नई दिल्ली: दुनियाभर में अलग- अलग तरह की बीमारियों पर लगातार रिसर्च चलती रहती है. इसी क्रम में बर्ड फ्लू (bird flu) पर भी हाल ही में एक रिसर्च हुई है. पीट्सबर्ग में बर्ड फ्लू पर रिसर्च (Research on bird flu in Pittsburgh) करने वाले वैज्ञानिकों ने इस बीमारी को बड़ा खतरा बताया है.आशंका जताई है कि आने वाले समय में ये बीमारी बड़ी संख्या में लोगों को संक्रमित कर सकती है. वैज्ञानिकों ने कहा है कि बर्ड फ्लू का वायरस एच5एन1 बहुत तेजी से अपने पांव पसार रहा है. इससे पक्षी और अब जानवर तक संक्रमित हो रहे हैं. अगर यह वायरस इसी तरीके से बढ़ता रहा तो आने वाले समय में ये कोरोना से भी खतरनाक महामारी का रूप ले सकता है. बर्ड फ्लू कोविड से भी 100 गुना खतरनाक हो सकता है.
वैज्ञानिक ये आशंका इसलिए जता रहे हैं क्योंकि बर्ड फ्लू पहले की तुलना में अब बहुत ही तेजी से फैल रहा है. पहले ये बीमारी मुर्गियों में ही ज्यादा होती थी. लेकिन अब गाय, बिल्ली और मनुष्य भी इससे संक्रमित हो रहे हैं. अमेरिका में मुर्गियों और 337,000 चूजों में बर्ड फ्लू का संक्रमण मिला है. इससे बड़ी संख्या में मुर्गियों की मौत हो रही है.
अमेरिका में गायों में भी बर्ड फ्लू से मरने के मामले सामने आ रहे हैं. हाल ही में अमेरिकी के टेक्सास में डेयरी फार्म में काम करने वाला एक व्यक्ति H5N1 वायरस से पॉजिटिव पाया गया था. इसी वजह से ही वैज्ञानिकों ने इसपर रिसर्च की है, जिसमें पता चला है कि बर्ड फ्लू के वायरस में कई तरह के म्यूटेशन हो रहे हैं. इस बीच बड़ा सवाल यह है कि क्या बर्ड फ्लू कोविड से बड़ा खतरा बन सकता है और क्या भारत में ये किसी नई महामारी का रूप ले सकता है? ये जानने के लिए हमने एक्सपर्ट्स से बातचीत की है.
राजस्थान पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय में डॉ. एनआर रावत बताते हैं कि बर्ड फ्लू एच5एन1 इन्फ्लूएंजा वायरस की वजह से होता है. ये वायरस पक्षियों में फैलता है और उनकी सांस की नली पर हमला करता है. जिससे पक्षियों को सांस लेने में परेशानी होती है और इलाज न मिलने पर उनकी मौत हो जाती है. ये वायरस पक्षियों के मल और उनकी लार से एक दूसरे में फैलता है. इसकी संक्रमण दर इतनी अधिक होती है कि कुछ ही दिनों में ये वायरस लाखों पक्षियों को संक्रमित कर सकता है और उनकी मौत का कारण बन सकता है.
डॉ. रावत बताते हैं कि संक्रमित पक्षी से बर्ड फ्लू इंसानों में भी फैल सकता है. जो लोग पक्षियों के आसपास रहते हैं और पोल्ट्री फार्म में काम करते हैं उनमें इस बीमारी से संक्रमित होने का रिस्क ज्यादा रहता है. पक्षियों के मल और संक्रमित सतह के संपर्क में आने से इंसानों में बर्ड फ्लू फैलता है. इसकी वजह से खांसी-जुकाम, सांस लेने में परेशानी की समस्या हो जाती है. कुछ मामलों में ये निमोनिया का कारण भी बन जाता है. अगर समय पर इलाज न हो तो मौत हो सकती है.
दिल्ली के सफदरजंग हॉस्पिटल में कम्यूनिटी मेडिसिन विभाग में एचओडी प्रोफेसर डॉ. जुगल किशोर बताते हैं कि बर्ड फ्लू कोविड से ज्यादा खतरनाक है. इससे मौत की दर कोविड की तुलना में कई गुना ज्यादा है, लेकिन बर्ड फ्लू में ह्यूमन ट्रांसमिशन कम होता है. मतलब यह है कि ये वायरस भले ही किसी पक्षी से इंसान में फैल जाए, लेकिन एक से दूसरे व्यक्ति में आसानी से नहीं फैलता है, जबकि कोविड बहुत जल्दी संक्रमित कर देता है. अगर कोई व्यक्ति बर्ड फ्लू से संक्रमति है भी तो भी दूसरे इंसान में इसके फैलने की आशंका कम होती है. ऐसे में इस बात का खतरा कम है कि बर्ड फ्लू कोविड से बड़ी महामारी बनेगा.
डॉ किशोर कहते हैं कि भारत में बर्ड फ्लू के मामले आते रहते हैं. हर बार इस बीमारी को काबू में कर लिया जाता है. ऐसे में पैनिक होने की कोई जरूरत नहीं है. बर्ड फ्लू की हिस्ट्री में इंसानों में इसके संक्रमण के मामले भी बहुत ही कम हैं. ऐसे में चिंता की बात नहीं है, लेकिन जरूरी है कि लोग इस बीमारी के लक्षणों को लेकर जागरूक रहें और इससे बचाव करें.
इंसानों में क्या होते हैं लक्षण
सिरदर्द
उल्टी मांसपेशियों में दर्द
बुखार
सांस लेने में परेशानी
डॉ किशोर कहते हैं कि बर्ड फ्लू की कोई निर्धारित दवा नहीं है, केवल लक्षणों के आधार पर मरीज का इलाज किया जाता है. हालांकि बर्ड फ्लू से बचाव आसानी से किया जा सकता है. इसके लिए जरूरी है कि व्यक्ति संक्रमित पक्षी के संपर्क में न आएं और अगर पक्षी के पास जा भी रहे हैं तो पीपीई किट पहनकर जाएं. अगर चिकन खा रहे हैं तो इसको बहुत अच्छी तरह से पका लें. नियमित रूप से हाथ धोते रहें और फ्लू के लक्षण दिखने पर इलाज कराएं.
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