। चूंकि यह एक अप्रत्याशित घटना है, अस्पताल प्रबंधन ने केस में पूरी पारदर्शिता रखने के लिए मरीज के पोस्टमार्टम का प्रस्ताव रखा है।
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