नई दिल्ली (New Delhi)। डॉक्टरों को मुफ्त उपहार (Free gifts to doctors.) देने वाली दवा कंपनियों (Pharmaceutical companies) के खिलाफ केंद्र सरकार (Central government) ने सख्त फैसला लिया है। सरकार ने मंगलवार को फार्मास्युटिकल विपणन (Pharmaceutical Marketing) के लिए एक समान संहिता (यूसीपीएमपी) अधिसूचित (Uniform Code (UCPMP) notified) की है जिसके तहत कोई भी फार्मा कंपनी या उसका एजेंट किसी डॉक्टर और उनके परिजनों को कोई उपहार नहीं देगा। साथ ही विदेशों के दौरे का प्रस्ताव देना भी अपराध की श्रेणी में आएगा। देश के सभी फार्मास्युटिकल्स एसोसिएशन को लिखे पत्र में केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय के संयुक्त सचिव रविंद्र प्रताप सिंह ने कहा है कि सभी एसोसिएशन को आचार समिति का गठिन करना होगा और अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर यूसीपीएमपी पोर्टल का जिक्र भी करना होगा। साथ ही समान संहिता का पालन करना होगा।
साल 2022 में केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने डोलो-650 टैबलेट लिखने के लिए डॉक्टरों को एक हजार करोड़ रुपये के मुफ्त उपहार देने का आरोप लगाया था। इसके चलते यूनिफॉर्म कोड बनाने की मांग उठने लगी थी। सरकार ने साल 2014 में यूसीपीएमपी को लेकर दिशा निर्देश जारी किए थे, लेकिन यह कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं थे। नई संहिता के तहत यदि डॉक्टरों को अनैतिक रूप से दवा ब्रांडों को बढ़ावा देने का दोषी पाया गया तो फार्मा कंपनियों के खिलाफ उसी प्रकार दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी जैसी रिश्वत या इससे जुड़े मामलों में की जाती हैं।
कॉन्फ्रेंस के नाम पर नहीं होंगे टूर
अधिसूचित संहिता में लिखा है कि फार्मा कंपनियां किसी कान्फ्रेंस या सेमिनार के नाम पर डॉक्टरों को विदेश दौरों का प्रस्ताव नहीं दे पाएंगी। इतना ही नहीं, पांच सितारा होटल में ठहरने और महंगे व्यंजन व रिजॉर्ट जैसे शान शौकत भरे ऑफर भी नहीं दिए जा सकेंगे। संहिता में नकद या मौद्रिक अनुदान के भुगतान पर भी रोक लगाई है।
फ्री सैंपल का रखना होगा पूरा हिसाब
संहिता में स्पष्ट किया गया है कि किसी भी ऐसे व्यक्ति को दवाओं के मुफ्त नमूने नहीं दिए जाएंगे जो ऐसे उत्पाद को लिखने के लिए योग्य नहीं है। कंपनी को हर उत्पाद का नाम, डॉक्टर का नाम, दिए गए नमूनों की मात्रा, मुफ्त नमूनों की आपूर्ति की तारीख जैसे विवरण देने होंगे।
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