मंत्रालय ने कहा है कि इस तरह के फूड हैबिट की वजह से लोगों के खून में फैट, शुगर, साल्ट की मात्रा बढ़ती है जिससे मोटापा और नॉन कम्युनिकेबल डिजीज का खतरा बढ़ता है. स्वास्थ मंत्री ने अपने बयान में कहा है कि जंक फूड हैबिट की वजह से ये पाया गया है की क्रोनिक बीमारियों में भारी इजाफा हुआ है. फूड हैबिट में चेंज की वजह से क्रोनिक डिजीज में भारी इजाफा हुआ है, मंत्रालय के अध्ययन के मुताबिक 1990 में 30.5% से बढ़कर 2016 तक 55.4% हो गई.
अनहेल्दी फूड की वजह से क्रोनिक डिजीज (chronic disease) में बढ़ोतरी हुई है जिससे मेटाबोलिक रिस्क फैक्टर (metabolic risk factors) का खतरा बढ़ा है. इसके रोकथाम के लिए fssai द्वारा सख्ती से फूड प्रोसेसिंग कंपनियों को नियम पालन करने को कहा जा रहा है. खासकर बच्चों द्वारा उपयोग में लाए जाने वाले भोजन को संतुलित बनाने पर fssai ने 2020 से कड़ाई से लागू करवाना शुरू किया है. बच्चों के स्कूलों के आसपास 50 मीटर दूरी पर सैचुरेटेड फैट, एडेड फैट, शुगर और सोडियम युक्त जंक फूड के बिक्री पर प्रतिबंध लगाया गया है. केंद्रीय स्वास्थ मंत्री मनसुख मंडबिया ने लोकसभा में एक लिखित प्रश्न के जवाब में ये सारी जानकारियां दी हैं.