नई दिल्ली (New Delhi) । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने इलेक्टोरल बॉन्ड (electoral bond) की जमकर वकालत की है। पीएम मोदी ने कहा कि उनकी सरकार द्वारा लाई गई इलेक्टोरल बॉन्ड की नीति से यह पता चल पाया है कि किस पार्टी को कहां से किसने चंदा दिया है। पीएम मोदी ने एक निजी न्यूज के साथ बातचीत में बताया कि इलेक्टोरल बॉन्ड की वजह फंडिंग का सोर्स पता चल जाता था। उन्होंने विपक्ष (Opposition) के बयानों पर कटाक्ष करते हुए कहा क्या कोई एजेंसी हमें बता सकती है कि 2014 से पहले चुनावों में कितना पैसा खर्च किया गया था। तमिल टीवी को दिए इंटरव्यू में पीएम मोदी ने कहा, “चुनावी बांड की बदौलत अब हम फंडिंग के सोर्स का पता लगा सकते हैं। कुछ भी सही नहीं है, हर चीज में खामियां हैं मगर उन्हें दूर किया जा सकता है।”
भाजपा को मिला सबसे ज्यादा चंदा
बता दें राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे में पारदर्शिता लाने के लिए 2017 में इलेक्टोरल बांड योजना शुरू की गई थी। इस साल 15 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने इस योजना को रद्द कर दिया और चुनाव आयोग से फंडिंग डेटा जारी करने को कहा। आंकड़ों से पता चला कि राजनीतिक दलों को देश के शीर्ष कॉरपोरेट्स से करोड़ों रुपये मिले। फ्यूचर गेमिंग और होटल सर्विसेज ने सबसे ज्यादा 1,368 करोड़ रुपये के बांड खरीदे, इसके बाद मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड ने 966 करोड़ रुपये के बांड खरीदे। शीर्ष 10 व्यक्तिगत दानदाताओं द्वारा खरीदे गए 84% चुनावी बांड भाजपा को मिले। भाजपा के अलावा दूसरी सबसे बड़ी प्राप्तकर्ता तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) थी जिसे 16.2 करोड़ रुपये यानी लगभग 9% धन मिला। तीसरी सबसे बड़ी पार्टी भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) थी जिसके पास 5 करोड़ रुपये का फंड मिला।
2014 से पहले कहां से मिला चंदा: पीएम मोदी
इंटरव्यू के दौरान पीएम मोदी से पूछा गया कि क्या उन्हें लगता है कि चुनावी बांड डेटा से उनकी पार्टी को कोई झटका लगा है? इस सवाल के जवाब में पीएम मोदी ने कहा, “मैंने ऐसा क्या किया है कि कोई झटका लगेगा? मुझे यकीन है कि जो लोग आज (चुनावी बांड पर) हल्ला मचा रहे हैं, उन्हें पछतावा होगा। मैं सभी विशेषज्ञों से पूछना चाहता हूं कि कौन सी एजेंसी 2014 से पहले चुनावों में इस्तेमाल किए गए धन का पता लगा सकती है। मोदी चुनावी बांड लेकर आया और इसलिए आज आप जानते हैं कि किसने किसको कितना फंड दिया।” उल्लेखनीय है कि इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी इसी तरह की राय व्यक्त की थी कि चुनावी बांड योजना को पूरी तरह से खत्म करने के बजाय इसमें सुधार किया जाना चाहिए था क्योंकि इसे भारतीय राजनीति में काले धन के प्रभाव को समाप्त करने के लिए पेश किया गया था।
पीएम मोदी ने याद किया तमिल भाषा का गौरव
इंटरव्यू में पीएम मोदी तमिल भाषा के गौरव का उल्लेख करते हुए कहा, “मुझे गुस्सा भी है और दर्द भी है कि हमलोगों ने इतनी महान विरासत (तमिल भाषा) के साथ अन्याय किया है। कहीं पर डायनासोर का अंडा मिल जाए, तो पूरा देश नाचता है और भारत के पास हजारों साल पुरानी, दुनिया की सबसे समृद्ध लैंग्वेज है, लेकिन हम सीना तान कर दुनिया को कहते नहीं हैं, हमने इसे क्यों सिकुड़ कर रखा। लेकिन मैंने मन में तय कर लिया था कि यूएन के अंदर तमिल बोलूंगा। ताकि दुनिया को पता होना चाहिए कि हमारे पास दुनिया की पुरानी भाषा है।”
पीएम मोदी ने सेंगोल के इतिहास पर नजर डालते हुए कहा, “जहां तक सेंगोल का सवाल है तो ये बहुत कम लोगों को मालूम है कि भारत की आजादी का सबसे पहला पल… वो पल इस सेंगोल के साथ जुड़ा हुआ है। खास बात ये है कि तमिलनाडु के एक संत ने इस सेंगोल को दिया था और हमने इसे जीवंत बनाने का काम किया।”
पीएम मोदी ने बताया एनडीए गठबंधन का विजन
पीएम मोदी ने अपने इंटरव्यू में एनडीए गठबंधन को अलग-अलग लोगों को जोड़ने वाला तंत्र बताया। पीएम मोदी ने कहा, “भाजपा और एनडीए का गठबंधन बहुत मजबूत गठबंधन है। यह समाज के भिन्न-भिन्न लोगों की ताकतों को जोड़ने वाला संगठन है। यह भिन्न-भिन्न आर्थिक, सामाजिक तबके के प्रतिनिधित्व करने वाले दलों का संगठन है। भाजपा-एनडीए को मिलने वाले वोट ‘द्रमुक विरोधी’ नहीं बल्कि ‘भाजपा समर्थक’ हैं। तमिलनाडु ने तय कर लिया है कि इस बार बीजेपी-एनडीए होगी!”
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