नई दिल्ली। कांग्रेस ने अपने प्रमुख शीर्ष नेताओं के चुनावी कार्यक्रमों को अंतिम रूप दे दिया है। राहुल गांधी 16 अप्रैल तक पांच रैलियां करेंगे तो पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे दक्षिण भारत में मोर्चा संभालेंगे। वहीं, प्रियंका गांधी वाड्रा उत्तरखंड, राजस्थान, यूपी में प्रचार करेंगी। खरगे 12 अप्रैल को कलबुर्गी व बीदर में रैलियां करेंगे तो 13 अप्रैल को वह नागपुर में प्रचार करेंगे। राहुल 11 को राजस्थान के फलौदी, अनूपगढ़ में 12 और 13 को तमिलनाडु और 15 को अपने संसदीय क्षेत्र वायनाड में चुनावी सभाएं करेंगे। प्रियंका 13 को उत्तराखंड के गढ़वाल, हरिद्वार में रैली करेंगी। उनका 14 और 15 अप्रैल को राजस्थान के जालोर व सिरोही, 15 को महाराष्ट्र के चंद्रपुर, 16 अप्रैल को असम, 17 अप्रैल को उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में रोड शो हो सकता है।
श्रमिकों के साथ सरकार ने किया खिलवाड़ : खरगे
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने केंद्र सरकार पर असंगठित क्षेत्र में काम करने वालों श्रमिकों के जीवन से खिलवाड़ करने का आरोप लगाया। उन्होंने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि देश में श्रमिकों का जीवन बेहाल है और उसे पटरी पर लाने के बजाय मोदी सरकार ने उन्हें तबाह करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। पहले नोटबंदी के बवंडर से उनकी कमाई खाई, फिर गलत जीएसटी और अचानक लॉकडाउन उनकी बचत भी लूट ली। खरगे ने आरोप लगाया कि सरकार असंगठित क्षेत्र में सामाजिक सुरक्षा देने में बुरी तरह से नाकाम साबित हुई है। असंगठित क्षेत्र को लेकर दी गई मोदी की गारंटी सत्यता से परे झूठ का पुलिंदा साबित हुई है। श्रम मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, असंगठित क्षेत्र में सामाजिक सुरक्षा केवल नाम मात्र के लिए ही है। इसके लिए सरकार केवल दिखावे के लिए एक विधेयक लाई और फिर इसे वापस ले लिया। हालात इतने खराब हैं कि देश के नियमित वेतनभोगी कर्मचारियों में भी 62.2 फीसदी लोगों के पास लिखित नौकरी अनुबंध नहीं है। 43 फीसदी नियमित लोगों के पास कोई सामाजिक सुरक्षा भी नहीं है।
भाजपा ने की महाराष्ट्र के लोगों की उपेक्षा : जयराम रमेश
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने आरोप लगाया कि भाजपा अपने ही खरीद-फरोख्त और सौदेबाजी के एजेंडे से भटक गई और उसने महाराष्ट्र के लोगों की उपेक्षा की है। उन्होंने पूछा कि महा विकास आघाड़ी सरकार को गिराने के लिए उसने कितना दान लिया था। जयराम ने पोस्ट में लिखा, महाराष्ट्र एक ऐसा राज्य है जो पिछले साल सैकड़ों किसानों की आत्महत्या से हिल गया था और जहां भ्रष्टाचार के आरोप लगातार बढ़ रहे हैं। महाराष्ट्र में हर दिन औसतन सात किसान अपनी जान लेते हैं। यह दिल दहला देने वाला आंकड़ा है। पिछले साल जनवरी से अक्तूबर के बीच 2,366 किसानों ने आत्महत्या की।
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