नई दिल्ली (New Delhi)। गुड़ी पड़वा (gudi padwa )महाराष्ट्र (maharashtra)का प्रमुख त्योहार, जो हिंदू पंचांग (Hindu Almanac)के अनुसार चैत्र मास (chaitra month)के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा के दिन मनाया जाता है. गु़ड़ी पड़वा से मराठी नववर्ष की शुरुआत मानी जाती है. इसी दिन से हिंदूओं का नया साल भी शुरु होता है.
मराठी समुदाय के लोग इस दिन समृद्धि के सूचक गुड़ी को घर के बाहर बांधकर उसकी पूजा करते हैं, मान्यता है इससे पूरा साल सुख, सफलता और ऐश्वर्य लेकर आता है. आइए जानते हैं गुड़ी पड़वा 2024 की डेट, पूजा मुहूर्त और महत्व.
गुड़ी पड़वा 2024 डेट
गुड़ी पड़वा 9 अप्रैल 2024 को मनाया जाएगा. इसी दिन से हिंदू नववर्ष विक्रम संवत 2081 और चैत्र नवरात्रि का शुभांरभ भी होगा. इस चैत्र प्रतिपदा, गुड़ी पड़वा, नव संवत्सर उगादी, चेती चंड और युगादी के नाम से जाना जाता है.
गुड़ी पड़वा महत्व
ब्रह्मांड की रचना – गुड़ी का अर्थ है ध्वज यानी झंडा और प्रतिपदा तिथि को पड़वा कहा जाता है. इस त्योहार के बाद रबी की फसल काटी जाती है. मान्यता है कि गुड़ी पड़वा वाले दिन ही सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा ने ब्रह्मांड की रचना की थी.
छत्रपति शिवाजी महाराज से नाता – महाराष्ट्र में इसे मनाने का कारण मराठा शासक छत्रपति शिवाजी महाराज की युद्ध में विजय से है, इसलिए इस दिन घर के बाहर हिंदुत्व के विजय पताका रूप में गुड़ी लगाई जाती है. ये सफलता और समृद्धि का सूचक माना गया है.
सतयुग का आरंभ – कहते हैं सतयुग की शुरुआत भी इसी दिन से हुई थी.
समय चक्र की गणना – इसी तिथि पर ही महान ज्योतिषाचार्य और गणितज्ञ भास्कराचार्य ने सूर्योदय से सूर्यास्त तक दिन, महीने और वर्ष की गणना करते हुए पंचांग की रचना की थी. इस तिथि को चंद्रमा के चरण का पहला माना गया है.
कैसे मनाते हैं गुड़ी पड़वा ?
इस दिन महिलाएं सूर्योदय से पूर्व स्नान आदि के बाद विजय के प्रतीक के रूप में घर में सुंदर गुड़ी लगाकर उसकी पूजा की जाती है हैं. गुड़ी बनाने के लिए बांस की लकड़ी लेकर उसके ऊपर चांदी, तांबे या पीतल के कलश का उल्टा रखते हैं. इसमें केसरिया रंग का पताका लगाकर उसे नीम या आम की पत्तियां और फूलों से सजाया जाता है फिर घर के सबसे ऊंचे स्थान पर लगाया जाता है. घर के मुख्य द्वार पर रंगोली बनाई जाती है. भोग में पुरन पोली, श्रीखंड बनाया जाता है.
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