उज्जैन। गर्मी का मौसम आते ही वन परिक्षेत्र के जंगलों पर आग का खतरा मंडराने लगता है। इस वजह से कई बार वनों को नुकसान हो चुका है। इसके बाद भी वन विभाग जंगलों में न तो सूखे पत्ते साफ करवाता है और न ही उनके पास आग बुझाने के कोई पुख्ता इंतजाम हैं। स्थिति यह है कि वनों में आग लगने की सूचना भी वन विभाग को सेटेलाइट के भरोसे ही मिल रही हैं।
गौरतलब है कि आगजनी की घटनाएँ रोकने को विभाग के पास न तो पर्याप्त साधन हैं और न ही पर्याप्त वनकर्मी। घने जंगलों में आग लगने के बाद दमकल टीम को भी पहुँचने में मुश्किल हो रही हैं। ऐसे में वनकर्मियों को काफी मशक्कत करनी पड़ती है। विभाग की मानें तो आग लगने की सूचना मिलने के बाद भी वन विभाग के अधिकारी-कर्मचारी समय पर नहीं पहुँच पाते हैं। जिले में गिनती के मोबाइल नंबर सेटेलाइट सिग्रल से जोड़े गए हैं, जिससे जंगल में आगजनी की सूचना सभी को नहीं मिल पाती है और तत्काल आग पर काबू पाने के प्रयास भी शुरू नहीं हो पाते हैं। बता दें कि वन के एक बीट का क्षेत्र कई सौ हेक्टेयर में फैला होने के कारण आग लगने की स्थिति में वन कर्मियों को तत्काल इसकी जानकारी नहीं मिल पाती है। वन विभाग तक भी सूचना पहुँचने में देर होने से वनों में आग तेजी से फैल जाती है। आग के फैल जाने के बाद उस पर काबू करना भी मुश्किल होता है। वनों की सुरक्षा के प्रति लोगों में जागरूकता का होना भी जरूरी है।
जंगल पर नजर रखने के लिए विभाग ने किराए पर लिया सैटेलाइट
प्रदेश के वन विभाग ने जंगल में निगरानी के लिए सैटेलाइट किराए पर ले रखा है। यह सैटेलाइट आग की घटनाओं के अलावा जंगल में पेड़ों की कटाई और अतिक्रमण पर भी नजर रखता है। इसका अलर्ट संबंधित अधिकारी या कर्मचारी के मोबाइल पर चला जाता है। फायर अलर्ट सिस्टम फायर सर्वे ऑफ इंडिया से जुड़ा है और पूरे देश का डाटा यहाँ जमा होता हैं लेकिन स्मार्ट फोन का अभाव इस सुविधा में सबसे बड़ी बाधक है। ऐसे में गिनती के अधिकारी को ही आगजनी की सूचना मिल पा रही है।
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