नई दिल्ली (New Delhi)। देश के पूर्व प्रधानमंत्री और भारतीय जनता पार्टी के संस्थापक सदस्य (Founding member of Bharatiya Janata Party)अटल बिहारी वाजपेयी (Vajpayee)अपनी सादगी के लिए जाने जाते थे। बात साल 1969 की है। अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय जनसंघ (Bharatiya Jana Sangh)की रैली को संबोधित करने के लिए अलीगढ़(Aligarh) पहुंचे थे। अलीगढ़ पहुंचते-पहुंचते अटल जी का धोती-कुर्ता गंदा हो गया। इस पर उन्होंने गोरखपुर के तत्कालीन सांसद के कपड़े उधार लेकर रैली को संबोधित किया था।
अटल जी जन संघ के जिला अध्यक्ष शिव हरि सिंघल के रघुवीर पुरी स्थित घर पर रुके थे। यहीं चुनाव प्रभारी और गोरखपुर के तत्कालीन सांसद केएल गुप्ता भी रुके हुए थे। वरिष्ठ भाजपा नेता सुरेन्द्र अग्रवाल बताते हैं कि अटल जी के पास उस समय दो जोड़ी ही धोती-कुर्ता थे। लगातार रैलियों के चलते उनके कपड़े गंदे हो गए थे। शाम को उन्हें अलीगढ़ में भी रैली को संबोधित करना था। उन्होंने चुपके से गुप्ता जी की अटैची खोली, जिसमें एक जोड़ी साफ धोती-कुर्ता रखा था।
धोती-कुर्ता हरगिज नहीं देंगे
अटल जी ने कहा कि आज तो मैं यही कपड़े पहनूंगा, मुझे आगे अन्य रैलियों में भी जाना है। यह देख केएल गुप्ता भी बोले, उन्हें भी अलीगढ़ में ऊपरकोट पर रैली करनी है। वह, धोती-कुर्ता हरगिज नहीं देंगे। इस पर अटल जी ने गुप्ता जी से कहा, देखो बड़ा नेता मैं हूं, यदि गंदा धोती-कुर्ता पहनकर रैली को संबोधित किया तो सब लोग कहेंगे कि तुम्हारा नेता कैसे कपड़े पहनकर रैली को संबोधित कर रहा है। इसमें तुम्हारी भी बेइज्जती होगी। तुम्हारी रैली शाम को है, मेरे धोती-कुर्ते को धुलवाकर पहन लेना। मगर, गुप्ता नहीं माने और यह कहते हुए बाथरुम चले गए कि धोती-कुर्ता तो वह खुद पहनेंगे। इसी बीच अटलजी ने उनके धोती-कुर्ता को पहना और हंसते हुए निकल गए, जिसके बाद वहां मौजूद लोगों ने खूब ठहाके लगाए। केएल गुप्ता भी इस पर हंसे बिना नहीं रह सके।
हाथरस की रबड़ी बेहद पसंद करते थे अटल जी
अटल जी हाथरस की रबड़ी के मुरीद थे। यह बात उन्होंने 1994 में काका हाथरसी पुरस्कार समारोह में मंच से ही बताई थी। साथ ही बनाने वालों की तारीफ भी की थी। वे हास्य सम्राट काका हाथरसी के आमंत्रण पर आए थे। इसके लिए स्वीकृति देते समय ही उन्होंने मजाक में रबड़ी का जिक्र कर दिया था। इसके बाद भी तमाम नेता जब भी दिल्ली जाते थे तो अटल जी की पसंदीदा रबड़ी ले जाना नहीं भूलते थे।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved