इंदौर। स्वच्छता में नंबर वन शहर में ड्रेनेज विभाग के पास कर्मचारियों का टोटा पड़ा हुआ है और अब फिर आचार संहिता के बाद नई भर्ती के लिए टेंडर निकाले जाने की तैयारी है। वर्तमान में सिर्फ 500 कर्मचारी हैं, जिनके भरोसे शहरभर के वार्डों की शिकायतों का निराकरण जैसे-तैसे कराया जाता है।
कई क्षेत्रों में नगर निगम और स्मार्ट सिटी द्वारा ड्रेनेज की नई लाइनें बिछाने के काम तो शुरू किए गए हैं, लेकिन कई क्षेत्रों में वर्षों पुरानी ड्रेनेज लाइनों के कारण स्थिति बिगड़ रही है। आए दिन लाइनें चोक होने के कारण रहवासी परेशान होते हैं और निगम कंट्रोल रूम से लेकर झोनल तक शिकायतें की जाती हैं, लेकिन उनका निराकरण होने में एक-एक सप्ताह तक का समय लग जाता है, जिसका प्रमुख कारण यह बताया जा रहा है कि ड्रेनेज विभााग में कार्यरत कर्मचारियों की संख्या पांच सौ के आसपास ही है।
कई बार अत्यधिक शिकायतों के चलते अफसरों तक यह मामले पहुंचते हैं। ड्रेनेज विभाग में कई सालों से कर्मचारियों की कमी के कारण दिक्कतें हो रही हैं और कई बार बड़े मामलों में लाइनों का निराकरण करने के लिए तीन से चार झोनों के कर्मचारियों की टीम एक साथ इकट्ठी कर अभियान चलाया जाता है। अब ड्रेनेज विभाग फिर से बड़े पैमाने पर कर्मचारियों की भर्ती के लिए आचार संहिता के बाद टेंडर जारी करने वाला है, जिसमें करीब एक हजार कर्मचारियों की भर्ती करने का लक्ष्य है।
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