नई दिल्ली (New Delhi) । राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (NIA) ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) को बताया कि गौतम नवलखा (Gautam Navlakha) को घर में नजरबंदी के दौरान उनकी सुरक्षा के लिए पुलिसकर्मी उपलब्ध कराने के खर्च के तहत 1.64 करोड़ रुपये का भुगतान करना है। हालांकि कार्यकर्ता के वकील ने इस राशि को लेकर आपत्ति जताई और एजेंसी पर ‘जबरन वसूली’ का आरोप लगाया।
एनआईए की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस. वी. राजू ने न्यायमूर्ति एम. एम. सुंदरेश और न्यायमूर्ति एस. वी. एन भट्टी की पीठ को बताया कि भीमा कोरेगांव संबंध मामले में गिरफ्तार 70 वर्षीय नवलखा ने चौबीसों घंटे सुरक्षा मुहैया कराने के लिए किए गए खर्च के तहत अब तक केवल 10 लाख रुपये की राशि का भुगतान किया है।
राजू ने कहा कि उन्हें कुछ राशि का भुगतान करना होगा। नवलखा की ओर से पेश वरिष्ठ वकील नित्या रामकृष्णन ने 1.64 करोड़ रुपये की राशि का विरोध करते हुए कहा कि एजेंसी द्वारा देय राशि की गणना गलत और संबंधित नियमों के विपरीत है।
उन्होंने कहा कि हमने एनआईए द्वारा निर्धारित इस राशि का विरोध किया है और इस मामले में सुनवाई की जरूरत है। वे नागरिकों को हिरासत में रखने के लिए उनसे एक करोड़ रुपये की मांग नहीं कर सकते। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामले पर विस्तार से सुनवाई की जरूरत है और मामले की सुनवाई अप्रैल के लिए स्थगित कर दी।
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