इंदौर। वैष्णव पॉलिटेक्निक कॉलेज की स्थापना के तकरीबन 66 वर्ष होने जा रहे हैं। कॉलेज में 80 फीसदी से ज्यादा प्लेसमेंट बीते तीन महीने में हो चुका है और कंपनियों की डिमांड लगातार बनी हुई है, लेकिन ऐसे संस्थान के शिक्षक और कर्मचारियों को सालभर से वेतन के लाले पड़े हुए हैं।
पश्चिम क्षेत्र स्थित वैष्णव पॉलिटेक्निक कॉलेज में मैकेनिकल, ऑटोमोबाइल, आईटी, कंप्यूटर साइंस, इलेक्ट्रॉनिक आदि 20 अलग-अलग ब्रांच में 3 वर्षीय इंजीनियरिंग डिप्लोमा कराया जाता है। सन 1962 में शुरू हुई संस्था में प्लेसमेंट के लिए देश की नामी कंपनियां आज तक आ रही हैं और शत-प्रतिशत प्लेसमेंट होने के चलते विद्यार्थी भी यहां पर बड़ी संख्या में प्रवेश लेते हैं। जनवरी से मार्च 2024 के 3 महीने में यहां पर तकरीबन फाइनल ईयर के तकरीबन 250 विद्यार्थियों का प्लेसमेंट हो चुका है। प्लेसमेंट अधिकारी मनीष गुप्ता के अनुसार अभी भी कंपनियों के डिमांड बनी हुई हैं, लेकिन वैष्णव पॉलिटेक्निक कॉलेज में ऐसा नहीं हो रहा। सरकार की बेरुखी के चलते यहां पर तकरीबन 100 कर्मचारियों को 1 साल से वेतन नहीं मिला है। अक्टूबर 2023 में हाई कोर्ट की अवहेलना के चलते सुप्रीम कोर्ट में कंटेंप्ट की कार्रवाई भी कॉलेज द्वारा की गई है, जिसमें दो तारीखें भी लग चुकी हैं। प्रदेश में कई अनुदान प्राप्त संस्थाएं शैक्षणिक गतिविधियों का संचालन करती हैं। इसमें वर्ष 2000 पहले से नियुक्त शिक्षक और कर्मचारियों को वेतन भत्ते सरकार की ओर से देने होते हैं।
औसत 2 से 3 लाख का पैकेज… इंजीनियरिंग के दूसरे वर्ष में प्रवेश
दसवीं कक्षा पास करने के बाद विद्यार्थी यहां पर इंजीनियरिंग डिप्लोमा में प्रवेश ले लेते हैं, जिन्हें 3 वर्ष की पढ़ाई के बाद 2 से 3 लाख रुपए सालाना का औसत पैकेज मिल रहा है। यहां से डिप्लोमा करने के बाद इंजीनियरिंग में दूसरे वर्ष में विद्यार्थी को आसानी से प्रवेश मिल जाता है। पार्ट टाइम इंजीनियरिंग के साथ विद्यार्थी अपनी नौकरी को भी जारी रख सकता है। देश की जानी-मानी जॉन डियर, टाटा मोटर, फोर्स, आइसर कंपनी के साथ पीथमपुर क्षेत्र की तकरीबन सभी कंपनियां प्लेसमेंट के लिए कॉलेज की स्वीकृति का इंतजार करती हैं।
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