नई दिल्ली। भारत (India) और यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (EFTA) एक मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर हस्ताक्षर (sign) करेगा। जिससे परिवहन, आईटी , ऑडियो-विजुअल क्षेत्र जैसे प्रमुख घरेलू सेवा क्षेत्रों में निवेश और निर्यात को बढ़ावा देने में मदद मिलने की संभावना है। गौरतलब है कि यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ के सदस्य आइसलैंड, लिकटेंस्टीन, नॉर्वे और स्विट्जरलैंड हैं।
मामले से जुड़े अधिकारी ने कहा कि मुक्त व्यापार समझौतों के इतिहास में पहली बार ईएफटीए से भारत में निवेश (investment) को बढ़ावा देने और रोजगार सृजन के बारे में एक कानूनी प्रतिबद्धता को समझौते में शामिल किए जाने की उम्मीद है। इस समझौते से भारत से निर्यात होने वाले लगभग सभी औद्योगिक सामानों से संबंधित क्षेत्रों को लाभ होने की संभावना है।
एक अन्य अधिकारी ने कहा कि भारतीय प्रसंस्कृत कृषि उत्पादों को भी ईएफटीए देशों में अधिक बाजार पहुंच मिल सकती है। इसके अलावा, फार्मा, चिकित्सा उपकरण और प्रसंस्कृत खाद्य जैसे क्षेत्रों को भी समझौते में शामिल किए जाने की उम्मीद है। सोया, डेयरी और संवेदनशील कृषि उत्पादों जैसी वस्तुओं को बहिष्करण सूची में रखा जाएगा, जिसका अर्थ है कि इन वस्तुओं के लिए समझौते में कोई शुल्क रियायतें नहीं दी जाएंगी।
समझौते में 14 अध्याय हैं, जिनमें माल में व्यापार, उत्पत्ति के नियम, बौद्धिक संपदा अधिकार, सेवाओं में व्यापार, निवेश प्रोत्साहन और सहयोग, सरकारी खरीद, व्यापार में तकनीकी बाधाएं और व्यापार सुविधा शामिल हैं। भारत और ईएफटीए आर्थिक संबंधों को बढ़ावा देने के लिए जनवरी 2008 से समझौते पर बातचीत कर रहे हैं। हालांकि समझौते पर टिप्पणी करते हुए आर्थिक थिंक टैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव ने कहा कि स्विट्जरलैंड को भारत का 98 प्रतिशत निर्यात औद्योगिक वस्तुओं का है और वे पहले से ही शून्य सीमा शुल्क पर प्रवेश कर रहे हैं, इसलिए इससे कोई लाभ नहीं होगा।
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