– चंदेरी को मप्र में पर्यटन का केन्द्र बनाने में नहीं छोड़ी जाएगी कोई कसरः सिंधिया
भोपाल (Bhopal)। केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया (Union Civil Aviation Minister Jyotiraditya Scindia) ने कहा कि महाकाल उज्जैन (Mahakal Ujjain) से चंदेरी (Chanderi) तक संस्कृत के गौरव का इतिहास रहा है। जहां तानसेन की नगरी ग्वालियर है, तो वहीं बैजू बावरा की नगरी चंदेरी है। चंदेरी को मध्यप्रदेश में पर्यटन का केंद्र बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी।
केन्द्रीय मंत्री सिंधिया बुधवार को अशोकनगर जिले के चंदेरी में देश के पहले “क्राफ्ट हेण्डलूम टूरिज्म विलेज” (country’s first “Craft Handloom Tourism Village”) के लोकार्पण कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव और केन्द्रीय मंत्री सिंधिया ने चंदेरी के बुनकरों के कौशल विकास, बाजार मुहैया कराने एवं आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से ग्राम प्राणपुर में शटल चौक पर विकसित किए गए “क्राफ्ट हेण्डलूम टूरिज्म विलेज” का लोकार्पण किया।
सिंधिया ने “क्राफ्ट हेण्डलूम टूरिज्म विलेज” का भ्रमण किया। उन्होंने प्राणपुर ग्राम में परंपरागत रूप से हैंडलूम कार्य कर रहे परिवारों से चर्चा की। हैंडलूम की विशेषताओं, साड़ी, सूट कपड़ों की जानकारी लेने के साथ परिवारों का पीढ़ियों से कला का संरक्षण करने के लिए बधाई देते हुए उन्हें उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं दी।
प्राचीन नगरी चंदेरी के हर एक कोने और पत्थर में बसी भारत की संस्कृति
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री डॉ यादव ने कहा कि प्राचीन नगरी चंदेरी के हर एक कोने और पत्थर में भारत की संस्कृति बसी है। चंदेरी के विकास में कोई कसर नहीं छोड़ी जायेगी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के अद्भुत व्यक्तित्व के कारण भारत की विश्व में एक विशिष्ट पहचान बनी है। भगवान श्रीराम की जय जयकार हुई है लेकिन अभी भगवान श्रीकृष्ण की मटकी फूटनी बाकी है। प्रधानमंत्री मोदी ने महाकाल मंदिर के पास महालोक का निर्माण कर उसे विश्व प्रसिद्ध बनाया है। उनकी इस प्रेरणा का अनुसरण करते हुए प्रदेश सरकार सभी देव स्थानों को भी विकसित करेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों की पशुपालन के माध्यम से आय बढ़ाने, गरीब के इलाज की उच्च स्तरीय व्यवस्था और विकास के हर कार्य करने के हरसंभव प्रयास किए जाएंगे। मुख्यमंत्री डॉ यादव ने चंदेरी में विद्यार्थियों को शिक्षा का उच्च स्तर के लिए घोषणा की नई सराय और शदोरा में नए एक्सीलेंस कॉलेज खोले जाएंगे।
301 करोड़ रुपये से अधिक के 42 विकास कार्यों का किया भूमि पूजन और लोकार्पण
मुख्यमंत्री डॉ यादव ने चंदेरी, मुंगावली और अशोकनगर के 301 करोड़ रुपये से अधिक के 42 विकास कार्यों का भूमि पूजन और लोकार्पण किया। इनमें 228 करोड़ रुपये से अधिक के 08 विकास कार्यों का भूमिपूजन और 72 करोड़ रुपये से अधिक के 34 विकास और जनहित के कार्यों का लोकार्पण शामिल हैं।
कार्यक्रम में संस्कृति एवं पर्यटन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) धर्मेन्द्र सिंह लोधी ने कहा कि चंदेरी का इतिहास शौर्य और गौरव का इतिहास है। उन्होंने मुख्यमंत्री डॉ यादव को चंदेरी को विकास की सौगातें देने के लिए आभार व्यक्त किया। टूरिज्म बोर्ड के अपर प्रबंध संचालक विवेक श्रोत्रिय मैं स्वागत उद्बोधन में क्राफ्ट हेण्डलूम टूरिज्म विलेज परियोजना पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम में क्षेत्रीय सांसद केपी यादव सहित अन्य जनप्रतिनिधि और स्थानीय अधिकारी एवं बड़ी संख्या में आमजन उपस्थित रहे।
कार्यक्रम स्थल पर भारत सरकार वर्ष मंत्रालय के बुनकर सेवा केंद्र इंदौर द्वारा प्रदेश के हैंडलूम उत्पादों पर लगाई गई प्रदर्शनी लगाई गई थी। प्रदर्शनी में प्रदेश की पारंपरिक चंदेरी साड़ी, महेश्वरी साड़ी, बुना हुआ सूती स्टोल, सारंगपुर चादर, चकधारिया बैगा साड़ी सहित प्राकृतिक रंग से रंगे और हैंड ब्लॉक प्रिंटेड साड़ियों को प्रदर्शित किया गया।
मप्र टूरिज्म बोर्ड की पहल पर वस्त्र मंत्रालय भारत सरकार एवं मप्र शासन ने सात करोड़ 45 लाख रुपये की लागत से प्राणपुर-चन्देरी में ‘क्राफ्ट हेण्डलूम टूरिज्म विलेज’ का विकास किया है। इसका प्रमुख उद्देश्य स्थानीय बुनकरों एवं शिल्पकारों की कला को संरक्षित कर उत्पाद बिक्री के लिए बाजार मुहैया कराना है। क्राफ्ट हेण्डलूम टूरिज्म विलेज परियोजना में आकर्षक केंद्र विकसित कर पर्यटकों को स्थानीय शिल्प एवं बुनाई कलाओं से अवगत कराया जाएगा।
मेलों-प्रदर्शनियों के माध्यम से भी बुनकरों को मार्केटिंग प्लेटफार्म उपलब्ध कराया जा रहा है। ऑनलाइन बिक्री के लिए आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएगी। बुनकरों को कौशल विकास, मार्केटिंग का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। मध्यप्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से प्रदेश सरकार रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए निरंतर प्रयासरत है। बुनकरों एवं शिल्पकारों की कला को संरक्षित करते हुए बाजार मुहैया कराना प्राथमिकता है। यह न सिर्फ हमारी पारंपरिक कलाओं को जीवित रखती है परन्तु ग्रामीण अर्थव्यवस्था में भी योगदान देती है।
बुनकरों और शिल्पकारों का ग्राम प्राणपुर
प्राणपुर गांव, चन्देरी की तराई में लगभग चार किमी दूरी पर सुरम्य स्थल है। इस गांव की विशेषता यह है कि गांव में अधिकांश परिवार (243 घरों में) बुनाई कला से जुड़े हैं, जिनके घर एवं कार्यरत हथकरघे दो-तीन पीढ़ियों से आज भी उपयोग में लाये जा रहे हैं। इसके अतिरिक्त गांव में लगभग पचास से अधिक शिल्पकार जो बांस, लकड़ी, पत्थर, गहनें तथा मिट्टी के शिल्प से जुड़े हैं। यह पर्यटकों के लिए विशेष आकर्षण का केन्द्र है।
परियोजनांतर्गत गांव के पुराने कच्चे पहुंच मार्ग की मरम्मत स्थानीय पत्थरों का उपयोग करके किया गया है। गांव के अन्दर पर्यटक अपने वाहनों से जाकर एक नियत स्थान पर उतरकर आकर्षक गांव का भ्रमण करते है। यहाँ पर एक पार्किंग स्थल भी विकसित किया गया है। पर्यटकों के लिये विशेष रूप से एक कैफेटेरिया “हेण्डलूम कैफे” का निर्माण किया गया है। यहां महिला, पुरुष एवं दिव्यांगजनों के लिये जनसुविधाओं एवं पर्याप्त पार्किंग व्यवस्था भी उपलब्ध कराई गई है।
पर्यटकों की सुविधाओं एवं मनोरंजन के लिए एक बगीचा विकसित किया गया है। जिसमें एम्फीथियेटर निर्माण किया गया है। यहां स्थानीय समुदाय के सांस्कृतिक दल समय-समय पर पर्यटकों के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत करेंगे।
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