नई दिल्ली: किसान आंदोलन को लेकर को लेकर दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को सुनवाई हुई. किसान आंदोलन से जुड़ी याचिका लेकर याचिकाकर्ता सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था, मगर उसका यद दांव उल्टा पड़ गया. सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को न केवल हिदायत दी, बल्कि याचिका को पब्लिसिटी स्टंट का तरीका बताया. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने किसानों के प्रदर्शन से संबंधित मुद्दे को ‘गंभीर’ करार देते हुए सोमवार को याचिकाकर्ता से कहा कि वह केवल प्रचार पाने के लिए अखबारों की रिपोर्ट के आधार पर याचिका दायर करने से बचें.
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस सूर्यकांत और न्यायमूर्ति के.वी. विश्वनाथन की पीठ ने ‘सिख चैंबर ऑफ कॉमर्स’ के प्रबंध निदेशक एवं याचिकाकर्ता एग्नोस्टोस थियोस को अपनी उस याचिका को वापस लेने की अनुमति दे दी, जिसमें केंद्र और कुछ राज्यों द्वारा ‘शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे’ किसानों के अधिकारों के हनन का आरोप लगाया गया था. सुनवाई की शुरुआत में ही याचिकाकर्ता थियोस के वकील ने याचिका वापस लेने का अनुरोध किया, जिन्होंने कहा कि वह याचिका में संशोधन करना चाहते हैं.
‘किसान आंदोलन से जुड़े मुद्दे गंभीर’
इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील को फटकार लगाई. न्यायमूर्ति कांत ने वकील से कहा, ‘ये बहुत गंभीर मुद्दे हैं. केवल प्रचार के लिए अखबारों की रिपोर्ट के आधार पर ऐसी याचिकाएं दायर नहीं करें. केवल उन व्यक्तियों को ये याचिकाएं दायर करनी चाहिए, जो गंभीर और प्रतिबद्ध हैं. यदि आपने अखबारों की रिपोर्ट देखी हैं, तो आपको पता होना चाहिए कि उच्च न्यायालय मामले से अवगत है.’
‘पब्लिसिटी स्टंट मत कीजिए’
पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता को पता होना चाहिए कि उच्च न्यायालय पहले ही इस मुद्दे पर कुछ निर्देश पारित कर चुका है. कोर्ट ने कहा कि ये एक संजीदा मामला है और पब्लिसिटी स्टंट के लिए इसतरह याचिका दाखिल नहीं करनी चाहिए. पीठ ने हिदायत देते हुए वकील से कहा कि अगली बार सावधान रहिएगा. अपना खुद का शोध करें, ये जटिल मुद्दे हैं. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने याचिका वापस लेने की इजाजत दी.
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