नई दिल्ली (New Delhi)। सियासत में भाजपा की ‘बी’ टीम कही जाने वाली बहुजन समाज पार्टी(Bahujan samaj party)ने एक बार फिर सोशल इंजीनियरिंग(social engineering) की रणनीति इख्तियार (strategy option)कर विरोधी दलों (opposition parties)के लिए कड़ी चुनौती पेश (presented a challenge)कर दी है। बसपा ने ब्राह्मण, मुस्लिम और क्षत्रिय उम्मीदवारों को उतार कर वर्ष 2007 जैसी सोशल इंजीनियरिंग पर दांव लगाया है। बसपा की यह रणनीति जहां एक ओर इंडिया गठबंधन के लिए मुसीबत बन सकती है तो एनडीए के लिए भी परेशानी का सबब बने तो हैरत नहीं।
ब्राह्मणों को तवज्जो के मायने मायावती वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव के बाद टिकट बंटवारे में दलितों, पिछड़ों और मुस्लिमों को तवज्जो देती चली आ रही थीं, लेकिन अचानक उन्होंने पैटर्न बदल कर सभी को चौंकाया है। टिकट बंटवारे में बसपा ने अब तक 36 प्रत्याशी उतारे हैं। इसमें 11 सवर्ण हैं। इसमें सबसे अधिक 4 ब्राह्मणों को टिकट दिया गया है।
दरअसल, विधानसभा चुनाव 2022 में सर्वाधिक 88 और निकाय चुनाव में सर्वाधिक 11 मुस्लिम मेयर उम्मीदवार देकर पार्टी देख चुकी है कि उसे कोई फायदा नहीं हुआ था। इसीलिए सवर्णों में खासकर ब्राह्मण और क्षत्रिय को टिकट बंटवारे में महत्व दिया है। बसपा के काडर वोटबैंक के साथ ब्राह्मण व क्षत्रिय उम्मीदवारों का वोट अगर एकजुट हो गया, तो कुछ भी हो सकता है। उदाहरण के लिए अलीगढ़ में हितेंद्र कुमार उर्फ बंटी उपाध्याय बसपा उम्मीदवार हैं। यहां ब्राह्मण 15 व दलित 20 फीसदी के आसपास बताए जाते हैं। भाजपा ने सतीश गौतम को प्रत्याशी बनाया है।
ऐसे में अगर दलित-ब्राह्मण समीकरण प्रभावी रहा तो भाजपा के लिए दिक्कत हो सकता है। ऐसी ही उन्नाव से अशोक पांडेय को उम्मीदवार बनाया गया है। यहां दलित 24 व ब्राह्मण 11 फीसदी के आसपास बताए जाते हैं। मिर्जापुर से मनीष त्रिपाठी हैं। यहां एससी 22 व ब्राह्मण आठ फीसदी हैं। अकबरपुर से राजेश कुमार द्विवेदी हैं। यहां 24 दलित व ब्राह्मण 10 फीसदी बताए जा रहे हैं।
पुरानी सोशल इंजीनियरिंग की झलक
बसपा 2007 में पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आई थी। उस समय पार्टी की सोशल इंजीनियरिंग की काफी चर्चा हुई थी। तब दलित, मुस्लिम और ओबीसी के साथ उसने ब्राह्मणों व क्षत्रियों को भी तवज्जो देकर एक नया प्रयोग किया था जो सफल रहा था।
गाजियाबाद में क्षत्रिय अहम
गाजियाबाद से वीके सिंह का टिकट काटे जाने के बाद क्षत्रियों में नाराजगी है। भाजपा ने राजनाथ सिंह को वर्ष 2009 में आजमाया और वह चुनाव जीते। इसके बाद दो चुनावों से लगातार वीके सिंह चुनाव जीत रहे थे। भाजपा ने इस बार उनका टिकट काटकर अतुल गर्ग को टिकट दिया है। बसपा ने पहले यहां से अंशय कालरा बाद में नंदकिशोर पुंडीर को टिकट दे दिया।
मुस्लिमों के सहारे सपा-कांग्रेस को सीधी टक्कर
सीट पार्टी उम्मीदवार
सहारनपुर कांग्रेस इमरान मसूद
बसपा माजिद अली
रामपुर सपा मोहिबुल्ला नदवी
बसपा जीशान खां
अमरोहा कांग्रेस कुंवर दानिश अली
बसपा मुजाहिद्दीन हुसैन
संभल सपा जियाउर्रहमान बर्क
बसपा सौलत अली
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