वाशिंगटन (Washington) । अमेरिका (America) ने गाजा (Gaza) में तत्काल युद्धविराम के आह्वान के लिए संयुक्त राष्ट्र परिषद में पारित होने वाले प्रस्ताव को रोकने और वीटो (veto) न करने का फैसला किया है। बाइडन प्रशासन (Biden administration) के इस फैसले का भारतंवशी अमेरिकी सांसद रो खन्ना (MP Ro Khanna) ने बचाव किया। उन्होंने कहा कि अमेरिका को इस मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय गठबंधन बनाने में मदद मिलेगी।
एक साक्षात्कार में खन्ना ने कहा कि सुरक्षा परिषद में दुनिया के 14 देश ऐसे हैं, जो युद्धविराम और सभी बंधकों की तत्काल रिहाई की मांग कर रहे हैं। हम अबतक अकेले एक ऐसे देश थे, जो वीटो कर रहे थे। इससे हमारी क्षमता को नुकसान पहुंच रहा था। हमें रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के खिलाफ खड़े होने की जरूरत है। हमें चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के खिलाफ खड़े होने की जरूरत है। हम खुद को उन सहयोगियों से अगल कर रहे हैं, जिनकी हमें जरूरत है। पूर्व विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ अकेले भी आगे बढ़ सकता है। वहीं, राष्ट्रपति बाइडन का मानना है कि हमें पुतिन और जिनपिंग के खिलाफ खड़े होकर गठबंधन बनाने की आवश्यकता है। यह बस सोच का अंतर है।
पोम्पिओ ने जताई थी आपत्ति
बता दें, पोम्पिओ ने इस प्रस्ताव पर वीटो न करने के लिए बिडेन प्रशासन की आलोचना की थी। उन्होंने कहा था कि बाइडन के इस फैसले से न सिर्फ हमास बल्कि ईरानी आतंकवादी भी खुश होंगे। इस फैसले से रूसी खुश होंगे। इस फैसले चीनी खुश होंगे। इससे दुनिया में संदेश जाएगा कि कैसे अमेरिका ने संघर्ष के दौरान अपने सहयोगी और दोस्त से दूरी बना ली।
बाइडन के नेतृत्व में जल्द खत्म होगा युद्ध: अमेरिकी सांसद
साक्षात्कार में खन्ना ने आगे कहा कि मुझे लगता है कि लोगों को एहसास होगा कि वहां संकट है। वे लोगों के मरने की तस्वीर देखते हैं। वे चाहते हैं कि युद्ध समाप्त हो। वे चाहते हैं कि इस्राइल सुरक्षित रहे लेकिन फलस्तीनियों की जान न जाए। उम्मीद है कि राष्ट्रपति के नेतृत्व में जल्द युद्ध समाप्त हो जाएगा।
यूएनएससी में पारित हुआ प्रस्ताव
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में हाल ही में गाजा और इस्राइल के बीच तत्काल युद्धविराम का आह्वान करते हुए एक प्रस्ताव पारित हुआ था। अमेरिका इस प्रस्ताव पर वोटिंग से दूर रहा। अमेरिका के इस रुख को लेकर इस्राइल ने नाराजगी भी जताई थी। इतना ही नहीं, इस्राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने अपने दो शीर्ष सलाहकारों की अमेरिका की प्रस्तावित यात्रा भी रद्द कर दी थी। यूएनएससी में पेश किए गए प्रस्ताव पर 15 में से 14 सदस्यों ने सहमति की मुहर लगाई थी। इसे सुरक्षा परिषद के 10 सदस्यों ने संयुक्त रूप से पेश किया था।
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