कल महाराष्ट्र में सडक़ हादसे में इंदौर के दो कपड़ा व्यापारी और सेल्समैन की हुई थी मौत …परिजन कर रहे शव का इंतजार…
इंदौर। करीब चार दिन पहले इंदौर से पुणे (Indore to Pune) और अन्य स्थानों की धार्मिक यात्रा पर निकले जैन समाज के दो कपड़ा व्यापारी, उनके सेल्समैन और ड्राइवर की सडक़ हादसे (Road Accident) में दर्दनाक मौत हो गई। आज दोपहर को चारों के शव इंदौर (Indore) उनके निवास पर पहुंचेंगे, जहां से अंतिम संस्कार के लिए ले जाए जाएंगे। बताया जा रहा है कि चारों पुणे में विहार के दौरान रुके विश्वसागरजी महाराज से मिलने के लिए गए थे। इसके बाद अन्य धार्मिक स्थानों के दर्शन कर लौट रहे थे, इस बीच हादसे का शिकार हो गए। हादसे से पहले कपड़ा व्यापारियों ने विहार कर रहे संतों का आशीर्वाद भी लिया और उन्हें आहार भी कराया।
जैन समाज के नवनीत जैन निवासी कालानी नगर ने बताया कि कपड़ा व्यापारी संजय जैन निवासी इमली बाजार, एक अन्य संजय जैन निवासी तिलकपथ (माही क्रिएशन) सहित सेल्समैन संतोष जैन और सचिन जैन की कार को महाराष्ट्र (लातूर) में ओवरटेक के दौरान ट्रक ने सामने से टक्कर मार दी थी। हादसे में चारों की मौके पर ही मौत हो गई। पोस्टमार्टम के बाद आज दोपहर तक चारों के शव इंदौर पहुंच जाएंगे। इमली बाजार निवासी संजय जैन की अफेसर टाउजर के नाम से इमली बाजार में दुकान है। वे मूल रूप से सागर के रहने वाले थे। परिवार में 23 साल और 18 साल के दो बेटे और पत्नी हैं। माता-पिता सागर में रहते हैं। संजय जैन सालों पहले इंदौर में आकर बसे और कपड़े का कारोबार शुरू किया। दूसरे संजय जैन (माही) की दो बेटियां हैं। दोनों कपड़ा व्यापारी धार्मिक प्रवृत्ति के थे। एक जैसा व्यापार होने के कारण दोनों एक-दूसरे से जुड़े और साथ धार्मिक काम करने लगे। करीब एक माह पहले इंदौर विहार पर आए विश्वसागरजी महाराज के पुणे में विहार पर जाने की सूचना के बाद दोनों अपने सेल्समैन के साथ पुणे गए थे। वहां विश्वसागरजी महाराज के दर्शन करने के बाद चारों ने उन्हें आहार दिया और लौट रहे थे।
धर्म-कर्म की यात्रा बनी अंतिम यात्रा
इंदौर। रेडीमेड कपड़ों का व्यापार करने वाले तीन व्यापारी अपने ड्राइवर के साथ व्यापार के साथ ही महाराष्ट्र की ओर विहार करने वाले जैन संतों के दर्शन करने के लिए इंदौर से शुक्रवार को खुशी-खुशी निकले, मगर उन्हें क्या पता था कि धर्म-कर्म (व्यापार) की यात्रा उनकी अंतिम यात्रा बन जाएगी। धानेगांव टांडा में ओवरटेक करने के दौरान वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिसमें संजय जैन (माही), संजय जैन (कम्फर्ट), संतोष जैन और सचिन जैन चारों की मौके पर ही मौत हो गई थी। परिजनों के अनुसार रात्रि में ही पोस्टमार्टम के बाद शवों को लेकर रिश्तेदार घटना स्थल से निकल गए है और दोपहर 1 बजे के करीब शहर पहुंचेंगे, जिसके बाद उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।
सप्ताहभर पहले निकले थे, सभी से जल्द मिलने का वादा कर
भीषण वाहन दुर्घटना में काल के गाल में समाने वाले संजय जैन (माही) सागर जिले के अनंतपुरा गांव के रहने वाले थे। वे करीब 10 से 12 वर्ष पूर्व परिवार के साथ इंदौर रहने के लिए आए थे और शुरुआत में कपड़ों का व्यवसाय दूसरों के साथ शुरू किया और कुछ ही समय पूर्व अपने खुद के रेडीमेड कारखाने की शुरुआत की थी। संजय जैन के परिवार में दो बेटियां माही (20) और रिया (16) तथा पत्नी हैं। संजय जैन तीन भाई थे, जिनमें से राजू नामक भाई की पूर्व में ही मौत हो गई थी। जैन के एक भाई राकेश जैन पास ही निवासरत हैं। वहीं संजय जैन (कम्फर्ट) के परिवार में पत्नी के साथ ही दो बेटे तन्मय और मनन जैन हैं। यह भी सागर के रहने वाले थे, जो करीब 17 वर्ष पूर्व ही इंदौर आकर रहने लगे और रेडीमेड व्यापार शुरू किया, जिसमें उन्होंने अच्छा मुकाम बना लिया था। दोनों रेडीमेड व्यापारी ठेकेदारी प्रथा के अनुसार अपना माल कारीगरों से बनवाते थे और शहर के साथ ही अधिकतर प्रदेश के आसपास के राज्यों में ऑर्डर पर भेजते थे।
हेडमास्टर थे संजय जैन (माही) के पिताश्री
दुर्घटना में जान गंवाने वाले संजय जैन (माही) के पिताश्री स्व. राजाराम जैन शासकीय शिक्षक थे, जो बाद में हेडमास्टर के रूप में सेवानिवृत्त हुए। जैन की मौत की खबर से शहर के जैन परिवारों के साथ ही उनके पैतृक गांव में भी शोक की लहर दौड़ पड़ी। महाराष्ट्र के लातुर में यात्रा के दौरान हुई भीषण वाहन दुर्घटना में काल के गाल में समाने वाले संजय जैन (माही), संजय जैन (कम्फर्ट), संतोष जैन और सचिन जैन चारों की राशि (कुंभ) एक ही थी।
अलग-अलग करते थे काम, मगर अधिकतर रहते थे साथ
संजय जैन (माही) और संजय जैन (कम्फर्ट) अलग-अलग काम करते थे, मगर अधिकतर साथ ही रहते थे। व्यापारिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो संजय जैन (कम्फर्ट) का काम रेडीमेड लाइन में बड़ा था। वहीं संजय जैन (माही) ने कुछ ही समय पूर्व खुद का रेडीमेड व्यापार शुरू किया था, मगर सामाजिक, राजनीतिक और लोगों की मदद के साथ ही वे कई संस्थाओं के ट्रस्टी भी थे, जिनके द्वारा वह लोगों की मदद किया करते थे।
खुद की गाड़ी से जाते थे, इस बार दोस्त के आग्रह को ठुकरा नहीं पाए
संजय जैन (माही) और संजय जैन (कम्फर्ट) की मित्रता इतनी गहरी थी कि वे कहीं भी जाते थे तो हमेशा साथ ही रहते थे। व्यापारिक यात्रा के लिए दोनों मित्र साथ ही निकलते थे। हर बार संजय जैन (माही) अपनी कार से यात्रा पर जाते थे, मगर इस बार संजय जैन (कम्फर्ट) के आग्रह को ठुकरा नहीं पाए, क्योंकि उन्होंने कुछ माह पूर्व ही नई कार खरीदी थी, जिससे वे गए थे।
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