नई दिल्ली (New Delhi)। पश्चिम बंगाल(West Bengal) की आधा दर्जन लोकसभा सीटों (Lok Sabha seats)पर नागरिकता संशोधन कानून (Citizenship Amendment Act) के महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की संभावना (likely to fulfill)है। चुनाव के पहले इन सीटों पर तृणमूल कांग्रेस भाजपा(Trinamool Congress BJP) की रणनीति को लेकर सतर्क है। जानकारों का कहना है कि पश्चिम बंगाल की कम से कम आठ लोकसभा सीटों पर इसके महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की संभावना है।
माना जा रहा है कि बंगाल में नादिया और उत्तर 24 परगना जिलों की कम से कम पांच सीटें इस फैसले से प्रभावित होंगी। जबकि राज्य के उत्तरी हिस्से की दो से तीन सीटों पर भी राजनीतिक-चुनावी असर देखने को मिलेगा। दक्षिण बंगाल में मतुआ और उत्तरी बंगाल में राजबंशी और नामशूद्र शामिल हैं। अगर सीएए लागू नहीं किया गया होता, जैसा कि 2019 के चुनाव घोषणापत्र में वादा किया गया था, तो यहां भाजपा को नुकसान हो सकता था।
यहां मतुआ, राजबंशी, नामशूद्र नागरिकता चाहते हैं। मतुआ समुदाय एक हिंदू शरणार्थी समूह है, जो विभाजन के दौरान और उसके बाद के वर्षों में भारत आया था। कोई सटीक आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं लेकिन मतुआओं की संख्या काफी महत्वपूर्ण है। उन्हें दक्षिण बंगाल में कम से कम पांच लोकसभा क्षेत्रों में उपस्थिति के लिए जाना जाता है।
राजबंशी और नामशूद्र संख्यात्मक रूप से छोटे समूह हैं, जिनमें आंशिक रूप से बांग्लादेश से आए हिंदू शरणार्थी शामिल हैं। वे पिछले चुनाव में भाजपा के साथ खड़े थे। वे जलपाईगुड़ी, कूचबिहार और बालुरघाट निर्वाचन क्षेत्रों में फैले हुए हैं।
सीएए पर थी सकारात्मक रिपोर्ट
बांग्लादेशी हिंदू समुदायों मतुआ और राजबंशी के साथ काम करने वाली कई भाजपा इकाइयों ने सीएए के कार्यान्वयन की आवश्यकता को लेकर सकारात्मक रिपोर्ट दी थी। पिछले साल दिसंबर में अखिल भारतीय मतुआ महासंघ के सदस्यों ने भारतीय नागरिकता की मांग को लेकर एक रैली भी की थी। कई सर्वेक्षणों ने इसके कार्यान्वयन की आवश्यकता पर जोर दिया था।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved