नई दिल्ली (New Delhi) । हथियारों (weapons) के आयात और निर्यात (Arms Imports And Exports) को लेकर स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) ने ताजा आंकड़े जारी किए हैं. रिपोर्ट में दुनियाभर के कई देशों के आंकड़े हैं. चौंकाने वाली बात यह है कि रिपोर्ट में एशिया में हथियारों की होड़ के पीछे प्रमुख कारक (Key Factor) चीन की महत्वाकांक्षाओं पर देशों की चिंता को बताया गया है.
एशिया में हथियारों के आयात के पीछे चीन एक ड्राइविंग फोर्स
रिपोर्ट के मुताबिक, एशिया में हथियारों के आयात के पीछे चीन एक ड्राइविंग फोर्स है, जबकि वैश्विक हथियारों के हस्तांतरण में थोड़ी गिरावट देखी गई है. चीन की क्षेत्रीय महत्वाकांक्षाओं पर चिंताओं के कारण एशिया और ओशिनिया का हथियारों का आयात संतोषजनक रहा.
चीन की हरकतों के कारण एशिया में देशों को बढ़ानी पड़ रही सुरक्षा
सिपरी की रिपोर्ट इस बात पर प्रकाश डालती है कि कैसे चीन की हरकतें एशिया में सुरक्षा परिदृश्य को नया आकार दे रही हैं, जिससे देशों को कथित खतरों के जवाब में अपनी सुरक्षा बढ़ाने की दिशा में काम करना पड़ रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक, एशिया में हथियारों के आयात में बढ़ोतरी हुई है, जिसमें जापान, ऑस्ट्रेलिया और भारत (हथियारों के) अधिग्रहण में अग्रणी हैं.
चीन को लेकर शोधकर्ता सीमन वेजमैन ये बोले
सिपरी आर्म्स ट्रांसफर प्रोग्राम के वरिष्ठ शोधकर्ता सीमन वेजमैन (Siemon Wezeman) के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है, ”इसमें कोई संदेह नहीं है कि एशिया और ओशिनिया में जापान और अन्य अमेरिकी सहयोगियों और साझेदारों की हथियारों के आयात का निरंतर उच्च स्तर काफी हद तक एक प्रमुख कारक से प्रेरित है, वो है चीन की महत्वाकांक्षाओं पर चिंता.”
वेजमैन ने यह भी कहा, ”अमेरिका, जो चीनी खतरे के बारे में अपनी धारणा साझा करता है, इस क्षेत्र के लिए एक बढ़ता हुआ आपूर्तिकर्ता है.” सिपरी की रिपोर्ट कहती है कि यूरोपीय हथियारों का आयात लगभग दोगुना हो गया है, अमेरिकी और फ्रांसीसी निर्यात में वृद्धि हुई है और रूसी निर्यात में तेजी से गिरावट आई है.
एशिया, ओशिनिया और मिडिल ईस्ट से हैं हथियारों के 9 सबसे बड़े इंपोर्टर्स
रिपोर्ट के मुताबिक, यूरोप में 2014-18 से 2019-23 तक 94 फीसद की वृद्धि के साथ हथियारों के आयात में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है. हालांकि, इस यूरोपीय उछाल के बावजूद हथियारों की सबसे बड़ी मात्रा एशिया, ओशिनिया और मध्य पूर्व की ओर जा रही है, ये क्षेत्र वैश्विक स्तर पर दस सबसे बड़े हथियार आयातकों में से नौ की मेजबानी करते हैं.
भारत दुनिया का सबसे बड़ा आर्म्स इंपोर्टर
रिपोर्ट के मुताबिक, रूस के अलावा विभिन्न आपूर्तिकर्ताओं के कारण हथियारों के आयात में मामूली वृद्धि के साथ भारत दुनिया का सबसे बड़ा हथियार आयातक बना हुआ है. 2014-18 और 2019-23 के बीच भारत ने अपने हथियारों के आयात में 4.7 फीसद की बढ़ोतरी देखी, जबकि रूस प्राइमरी सप्लायर बना रहा, जिसने भारत के कुल हथियार आयात में 36 फीसद का योगदान दिया.
रिपोर्ट में कहा गया है, ”चीन के दो पूर्वी एशियाई पड़ोसियों की ओर से हथियारों के आयात में इजाफा हुआ है, जापान में 155 प्रतिशत और दक्षिण कोरिया में 6.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.”
चीन की आक्रामक प्रतिक्रिया क्षेत्र में तनाव का कारण- अमेरिकी रिपोर्ट
टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक, सिर्फ सिपरी ही नहीं, बल्कि अमेरिकी इंटेल रिपोर्ट ने भी भारत और अन्य पड़ोसियों के साथ बढ़ते तनाव के पीछे चीन की आक्रामक प्रतिक्रिया को जिम्मेदार ठहराया है.
अमेरिकी रिपोर्ट में कहा गया है, ”दक्षिण और पूर्वी चीन सागर में द्वीपों पर संप्रभुता का दावा करने के बीजिंग के प्रयासों के चलते चीन और उसके पड़ोसी प्रतिस्पर्धी दावेदारों के बीच लगातार ऊंचे स्तर पर तनाव होगा और गलत अनुमान के अवसर बढ़ेंगे, भले ही बीजिंग शायद सीधे संघर्ष से बचना पसंद करता है.”
एशिया और ओशिनिया के लिए अमेरिका सबसे बड़ा आर्म्स सप्लायर
इस धारणा ने अमेरिका को इस क्षेत्र में एक बढ़ता हुआ हथियारों को सप्लायर बना दिया है, जो चीन के प्रभाव को चुनौती दे रहा है और सहयोगी देशों का समर्थन कर रहा है.
सिपरी रिपोर्ट के मुताबिक, ”25 वर्षों में पहली बार अमेरिका एशिया और ओशिनिया के लिए सबसे बड़ा हथियार आपूर्तिकर्ता रहा. क्षेत्र के देशों में जो हथियार आयात किए गए, उनमें संयुक्त राज्य अमेरिका का हिस्सा 34 फीसद, जबकि रूस का 19 प्रतिशत और चीन का 13 परसेंट रहा.
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