इंदौर। नगर निगम ने शहरभर में 10 से ज्यादा एसटीपी बनाए थे और उनमें से अधिकांश चालू भी हो गए, जिनसे हर रोज 350 एमएलडी ट्रीटेड पानी मिल रहा है, लेकिन सिर्फ 50 से 60 एमएलडी पानी की खपत हो पा रही है। 50 हाइड्रेंटों से निगम मुफ्त पानी बांट रहा है, लेकिन वहां से पानी लेने को तैयार नहीं है। टैंकरों से पानी बंटवाने की योजना के टेंडर भी कागजों में ही उलझे पड़े हैं। नगर निगम ने शहरभर में अलग-अलग स्थानों पर सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) बनाए थे और इनमें से अधिकांश शुरू भी कर दिए गए हैं। 10 से ज्यादा एसटीपी से मिलने वाले 350 एमएलडी पानी की खपत को लेकर अब अफसर परेशान हैं, क्योंकि इसमें से सिर्फ 50 से 60 एमएलडी पानी की ही शहर में खपत हो रही है। शेष पानी कान्ह नदी के अलग-अलग हिस्सों में बहाया जाता है।
प्रोजेक्ट के इंचार्ज सुनील गुप्ता के मुताबिक निगम द्वारा इसके लिए 50 हाइड्रेंट बनाए गए हैं, जहां से लोगों को गाडिय़ों की सर्विसिंग, मकान निर्माण, बागवानी से लेकर कई अन्य कार्यों के लिए मुफ्त में पानी दिया जा रहा है, लेकिन उसके बावजूद बहुत कम लोग इस पानी का उपयोग कर रहे हैं। वहीं दूसरी और नगर निगम ने ट्रीटेड पानी के उपयोग को लेकर एक बड़ी योजना बनाकर टेंडर जारी किए थे, लेकिन इस योजना के लिए किसी भी फर्म का एक भी टेंडर नहीं आया और मामला अब तक प्रस्तावों में ही उलझा पड़ा है। अधिकारियों के मुताबिक इस योजना के तहत निगम दो से तीन फर्मों को इसका ठेका देने वाला था, ताकि ट्रीटेड पानी के टैंकर वह हाइड्रेंटों से भरकर लोगों तक पहुंचाए और बदले में लिए जाने वाले शुल्क के बारे में अपने प्रस्ताव भेजे। इससे कई लोगों के घरों तक टैंकरों से ट्रीटेड पानी पहुंचाने में आसानी होती है और खासकर इस पानी का कई कार्यों में उपयोग किया जा सकता है।
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